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चीन के बॉर्डर-विलेज का काउंटर करेगा प्राईवेट सेक्टर

बॉर्डर एरिया में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए रक्षा मंत्रालय ने प्राईवेट कंपनियों को आगे आकर योगदान देने का आह्वान किया है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियों को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में मदद करने का आग्रह किया है. 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा आयोजित ‘बुनियादी ढांचे के विकास में उभरती प्रौद्योगिकियों’ पर राजधानी दिल्ली में आयोजित संगोष्ठी एवं उद्योग बैठक का उद्घाटन करते हुए रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार द्वारा काफी ध्यान दिया जा रहा है लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों को भी सरकारी तंत्र को मजबूती प्रदान करने की सख्त जरूरत है. 

रक्षा सचिव ने कहा कि सरकार जहां सशस्त्र बलों को आधुनिक हथियार और उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं, वहीं निजी क्षेत्र को सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में योगदान देना चाहिए. उन्होंने ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ का उल्लेख किया जिसका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों को अपने मूल स्थानों पर रहने के लिए प्रेरित करना है. अरमाने ने इसके लिए कंपनियों से आग्रह किया कि वे अपने संबंधित संगठनों के भीतर एक अलग अनुभाग स्थापित करें जो दूर-दराज के क्षेत्रों में विकास पर ध्यान दे.

दरअसल, लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन अपनी सीमा में इंफ्रास्ट्रक्चर को लगातार मजबूत करता जा रहा है. इसी कड़ी में चीन ने 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर जगह-जगह मिलिट्री विलेज बनाने शुरु कर दिए हैं. चीन ने भारत से सटी एलएसी पर 700-800 ऐसे ‘शियाओकांग’ (गांव) बनाने का लक्ष्य रखा है. माना जा रहा है कि 34 हजार करोड़ के बजट वाली इस परियोजना में चीन के पूर्व सैनिकों को शियाओकांग (चीनी भाषा में समृद्ध) गांवों में लाकर बसाया जा रहा है. माना जा रहा है कि युद्ध के समय इन गांवों को सैन्य छावनियों में तब्दील कर दिया जाएगा. भारत के लिए ये एक गंभीर समस्या है. 

हालांकि, बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) द्वारा पिछले 8-10 सालों में भारतीय सेना और वायुसेना के लिए जरुरी डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर सहित सीमावर्ती रोड, ब्रिज और टनल का जबरदस्त निर्माण किया है लेकिन सीमा के करीब गांवों की स्थिति बेहद दयनीय है. सामाजिक और आर्थिक विकास में धीमी गति और रोजगार के अभाव में सीमावर्ती गांवों से लोगों का जबरदस्त पलायन हो रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार ने 4800 करोड़ का ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोजेक्ट’ लॉन्च किया है. 

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत, चीन सीमा से सटे पूर्वी लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक 662 गांवों को चिन्हित कर उनका सामाजिक और आर्थिक उत्थान करने की योजना है. ये सभी गांव बॉर्डर से 10 किलोमीटर के दायरे में हैं. इन गांवों में रोड कनेक्टिविटी, रोजगार के साधन, रहने के लिए घर, सौर ऊर्जा, टूरिज्म को बढ़ावा और स्किल डेवलपमेंट जैसी सुविधाएं शामिल हैं. इस कार्यक्रम का शुभारंभ अप्रैल 2023 में अरुणाचल प्रदेश के किबिथू से हुई थी. अरुणाचल प्रदेश में ऐसे 455 गांवों का विकास किया जाएगा. लद्दाख में ऐसे गांवों की संख्या 35 है जबकि हिमाचल प्रदेश में 51, उत्तराखंड में 51 और सिक्किम में 46 है.

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