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आपदा प्रबंधन में मददगार स्वदेशी ड्रोन, Logsitics में सेना को दरकार

मिलिट्री ऑपरेशन्स के साथ-साथ ड्रोन का इस्तेमाल प्राकृतिक आपदा के दौरान मानवीय सहायता के लिए भी किया जा सकता है. हाल ही में आंध्र प्रदेश में आई बाढ़ के दौरान पहली बार लॉजिस्टिक ड्रोन का इस्तेमाल बिल्डिंग में फंसे लोगों को खाने-पीने का सामान पहुंचाने के लिए किया गया. अभी तक इस तरह के जोखिम भरे मिशन वायुसेना के हेलीकॉप्टर करते आए थे.

लेह-लद्दाख में इनदिनों चल रहे दो दिवसीय ‘ड्रोन-ए-थॉन’ (17-18 सितंबर) में देशभर की करीब 20 कंपनियां हिस्सा ले रही हैं. ये कंपनियां अपने तरह-तरह के ड्रोन को भारतीय सेना के सामने प्रदर्शित करने और उनकी क्षमताओं के टेस्ट के लिए लेकर आई हैं. इनमें लॉजिस्टिक ड्रोन बनाने वाली कंपनियां भी शामिल हैं.

भारतीय सेना को लॉजिस्टिक ड्रोन की जरूरत ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ के लिए है. क्योंकि पूर्वी लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सेना की चौकियों 14-15 हजार फीट की ऊंचाई पर बेहद दुर्गम इलाकों में है. ऐसे में इन चौकियों तक सड़क-मार्ग नहीं है और सैनिकों को सप्लाई खच्चर के जरिए या फिर पोर्टर के जरिए की जाती है. इसमें एक लंबा वक्त लगता है. ड्रोन के जरिए खाने-पानी की वस्तुएं, रसद और हथियार तक हाई ऑल्टिट्यूड क्षेत्र में बेहद कम समय में पहुंचाए जा सकते हैं.

ऐसे में भारतीय सेना लॉजिस्टिक ड्रोन की तलाश कर रही है. ड्रोन-ए-थॉन में बेंगलुरु की ‘नियोस्काई’ ने भी हिस्सा लिया है. दिल्ली स्थित ‘रतन इंडिया’ की  सब्सिडियरी (सहायक कंपनी)  नियोस्काई ने हाल ही में आंध्र प्रदेश की बाढ़ के दौरान घरों में फंसे लोगों तक अपने खास एल-15 कार्गो ड्रोन के जरिए खाना, दूध, पानी और दूसरा जरुरी सामान सप्लाई किया था. कंपनी ने इसका एक वीडियो भी रिलीज किया था.

देश में शायद पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल मानवीय सहायता के लिए किया गया है. अभी तक देश में ड्रोन का ट्रायल ही चल रहा था. प्राकृतिक आपदा में प्रशासन की मदद के चलते ही नियोस्काई ने अपने लॉजिस्टिक ड्रोन को सेना के ड्रोन-ए-थॉन में प्रदर्शित किया है.

एल-15 करीब 15 किलो के भार को उठाने में सक्षम है और करीब 45 मिनट तक आसमान में रह सकता है. कंपनी का दावा है कि एल-15 कार्गो ड्रोन करीब छह हजार (6000) मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1836312587157360991?s=46)

नियोस्काई के सीईओ, शरथ चंद्र जी. के मुताबिक, किसी भी आपदा के मैनेजमेंट के दौरान ड्रोन लोगों की ‘लाइफ-लाइन’ की तरह कार्य कर सकते हैं.

गौरतलब है कि एल-15, कंपनी का पहला ड्रोन नहीं है. इससे पहले नियोस्काई (और सब्सिडियरी  कंपनी ‘थ्रोटल एयरोस्पेस सिस्टम’) ने वर्ष 2022 में दुश्मन के क्वाडकॉप्टर और रौग-ड्रोन को काउंटर करने के लिए ड्रोन-डिफेंडर लॉन्च किया था. ड्रोन-डिफेंडर के जरिए दुश्मन के ड्रोन को एक जाल में फंसाकर नीचे गिराया जा सकता है.