पिछले कई दशक से भारतीय वायुसेना के मिग-21 फाइटर जेट हमारे देश के पायलट की कीमती जान लेने पर उतारू थे. लेकिन अब इन ‘फ्लाइंग-कॉफिन’ को पूरी तरह से बाय-बाय करने का समय आ गया है. क्योंकि स्वदेशी लड़ाकू विमान एलसीए तेजस ने अब मिग-21 की जगह ले ली है, वो भी सीधे कश्मीर की एयरस्पेस में।
पिछले 60 सालों से यानि 1960 के दशक से भारत की हवाई सुरक्षा की जिम्मेदारी रूस में बने मिग-21 लड़ाकू विमानों के हवाले थी. मिग-21 भारत के पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट थे और पहला मिग-21 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ था. यानि इस साल मिग-21 ने भारत में 60 साल पूरे कर लिए हैं. पिछले 60 सालों में भारतीय वायुसेना ने कम से कम 900 मिग-21 लड़ाकू विमानों को उड़ाया है. इनमें से करीब साढ़े छह सौ भारत में ही बने थे और बाकी रूस से सीधे लिए गए थे. लेकिन पिछले 15-20 सालों से इन फाइटर जेट के क्रैश की घटनाएं बड़ी संख्या में सामने आ रही थीं. आंकड़ों की मानें तो पिछले 60 सालों में वायुसेना के 400 से ज्यादा मिग-21 विमान दुर्घटना का शिकार हुए हैं यानि क्रैश हुए हैं. इन दुर्घटनाओं में भारत के 170 पायलट की जान गई है. बड़ी संख्या में हमारे देश के जांबाज फाइटर पायलट की जान क्रैश में होने पर बॉलीवुड की ‘रंग दे बसंती’ जैसी मूवी भी बनी. लेकिन वायुसेना के पास इन मिग-21 फाइटर जेट को रिप्लेस करने के लिए कोई नया लड़ाकू विमान नहीं था. इसलिए वायुसेना की मजबूरी थी कि देश की एयर-स्पेस की सुरक्षा इन्ही फाइटर जेट से की जाए. लेकिन जब प्रेशर पड़ा तो वायुसेना ने इन मिग-21 को अपग्रेड किया और उन्हें नया नाम दिया गया ‘बाइसन’, मिग-21 बाइसन. लेकिन क्रैश होने का सिलसिला जारी रहा।
वर्ष 2019 में बालाकोट एयर-स्ट्राइक के बाद जब पाकिस्तान ने भारत पर हवाई हमले करने की कोशिश की तो भारतीय वायुसेना के इन्ही मिग-21 बाइसन फाइटर जेट ने हमले को नाकाम किया था. इसी मिग-21 बाइसन में सवार विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के एफ-16 फाइटर जेट को मार गिराया था. पाकिस्तान ने ये एफ-16 अमेरिका से लिया था. ऐसे में मिग-21 के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि माना गया. क्योंकि अमेरिका रूस के इन मिग-21 को ‘रस्ट- बकैट’ यानि जंग लगी हुई बाल्टी से ज्यादा कुछ नहीं मानता था. भारत और पाकिस्तान के बीच हुई इस डॉग-फाइट में पाकिस्तान को दुम-दबाकर भागना पड़ा लेकिन विंग कमांडर अभिनंदन का मिग-21 क्रैश हो गया था और उन्हें पाकिस्तान ने बंदी बना लिया था. हालांकि, भारत के दबाव में आकर पाकिस्तान को विंग कमांडर अभिनंदन को छोड़ना पड़ा और वापस भारत आने के बाद उन्हें वीर चक्र से नवाजा गया था और उन्हें प्रमोट कर ग्रुप कैप्टन बना दिया गया था।
पाकिस्तान के खिलाफ जब 2019 में डॉग-फाइट हुई थी तब विंग कमांडर अभिनंदन श्रीनगर एयर बेस पर तैनात थे. उनके मिग-21 बाइसन की स्क्वाड्रन भी वहां तैनात रहती थी. उनकी 51 स्क्वाड्रन को ‘स्वार्ड-आर्म’ के नाम से भी जाना जाता था. पिछले साल सितंबर के महीने में यानि करीब एक साल पहले उनकी स्क्वाड्रन को रिटायर कर दिया गया. क्योंकि उनकी स्क्वाड्रन के मिग-21 भी काफी पुराने हो चुके थे।
एलसीए तेजस ने अब मिग-21 की जगह ले ली है क्योंकि श्रीनगर के करीब अवंतीपुरा बेस पर एलसीए तेजस को तैनात किया गया है. पिछले एक साल से कश्मीर लगभग खाली पड़ा था. लेकिन पाकिस्तान कोई नापाक हरकत ना कर दे इसलिए अब यहां तेजस फाइटर जेट को तैनात किया गया है।
