भारत-पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते को पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ‘डेड डॉक्यूमेंट’ बताया है. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने अपने ताजा बयान में कहा है कि अब भारत पाकिस्तान के बीच की स्थिति पुरानी वाली है और एलओसी को अब सीजफायर लाइन समझा जाए. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने भारत के साथ विवादों को बहुपक्षीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निपटने का जिक्र किया है.
ख्वाजा आसिफ का ये बयान एलओसी खत्म होना, भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि अब भारत बेरोकटोक एलओसी पार करके आतंकियों को ठोंक सकेगा और पीओके में भी भारत की डायरेक्ट पहुंच होगी.
सिंधु जल निलंबित हो या न हो, शिमला समझौता खत्म हो चुका है, एलओसी का अस्तित्व नहीं:ख्वाजा आसिफ
ख्वाजा आसिफ ने एक हालिया इंटरव्यू में कहा है कि “शिमला समझौता अब एक मृत दस्तावेज बन चुका है। हम 1948 की स्थिति पर वापस आ गए हैं, जब संयुक्त राष्ट्र ने संघर्ष विराम और प्रस्तावों के बाद नियंत्रण रेखा को युद्ध विराम रेखा घोषित किया था. सिंधु जल संधि निलंबित हो या न हो, शिमला समझौता पहले ही खत्म हो चुका है. इन विवादों को बहुपक्षीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निपटाया जाएगा.”
एलओसी खत्म मतलब पीओके से सीधा संपर्क, भारत सीमा पार कर आतंकियों को मिट्टी में मिलाएगा
1972 में हुए शिमला समझौते ने एलओसी को स्थायी सीमा के रूप में मान्यता दी गई थी. इसके तहत दोनों देशों ने बल प्रयोग न करने और नियंत्रण रेखा का सम्मान करने की प्रतिबद्धता जताई थी. शिमला समझौता के तहत एलओसी निलंबित होने का मतलब ये है कि भारत नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में अधिक आक्रामक रणनीति अपना सकता है. भारत पीओके के लोगों के साथ सीधा संपर्क स्थापित कर सकता है. पीओके के अंदर अब जब तिरंगा लहराया गया है, तो पाकिस्तान को पीओके खोना पड़ेगा, जो कि भारत का ही हिस्सा है. भारत अपनी नीतियों को और मजबूत करने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा. भारत की डायरेक्ट पहुंच उन क्षेत्रों पर भी हो जाएगी जो शिमला समझौते के तहत पाकिस्तान को दे दिए गए थे.
क्या है शिमला समझौता समझिए
शिमला समझौता एक महत्वपूर्ण समझौता था, जो 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था. इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ बातचीत करने और शांतिपूर्ण तरीके से विवादों का समाधान करने का वादा किया था.
इस समझौते के जरिए जम्मू और कश्मीर में 1971 के युद्धविराम रेखा को लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के रूप में मान्यता देना और दोनों देशों को इसे सम्मान करने के लिए सहमत किया गया था. इस समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध में कब्जाई गई जमीन की वापसी पर सहमति जताई थी.
लेकिन पाकिस्तान ने 1999 में शिमला समझौते का उल्लंघन किया था, जब पाकिस्तानी सैनिक जम्मू और कश्मीर के भारतीय क्षेत्र में घुस गए थे. तब करगिल युद्ध हुआ था.
युद्ध का खतरा बना हुआ है, ख्वाजा ने दिखाई जेएफ 17 की धौंस
ख्वाजा आसिफ ने कहा, क्षेत्रीय तनाव जारी है. भारत के साथ युद्ध का खतरा अभी भी बना हुआ है. पाकिस्तान युद्ध नहीं चाहता है, लेकिन अगर यह हम पर थोपा गया, तो प्रतिक्रिया पहले से भी अधिक मजबूत होगी,हमारे जेएफ-17 थंडर लड़ाकू विमानों के ऑर्डर आ रहे हैं.”
हद है जनाब, भारत ने तो आतंकियों पर कार्रवाई की थी, खुद पाकिस्तानी सेना बिलबिला उठी तो भारतीय सेना एक्शन लेगी ही ना. जिस जेएफ 17 की धौंस दे रहे हैं ख्वाजा आसिफ, ऑपरेशन सिंदूर पार्ट 2 में उसका क्या हश्र हुआ, ये दुनिया के सामने है. छिपे-छिपे पाकिस्तान ने जेएफ 17 के रिपेयरिंग का टेंडर भी जारी किया है.