थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने साफ कर दिया है कि देश अपनी रक्षा को आउटसोर्स नहीं कर सकता है और उसे दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. थलसेनाध्यक्ष ने ये भी साफ किया कि जरूरी नहीं हेै कि जिन देशों की सेनाओं तकनीकी रुप से ज्यादा सशक्त हैं तो जीत उनकी ही होगी.
हाल ही में राजधानी में आयोजित एक सेमिनार, ‘भारत के उदय में हार्ड पावर की प्रासंगिकता’ विषय पर बोलते हुए जनरल मनोज पांडे ने इस बात पर जोर दिया कि महत्वपूर्ण तकनीक आयात करने का मतलब है कि भारत हमेशा दूसरों से एक कदम पीछे रहेगा. उन्होंने कहा कि आर्थिक शक्ति होना अहम है, लेकिन इसके साथ सैन्य ताकत होने से परिणामों और हितों को आकार देने में मदद मिल सकती है.
थलसेना प्रमुख के मुताबिक, आत्मनिर्भरता आधुनिक दौर की वास्तविकताओं को अपनाने की कुंजी होगी। स्वदेशी रक्षा उद्योग के फलने-फूलने के साथ सरकार निजी क्षेत्र को जोड़ने और अगली पीढ़ी की क्षमताओं को विकसित करने की इच्छा रखती है.
एक अन्य कार्यक्रम में बोलते हुए जनरल पांडे ने कहा कि युद्ध में तकनीक मात्र ही सफलता की गारंटी नहीं है. वियतनाम और अफगानिस्तान का उदाहरण देते हुए जनरल पांडे ने कहा कि सैन्य तकनीक के साथ-साथ सामरिक दृष्टिकोण भी बेहद जरुरी है. अगर ऐसा नहीं होता है तो टेक्नोलॉजिकल-एडवांटेज टेक्टिक्ल लेवल तक ही सीमित रह जाता है.
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