फैक्ट्री से निकलने के महज दो महीने के भीतर ही पहले स्वदेशी लाइट टैंक ‘जोरावर’ ने अपनी ताकत का नमूना प्रदर्शित किया है. जोरावर के पहले फायरिंग टेस्ट सफलतापूर्वक संपन्न हो गए हैं.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, शुक्रवार को हाई ऑल्टिट्यूड (पूर्वी लद्दाख इत्यादि) के लिए तैयार किए जा रहे जोरावर लाइट टैंक के पहले परीक्षण राजस्थान के थार रेगिस्तान में किए गए.
गलवान घाटी की झड़प के चार साल बाद इसी साल जुलाई के महीने में भारत ने अपना लाइट टैंक ‘जोरावर’ को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया था. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने प्राईवेट कंपनी एलएंडटी के साथ मिलकर जोरावर का प्रोटो-वर्जन तैयार किया है. ऐसे में जोरावर के ट्रायल शुरु हो गए हैं. डीआरडीओ के मुताबिक, फिलहाल इस टैंक के लंबे ट्रायल बाकी हैं और 2027 से पहले भारतीय सेना को मिल पाना थोड़ा मुश्किल है.
गुजरात के हजीरा में एलएंडटी के प्लांट में डीआरडीओ ने जोरावर टैंक को पेश किया था. जोरावर देखने में एक आईसीवी (बीएमपी) यानी इन्फेंट्री कॉम्बेट व्हीकल के तरह ही देखने में लगता है. फर्क सिर्फ इतना है कि इसमें टैंक की तरह ही फायर-पावर की क्षमता है. (https://x.com/FinalAssault23/status/1834623193635598407)
हाल ही में पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के डीबीओ में श्योक नदी में एक टी-72 टैंक के डूबने से पांच सैनिकों की जान चली गई थी. लाइट टैंक की कमी के चलते भारतीय सेना को पूर्वी लद्दाख में 15-16 हजार फीट की ऊंचाई पर टी-72 और टी-90 जैसे भारी टैंक तैनात करने पड़ रहे थे.
गलवान घाटी की झड़प के बाद से ही चीन की पीएलए सेना ने पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर लाइट टैक जेडटीक्यू टी-15 तैनात कर रखे हैं. ये टैंक हल्के होने के चलते हाई ऑल्टिट्यूड यानी बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में बेहद तेजी से ऑपरेट कर सकते हैं. यही वजह है कि भारतीय सेना ने भी लाइट टैंक की तलाश शुरु की. बजाए किसी दूसरे देश से खरीदने के वर्ष 2022 में भारतीय सेना ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (सीवीआरडीई) लैब के साथ मिलकर जोरावर प्रोजेक्ट शुरू किया था. प्रोजेक्ट में ‘लार्सन एंड टुर्बो’ (एलएंडटी) कंपनी को भी शामिल किया गया जो इस तरह के लाइट टैंक पर पहले से काम कर रही थी.
डीआरडीओ के मुताबिक, जोरावर टैंक मात्र 25 टन का है, जो भारत के मौजूदा टैंक से मात्र आधा है. जोरावर टैंक में एंटी एयरक्राफ्ट गन के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक सहित ड्रोन टेक्नोलॉजी से भी लैस होगा. ये एक ‘एम्फीबियस’ प्लेटफॉर्म होगा जो नदी-नालों को आसानी से पार कर सकेगा.
भारतीय सेना ने लाइट टैंक का नाम 19वीं सदी के डोगरा मिलिट्री जनरल जोरावर सिंह के नाम पर दिया है जिन्होंने तिब्बत में जाकर चीनी सेना को पटखनी दी थी.
डीआरडीओ चीफ समीर वी कामत के मुताबिक, अब जोरावर टैंक के गर्मियों और सर्दियों के ट्रायल होंगे. साथ ही रेगिस्तान और लद्दाख जैसे हाई ऑल्टिट्यूड क्षेत्र में परीक्षण कराए जाएंगे. इसके बाद रक्षा मंत्रालय और सेना अधिग्रहण (खरीदने) की प्रक्रिया शुरू करेगी.
शुरुआत में भारतीय सेना ने 59 लाइट टैंक का ऑर्डर देने का प्लान तैयार किया है. हालांकि, सेना को कुल 354 लाइट टैंक की जरूरत होगी.