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रूस से मोल-भाव के फिराक में जेलेंस्की ?

ऐसे समय में जब यूक्रेन के खिलाफ जंग में रूस को सामरिक बढ़त मिली थी, यूक्रेन ने कुर्स्क में घुसकर हमला कर बड़ा उलटफेर कर दिया है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि ये यूक्रेन को इस हमले से क्या फायदा होने जा रहा है. क्या, कुर्स्क पर कब्जा कर यूक्रेन शांति की मेज पर रूस से बड़ी मांग कर सकता है.

पिछले छह दिनों से यूक्रेन की सेना रूस के पश्चिमी प्रांत कुर्स्क में करीब 10 किलोमीटर भीतर घुस गई है. यूक्रेन के हमले में रूसी सैनिक और सामान्य नागरिक बड़ी संख्या में हताहत हुए हैं. स्थानीय प्रशासन की मानें तो करीब 76 हजार रूसी नागरिकों को यूक्रेन के हमले के चलते विस्थापित होकर कैंप में शरण लेनी पड़ रही है.

यूक्रेन ने हमले के दौरान रूसी सैनिकों को बंधक तक बना लिया है. रूसी सैनिकों को बंधक बनाए जाने के वीडियो भी सामने आए हैं.

यूक्रेन के इस हमले को लेकर अमेरिका सहित सभी नाटो देश हैरान हैं. क्योंकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कुर्स्क ऑपरेशन की जानकारी किसी सहयोगी देश को नहीं दी थी. अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर (व्हाइट हाउस) के प्रवक्ता का जॉन किर्बी का भी कहना है कि यूएस भी जानना चाहता है कि आखिर कुर्स्क में यूक्रेनी सेना क्या कर रही है और इसका उद्देश्य क्या है.

हालांकि, रविवार की ही अमेरिका ने यूक्रेन के लिए हथियारों की एक नई खेप भेजना का ऐलान किया. इस खेप में स्टिंगर, हिमार्स (एचआईएमआरएस) और अलग-अलग तरह की एंटी टैंक मिसाइल सहित 155 एमएम एम्युनिशन शामिल है. जेलेंस्की के मुताबिक, अमेरिका के नए हथियारों की खेप को रूस के हमले रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.

दरअसल, पिछले कुछ महीनों से युद्ध को समाप्त करने और शांति-वार्ता शुरु करने की पहल जोरो पर हैं. जून के महीने में इसको लेकर स्विट्जरलैंड में शिखर सम्मेलन का आयोजन भी किया गया था. लेकिन रूस ने सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया था. इसके बाद खुद जेलेंस्की ने अगला शिखर सम्मेलन किसी ग्लोबल साउथ के देश में करने का प्रस्ताव रखा था ताकि रूस भी उसमें शामिल हो सके.

पिछले ढाई साल से यानी जब से रूस-यूक्रेन जंग शुरु हुई थी, जेलेंस्की की मांग थी कि शांति वार्ता से पहले मॉस्को को डोनबास के इलाके को खाली करना होगा. लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जेलेंस्की की मांग को ठुकराया दिया था. उल्टा पुतिन ने यूक्रेन के सामने दो बड़ी शर्त रख दी थी. पहली ये कि यूक्रेन नाटो देशों के समूह में शामिल नहीं होगा और दूसरा ये कि डोनबास से अपनी सेना को पीछे हटाना होगा. ऐसे में शांति वार्ता का कोई नामो-निशान नहीं दिखाई पड़ रहा था.

लेकिन हाल ही में जेलेंस्की का वो बयान बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है जिसमें कहा गया था कि यूक्रेन नवंबर के महीने में शांति-वार्ता का मसौदा तैयार करेगा. साथ ही कुर्स्क में आक्रमण के बाद भी जेलेंस्की ने एक एक्स पोस्ट में लिखा है कि शक्ति के दम पर ही युद्ध समाप्त होगा. (रूस में युद्ध की तपन, कुर्स्क में यूक्रेन जमा तीन दिन से)

साफ है कि कुर्स्क पर कब्जा कर यूक्रेन, शांति की टेबल पर पुतिन से डोनबास या फिर क्रीमिया को लेकर मोल-भाव कर सकता है. लेकिन सवाल ये है कि यूक्रेन की सेना कितने दिन तक रूस के सामने टिक पाएगी.

क्योंकि रूस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 6 अगस्त यानी जब यूक्रेन ने रूस की सीमा में घुसकर हमला किया था तब से लेकर रविवार तक 1350 यूक्रेनी सैनिकों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा 29 टैंक, 23 आर्मर्ड पर्सनल कैरियर, 09 इन्फैंट्री फाइटिंग व्हीकल सहित पैट्रियाट मिसाइल सिस्टम के रडार स्टेशन, 10 फील्ड आर्टिलरी गन और एक ग्रैड मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम को तबाह कर दिया गया है.

रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने भी यूक्रेन के कुर्स्क हमले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कीव भी जानता है कि इसका कोई मिलिट्री उद्देश्य पूरा नहीं होगा. (यूक्रेन का बड़ा उलटफेर, रूस में घुसकर स्ट्राइक)

यूक्रेन के कुर्स्क में हमले का असर ये हुआ है कि रूस के पड़ोसी (और मित्र) देश बेलारूस ने यूक्रेनी सेना पर मोबिलाइजेशन शुरु कर दिया है. माना जा सकता है कि कुर्स्क में अगर रूसी सेना यूक्रेनी सेना को पीछे खदेड़ने में नाकाम रही तो बेलारूस यूक्रेन के खिलाफ मोर्चा खोल सकता है.