यूक्रेन से लौटते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पाकिस्तानी एयरस्पेस में 46 मिनट बिताने के दौरान सद्भावना संदेश ना मिलने पर रोने वाले पाकिस्तान ने अब भारत को भेजा है न्योता. पाकिस्तान में इस साल अक्टूबर के महीने में एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) की बैठक होनी है. इसके लिए पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दुनिया के कई नेताओं को इस्लामाबाद आने के लिए आमंत्रित किया है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या प्रधानमंत्री पाकिस्तान जाएंगे, वो भी ऐसे वक्त में जब पाकिस्तान लगातार कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ करा रहा है ?
पिछले महीने कारगिल विजय दिवस के मौके पर भी पीएम मोदी ने पाकिस्तान पर करारा प्रहार करते हुए कहा था कि प्रॉक्सी युद्ध को बढ़ावा देने के पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को भारतीय सेना ‘पूरी तरह से कुचल’ देंगी. पीएम ने यहां तक कह दिया था कि पाकिस्तान ने अपनी ‘पिछली हार से सबक नहीं सीखा है’.
क्या पाकिस्तान जाएंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?
इस साल एससीओ की बैठक इस्लामाबाद में 15-16 अक्टूबर को होनी है. जानकारी के मुताबिक, एससीओ के तहत सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया जाता है. इसी परंपरा को निभाते हुए शहबाज शरीफ सरकार ने भी पीएम मोदी को इस्लामाबाद आने का निमंत्रण दिया है. पर माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्ट्रॉंग मैसेज देते हुए इस बार शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे. भारत की ओर से पीएम की जगह हालांकि, किसी वरिष्ठ मंत्री को इस्लामाबाद जाने के लिए मनोनीत किया जा सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि एससीओ की बैठक में अगर वर्चुअल संबोधन की सुविधा मिलती है तो पीएम वर्चुअली संबोधित कर सकते हैं.
क्या है शंघाई सहयोग संगठन?
चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, भारत, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान एससीओ के सदस्य देश हैं. शंघाई सहयोग संगठन की मेजबानी बारी-बारी से इसके सदस्य देशों को मिलती है. इस बार बैठक की मेजबानी की जिम्मेदारी पाकिस्तान को मिली है, शंघाई सहयोग संगठन की राष्ट्र प्रमुखों की बैठक में पीएम मोदी शामिल होते रहे हैं, लेकिन इसी साल जुलाई के महीने (3-4 जुलाई) में कजाकिस्तान में हुई बैठक में संसद के सत्र के चलते प्रधानमंत्री मोदी की जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए थे
.इसी साल से एससीओ संगठन में ईरान और बेलारूस भी शामिल हो गए हैं. ऐसे में एससीओ में अब 10 देशों को समूह हो गया है, जिसे पश्चिमी देशों के काउंटर-फोर्स के तौर पर देखा जा रहा है. इस समूह में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो पश्चिमी देशों का विरोध नहीं करता है.
पुलवामा-उरी के बाद पाकिस्तान पर भारत ने की सर्जिकल एयर स्ट्राइक
पिछले साल मई के महीने में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए भारत आए थे. गोवा में बिलावल भुट्टो ने बैठक में शिरकत की थी. वहीं साल 2015 में दिवंगत भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान में हुई बैठक में हिस्सा लिया था. हालांकि 2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने शहबाज के भाई नवाज शरीफ से दोस्ती का हाथ बढ़ाया था. साल 2015 में पीएम मोदी ने अचानक लाहौर पहुंचकर सबको चौंका दिया था. नवाज शरीफ और पीएम मोदी का याराना एयरपोर्ट पर दिखा था जब नवाज शरीफ और पीएम मोदी ने एक दूसरे को गले लगा लिया था. पाकिस्तान की कारस्तानी के चलते हालांकि, पीएम मोदी और शहबाज शरीफ में संबंध तल्खी वाले हैं, क्योंकि बार-बार चेतावनी के बावजूद पाकिस्तान सुधर नहीं रहा है और जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ करा रहा है, जिसकी कीमत हमारे वीर सैनिकों को चुकानी पड़ रही है.
इस्लामाबाद-लाहौर के ऊपर पीएम मोदी ने भरी उड़ान?
पाकिस्तान ने दावा किया है कि पीएम मोदी ने पोलैंड और यूक्रेन से लौटते वक्त पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल किया. पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र के माध्यम से पीएम मोदी ने 46 मिनट की अप्रत्याशित यात्रा की और पीएम मोदी का विमान इस्लामाबाद और लाहौर के आसमान से गुजरा. पाकिस्तान नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी का विमान सुबह 10:15 बजे पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में दाखिल हुआ और 46 मिनट पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में बिताने के बाद 11:01 बजे वापस चला गया. पाकिस्तानी मी़डिया का दावा है कि भारतीय प्रधानमंत्री का विमान चित्राल के रास्ते पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में दाखिल हुआ और भारत के अमृतसर में दाखिल होने से पहले इस्लामाबाद और लाहौर के हवाई नियंत्रण क्षेत्रों से गुजरा.
अगर कोई देश दूसरे देश का एयरस्पेस इस्तेमाल करता है तो सद्भावना संदेश देता है. पर पाकिस्तान इस बार से रो रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को सद्भावना संदेश देने की परंपरा तोड़ी और अब पीएम मोदी को न्योता देकर पाकिस्तान से संबंध सुधारने की दुहाई दे रहा है.
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