पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर दुनिया की सबसे ऊंची सड़क के निर्माण की कमान कर्नल पोनुंग डोमिंग के हवाले हैं. चुमार सेक्टर में 19,400 फीट की ऊंचाई पर तैयार की जा रही ये सड़क दुनिया के सबसे ऊंचाई वाले फाइटर एयर बेस नियोमा को लिकारु से जोड़ती है. खास बात ये है कि कर्नल डोमिंग बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी बीआरओ की पहली महिला कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) भी हैं.
मूल रूप से अरूणाचल प्रदेश की रहने वाली कर्नल डोमिंग वर्ष 2008 में भारतीय सेना में कमीशन हुई थीं. पिछले साल यानी जून 2023 में उन्हें बीआरओ में पहली महिला कमांडिंग ऑफिसर का पद दिया गया था. सीओ बनते ही उन्हें देश की सबसे दूर-दराज लेकिन सामरिक तौर से बेहद महत्वपूर्ण चुमार सेक्टर में हेनले स्थित टास्क फोर्स की जिम्मेदारी दी गई. उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची सड़क निर्माण की बेहद ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई. 64 किलोमीटर लंबी ये सड़क नियोमा को मिगला और फुकचे के जरिए लिकारू से जोड़ेगी. मिग-ला (दर्रा) की ऊंचाई 19,400 फीट है. ये सड़क डेमचोक-फुकचे-डूंगती-चुशूल से कनेक्ट हो जाएगी.
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर स्थित डेमचोक एक लंबे समय से भारत और चीन के बीच फ्लैश पॉइंट (विवादित इलाका) बना हुआ है. पूर्वी लद्दाख में जिन दो-तीन विवादित इलाकों पर अभी भी चीन से तनातनी चल रही है उसमें डेमचोक मुख्य तौर से शामिल है. पूर्व में यहां कई बार चीन की पीएलए सेना की घुसपैठ देखने को मिली है. यही वजह है कि भारतीय सेना डेमचोक की कनेक्टिविटी बढ़ाने में जुटी है. चुशूल में भारतीय सेना का ब्रिगेड हेडक्वार्टर है.
नियोमा में भारतीय वायुसेना का नया एयरबेस तैयार किया जा रहा है. इस बेस का करीब 40 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है जिसमें एयर-स्ट्रीप की ब्लैक-टॉपिंग भी शामिल है. जल्द ही यहां मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और अटैक हेलीकॉप्टर ओपरेट करना शुरु कर देंगे. निकट भविष्य में फाइटर जेट भी यहां से उड़ान भर सकेंगे. चीन सीमा से नियोमा की एरियल दूरी महज 30 किलोमीटर है.
खास बात ये है कि कर्नल डोमिंग की कमान में सिर्फ सबसे ऊंची सड़क बनाने की जिम्मेदारी ही नहीं है बल्कि अभी जो दुनिया की सबसे ऊंची सड़क है उसका रख-रखाव भी शामिल है. ये है उमलिंग-ला दर्रे (19,024 फीट) के जरिए डेमचोक को चिसूमले से जोड़ने वाली रोड. आज कर्नल डोमिंग के नेतृत्व में हेनले टास्क फोर्स में दो अन्य महिला अधिकारियों को भी तैनात किया गया है.
गौरतलब है कि 60 साल तक बीआरओ पूरी तरह पुरुष-प्रधान संगठन माना जाता था. अगर कोई महिला अधिकारी बीआरओ में तैनात की भी जाती थी तो उन्हें स्टाफ (ऑफिस) जिम्मेदारी दी जाती थी. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान से सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की भागीदारी (नारी सशक्तिकरण) के लिए वर्ष 2021 में बीआरओ में भी महिलाओं को फील्ड वर्क की जिम्मेदारी मिलनी शुरु हुई.
8 मार्च 2021 यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ईई (सिविल) वैशाली एस हिवासे को एक रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी (आरसीसी) का ऑफिसर कमांडिंग (ओसी) बनाने की घोषणा की गई थी. ओसी वैशाली ने अप्रैल महीने में उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में एलएसी के करीब मुनस्यारी को मिलम ग्लेशियर को जोड़ने की जिम्मेदारी संभाली थी. वैशाली के बाद ईई (सिविल) ओबिन ताकी को अरुणाचल प्रदेश की सियांग वैली में ओसी के पद पर तैनात किया गया.
अगस्त 2021 में उत्तराखंड के चमोली जिले में पहली बार मेजर आइना रैना की कमान में ऑल-वूमेन आरसीसी को स्थापित किया गया. उनके अंतर्गत तीन महिला प्लाटून कमांडर थीं. मेजर रैना ने ही उमलिंग ला के बाद दुनिया की दूसरी (अब तीसरी) ऊँची सड़क माना पास (18,478 फीट) बनाने का उत्कृष्ट कार्य किया था. अक्टूबर 2022 में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माना गांव पहुंचे थे और सामरिक तौर से महत्वपूर्ण इस सड़क के चौड़ीकरण करने का शिलान्यास किया था.
आज बीआरओ में कई महिला सैन्य अधिकारी हैं जो देश के अलग-अलग हिस्सों में बॉर्डर रोड और सीमावर्ती इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में जुटी हैं. इनमें कर्नल नवनीत दुग्गल (ईमई वर्कशॉप, कश्मीर), कर्नल अर्चना सूद (सीओ, जीरो टास्क फोर्स, अरुणाचल प्रदेश) और कर्नल स्निग्धा शर्मा (लीगल सेल, बीआरओ हेडक्वार्टर) शामिल हैं.
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