डीआरडीओ और एचएएल द्वारा तैयार किए गए ‘लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट’ (एलसीए) तेजस की अभी तक वायुसेना में दो स्क्वाड्रन हैं. ये दोनों ही स्क्वाड्रन तमिलनाडु में कोयंबटूर के करीब सुलूर एयरबेस पर तैनात रहती हैं. एक स्क्वाड्रन का नाम है ‘फ्लाइंग-डैगर्स’ तो दूसरी का है ‘फ्लाइंग-बुलेट’. अगर ये दोनों सुलूर में तैनात हैं तो अवंतीपुरा में कौन सी नई स्क्वाड्रन है. तो इसका जवाब है ‘डिटेचमेंट’।
सुलूर एयरबेस पर तैनात एलसीए तेजस की एक डिटेचमेंट को अवंतीपुरा में तैनात किया गया है. यानि कुछ एलसीए फाइटर जेट और उससे जुड़े पायलट, इंजीनियर और टेक्नीशियन को वहां भेजा गया है ताकि जब तक किसी नए फाइटर जेट की स्क्वाड्रन वहां पूरी तरह से तैनात ना हो जाए, तेजस ही वहां से जम्मू-कश्मीर और उससे जुड़ी एलओसी की एयर-स्पेस की निगहबानी करेंगे. इससे तेजस की कश्मीर घाटी में ट्रेनिंग भी हो पायेगी. ये डिटेचमेंट ठीक वैसी ही है जैसा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के खिलाफ वायुसेना ने मिग-29 फाइटर जेट को तैनात कर रखा है. हालांकि, इन मिग-29 लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रन पंजाब के एक फॉरवर्ड एयरबेस पर तैनात हैं लेकिन 2020 में गलवान घाटी की लड़ाई के बाद भारतीय वायुसेना ने मिग-29 की डिटेचमेंट लद्दाख में तैनात कर दी थी।
26 जुलाई यानि कारगिल विजय दिवस के मौके पर खुद वायु सेना की पश्चिमी कमान के एयर-ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, एयर मार्शल पी एम सिन्हा खुद अवंतीपुरा फॉरवर्ड एयर बेस पहुंचे और वहां तैनात तेजस के एयर-क्रू से मुलाकात कर ऑपरेशन्ल तैयारियों की समीक्षा की और प्रशंसा भी की. कारगिल युद्ध में अवंतीपोरा एयरबेस से ही वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सफेद सागर छेड़ा था. ऐसे में जब एयर मार्शल सिन्हा की तेजस के साथ तस्वीरें सामने आईं तब जाकर पता चला कि एलसीए तेजस को पाकिस्तान के खिलाफ तैनात कर दिया गया है. इससे पहले भी कई बार खबरें आई थीं कि तेजस को राजस्थान में पाकिस्तान सीमा से सटे फॉरवर्ड एयर बेस पर देखा गया है. लेकिन पहली बार आधिकारिक तौर से वायु सेना की पश्चिमी कमान ने ये जानकारी देशवासियों के साथ साझा की है।
भारत के पास फिलहाल दो स्क्वाड्रन में 40 एलसीए तेजस फाइटर जेट हैं. इसके अलावा वायु सेना ने 83 एलसीए मार्क-1ए की डील एचएएल से की है, जो इसका उत्पादन करती है. ये मार्क-1ए इन 40 तेजस से एडवांस हैं और माना जा रहा है कि अगलेे साल तक पहला मार्क-1ए फाइटर जेट बनकर तैयार हो जाएगा. यही वजह है कि वायुसेना ने पुरानी मिग-21 की स्क्वाड्रन की जगह इन एलसीए तेजस की तैनाती शुरू कर दी है।
वायुसेना में फिलहाल मिग-21 की तीन स्क्वाड्रन हैं यानि 50 के करीब मिग-21 फाइटर जेट हैं. ये सभी मिग-21 वर्ष 2025 तक पूरी तरह से रिटायर हो जाएंगे. इसके बाद भारतीय वायु सेना के पास मिग-21 फाइटर जेट नहीं बचेगा. तब तक एलसीए मार्क-1ए भी बड़ी संख्या में वायुसेना में शामिल हो जाएंगे. दरअसल, भारत ने अपना स्वदेशी एलसीए फाइटर जेट इन मिग-21 को रिप्लेस करने के लिए है तैयार किया है. यानि मिग-21 को पूरी तरह से बाय-बाय करने का समय आ गया है. क्योंकि स्वदेशी एलसीए तेजस चीन और पाकिस्तान दोनों से टक्कर लेने के लिए कमर कस चुका है।