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हंगरी के पीएम केरल में, छुट्टी या कूटनीतिक प्लान

भारत में मौजूद हैं हंगरी के पीएम विक्टर ओरबान. पर क्या सच में ओरबान केरल घूमने आए हैं या फिर इसके पीछे छिपा हुआ है कोई कूटनीतिक प्लान? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि विक्टर ओरबान वो वैश्विक नेता हैं जो भारत की तरह ही रूस और यूक्रेन में युद्ध रोकने की पैरवी करते हैं.

विक्टर ओरबान इस साल 1 जनवरी तक यूरोपीय संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं और पुतिन के अच्छे मित्र माने जाते हैं. विक्टर ओरबान ने खुद को युद्ध रोकने के वार्ताकार के तौर पर भी पेश किया है. हंगरी के पीएम पिछले साल जुलाई में पुतिन से लंबी चर्चा के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मिलने पहुंचे थे. विक्टर ओरबान ने जेलेंस्की और पुतिन से मुलाकात करके युद्ध रुकवाने की कोशिश की है. ओरबान ने शांति मिशन के तौर पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की थी.

केरल घूमने पहुंचे हैं हंगरी के पीएम विक्टर ओरबान 

इन दिनों केरल में घूमते हुए हंगरी के पीएम की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं. वायरल तस्वीरों में विक्टर ओरबान कोच्चि के ऑटो रिक्शा जिसे टुक-टुक कहा जाता है, उसमें सवारी करते दिखे और बाद में ड्राइवर्स के साथ फोटो भी खिंचवाई. पीएम विक्टर पिछले सप्ताह से बेहद निजी दौरे पर केरल में छुट्टी पर हैं, उनके साथ उनकी पत्नी और दो बेटियां भी हैं.

पहले तो कहा गया कि विक्टर केरल में इलाज के लिए पहुंचे हैं, पर विक्टर ने स्वास्थ्य को लेकर फैली बातों को अफवाह बताया है. विक्टर ने कहा है कि “केरल आने की दो वजह हैं, एक तो वास्को डि गामा, जिन्हें वो बेहद पसंद करते हैं, उनका निधन कोच्चि में हुआ था. दूसरा ये कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. हंगरी के पीएम ने कहा कि संस्कृति में रुचि रखने वाले पर्यटकों को मैं भारत आने की सलाह दूंगा.”

विक्टर ओरबान, 16 जनवरी तक परिवार के साथ केरल में रहेंगे. 

निजी यात्रा या युद्ध रुकवाने की लिखी जा रही पटकथा

भले ही ये कहा जा रहा है कि हंगरी के पीएम की केरल यात्रा बेहद निजी है वो इस दौरान किसी भी आधिकारिक चर्चा में शामिल नहीं हो रहे हैं. लेकिन अगर समय पर गौर किया जाए तो पीएम विक्टर का दौरा डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से ठीक पहले हो रहा है. साथ ही चर्चा ये भी चल रही है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आने वाले हैं. ट्रंप और पुतिन के बीच हंगरी के पीएम एक अहम कड़ी हैं, क्योंकि दोनों ही पीएम विक्टर के करीबी हैं.

पुतिन, पीएम मोदी पर आंख बंद करके भरोसा करते हैं. रूस के राष्ट्रपति साफ कह चुके हैं कि युद्ध रुकवाने के लिए भारत, चीन, ब्राजील अहम भूमिका निभा सकते हैं. यही बात ट्रंप भी कह रहे हैं कि वो युद्ध रुकवाना चाह रहे हैं.

हंगरी पीएम पहले ही शांति की स्वतंत्र कोशिश कर चुके हैं. ऐसे में कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि हंगरी के पीएम की मदद से ट्रंप और पुतिन दोनों की मुलाकात का स्टेज कहीं भारत ही तो नहीं बनने जा रहा है?

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