भारत में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे थे तब बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पाकिस्तान की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा का वादा कर रहे थे. मौका था पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात का, जो इनदिनों चीन की यात्रा पर हैं (4-8 जून). साफ है चीन और पाकिस्तान, दोनों ही, पीओके को लेकर सतर्क हैं.
शी जिनपिंग ने शहबाज से मुलाकात के दौरान कहा कि चीन, हमेशा की तरह, राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने, अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकूल विकास पथ अपनाने और आतंकवाद का मुकाबला करने में पाकिस्तान का दृढ़ता से समर्थन करेगा.
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को लेकर अपनी नीति को साफ कर दिया है. हाल में संपन्न हुए भारतीय चुनावों में पीओके का मुद्दा भी काफी उछला है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि पीओके के लोग खुद पाकिस्तान से त्रस्त होकर भारत में शामिल हो जाएंगे. राजनाथ सिंह का बयान ऐसे समय में आया था जब पीओके में पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ विद्रोह जैसी परिस्थिति पैदा हो गई थी. यही वजह है कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ चीन से शिकायत की है और शी जिनपिंग का बयान आया है.
शी जिनपिंग ने हालांकि, पीओके को सुरक्षा प्रदान करने के बदले पाकिस्तान से चीनी नागरिकों की सेफ्टी की गारंटी ली है. शी ने कहा के बेल्ट एंड रोड कॉरपोरेशन और चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर (सीपीईसी यानी सीपेक) के जरिए पाकिस्तान में विकास के लिए चीन तैयार है. लेकिन शी ने कहा कि पाकिस्तान से चीन के इंजीनियर, प्रोजेक्ट्स और संस्थानों की सुरक्षा और स्थिरता अपेक्षित है.
शी ने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों ही अच्छे पड़ोसी देश है जो नदियों और पहाड़ों के जरिए जुड़े हुए हैं. दोनों देश एक दूसरे ऑल-वेदर स्ट्रेटेजिक कॉपरेटिव पार्टनर हैं.
हाल के दिनों में पाकिस्तान में सीपेक में कार्यरत चीनी इंजीनियर्स पर कई बड़े अटैक हुए हैं. साथ ही ग्वादर पोर्ट और सीपीईसी से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर भी बलोच और तालिबानी लड़कों के हमले सामने आए हैं. यही वजह है कि शी अपने देश के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. साथ ही चीन ने सियाचिन के करीब बेहद ही दुर्गम शक्सगाम वैली में सड़क बनाकर पीओके और गिलगित बाल्टिस्तान से दूरियां कम करने की कोशिश की है. लेकिन लद्दाख से सटे शिनजियांग और पाकिस्तान की दूरी कम होने से भारत के माथे पर भी बल पड़ने लगा है.