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मोदी पहुंचे वाशिंगटन DC, तुलसी गबार्ड से की सबसे पहले मुलाकात

वाशिंगटन डीसी पहुंचते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले अमेरिकी की नवनिर्वाचित डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (डीएनआई) तुलसी गबार्ड से मुलाकात की. तुलसी ने एक दिन पहले ही अमेरिका के सबसे पावरफुल पदभार में से एक संभाला है. हिंदू धर्म को मानने वाली तुलसी को एक समय, मोदी और पुतिन की कठपुतली कहा जाता था.

प्रधानमंत्री मोदी का बेहद सम्मान करने वाली तुलसी ने अपने आलोचकों का मुंह जबरदस्त तरीके से बंद कर दिया था. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेहद खास सिपहसालारों में से एक हैं तुलसी, जो यूएस आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं.

भारत-अमेरिकी संबंधों की मजबूत समर्थक हैं तुलसी

तुलसी से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने ‘एक्स’ पर अमेरिकी के डीएनआई के पद संभालने पर बधाई देते हुए लिखा कि तुलसी गबार्ड से भारत-यूएसए मित्रता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जिसके वे हमेशा एक मजबूत समर्थक रही हैं.

अमेरिका के इतिहास में पहली बार कोई हिंदू महिला राष्ट्रपति के कैबिनेट का हिस्सा बनी हैं. डीएनआई एक कैबिनेट पद है जिसके अंतर्गत अमेरिकी की सभी आंतरिक इंटेलिजेंस एजेंसियां काम करती हैं.

वर्ष 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने वाली तुलसी, दो साल पहले रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हो गई थी. ट्रंप के चुनाव के लिए तुलसी ने जी-तोड़ मेहनत की थी. (https://x.com/narendramodi/status/1889846510726283412)

डीप-स्टेट के खिलाफ चलाया था अभियान

चुनाव अभियान के दौरान तुलसी ने ट्रंप के खिलाफ डीप-स्टेट सक्रिय होने का आरोप लगाया था. तुलसी का आरोप था कि डीप-स्टेट, जो बाइडेन को राष्ट्रपति बनाने के फिराक में था. ट्रंप भी अमेरिका के डीप-स्टेट के खिलाफ रहे हैं और सत्ता संभालते ही डीप-स्टेट को मदद करने वाली संस्था यूएसएआईडी को बंद कर दिया है.

हाल ही में अमेरिका के पूर्व अधिकारी ने इस बात का खुलासा किया था कि यूएसएआईडी ने पीएम मोदी को चुनाव हराने के लिए विरोधियों को फंडिंग की थी. यहां तक की सोशल मीडिया पर मोदी के विरोध वाले नैरेटिव को बढ़ावा दिया था.

9/11 हमले के बाद ज्वाइन की थी यूएस आर्मी

अमेरिका के सबसे बड़े आतंकी हमला 9/11 के बाद तुलसी ने यूएस आर्मी (रिजर्व) ज्वाइन की थी. उस वक्त, वे महज 21 वर्ष की थी. अपने दो दशक के मिलिट्री करियर में तुलसी ने इराक सहित अफ्रीका में भी अपना सैन्य कार्यकाल बिताया है.

योग और फिटनेस के लिए मशहूर तुलसी के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं. पिस्टल से फायरिंग करने के वीडियो भी उनके खासे चर्चित हैं.

हिंदू धर्म माननी वाली मां ने रखा था नाम तुलसी

तुलसी की मां ने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया था. यही वजह है कि मां ने उनका नाम तुलसी रखा था, जो हिंदू धर्म में एक पवित्र पौधा है जिसकी पूजा की जाती है.

तुलसी खुद हिंदू धर्म से जुड़े श्लोक बोलती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक मुलाकात के दौरान उन्होंने गीता की कॉपी भेंट की थी. इतना ही नहीं उन्होंने पीएम मोदी का गुजरात दंगों पर समर्थन भी किया है. तुलसी का मानना है कि गुजरात दंगों (गोधरा कांड) के लिए हिंदुओं को उकसाया गया था.

हिंदुओं की कट्टर समर्थक हैं तुलसी, बांग्लादेश की लगाई थी क्लास

हाल ही में एक वीडियो जारी करके तुलसी गबार्ड ने पाकिस्तानी आर्मी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के शासन में हो रहे हिंदुओं पर हमले को लेकर जमकर क्लास लगाई थी. तुलसी गबार्ड ने कहा, “कांग्रेस की सदस्‍य होने के नाते मैं बांग्लादेश में हिन्दू और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे हमलों को लेकर प्रस्‍ताव लाना चाहूंगी. आज भी वहां लोगों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. इस प्रताड़ना की शुरुआत आज से 50 साल पहले हुई. जब पाकिस्‍तानी सेना ने वहां सिस्‍टमैटिक तरीके से बंगाली हिन्‍दुओं को मारा, उनके साथ रेप किया गया. पाकिस्‍तानी सेना द्वारा 25 मार्च 1971 को इस सिस्टमैटिक तरीके से हिंदुओं को निशाना बनाने की शुरुआत की गई.” 

मोदी-पुतिन की कठपुतली कहने पर बिगड़ी थी अमेरिकी संसद पर

तुलसी का नाम हालांकि विवादों में घिरा रहा है. कभी सीरिया के मुद्दे पर तो कभी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का समर्थन करने के लिए तुलसी विवादों में भी रही हैं. रूस-यूक्रेन जंग में तुलसी ने ट्रंप की ही तरह बाइडेन की नीतियों का खुलकर विरोध किया था. तुलसी ने जंग में यूक्रेन को मदद ना देने का आह्वान किया था.

डीएनआई पद की पुष्टि के लिए तुलसी जब कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के समक्ष पेश हुई थी तो विपक्षी (डेमोक्रेटिक पार्टी) पार्टी की जमकर क्लास लगाई थी. डेमोक्रेटिक पार्टी ने ही तुलसी को मोदी-पुतिन की कठपुतली का आरोप लगाया था.