ईरान के साथ जंग में भारी गोला बारूद की कमी से जूझ रहा है इजरायल. एक रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल के पास 10-12 दिनों का एयर डिफेंस भंडार बचा है. अगर इजरायल को फौरन अमेरिका या मित्र देशों से सैन्य आपूर्ति नहीं हुई तो ईरान के सामने टिकना मुश्किल हो जाएगा.
गंभीर गोला बारूद की कमी से जूझ रहे इजरायल के एक टॉप डिफेंस ऑफिसर ने भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह से फोन पर अहम बातचीत की है. भारत या इजरायल ने इस बातचीत का ब्यौरा साझा नहीं किया है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक ये बातचीत सैन्य आपूर्ति को लेकर हो सकती है.
भारत के रक्षा सचिव से इजरायली अफसर की बात
भारत के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इजरायल के रक्षा मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल (रिटायर्ड) आमिर बराम ने राजेश कुमार सिंह को खुद फोन किया और मौजूदा (इजरायल-ईरान युद्ध) से जुड़ी परिस्थितियों से अवगत कराया.
भारत के रक्षा सचिव देश के गोला-बारूद और हथियारों के निर्माण की सीधी जिम्मेदारी निभाते हैं. हथियारों की खरीद-फरोख्त से लेकर गोला-बारूद के निर्यात की जिम्मेदारी रक्षा सचिव ही निभाते हैं.
इजरायल और भारत के अधिकारी के बीच ये बातचीत ऐसे वक्त में हुई है जब इजरायल के सामने गोला-बारूद की कमी है और एयर डिफेंस सिस्टम, ईरान की मिसाइलों को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है.
ईरान के हमलों को रोक पाने में नाकाम आयरन डोम, इजरायल के पास ऐरो मिसाइल की कमी
13 जून को इजरायल के लॉन्च ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के जवाब में ईरान ने ऑपरेशन ट्रू-प्रॉमिस-3 लॉन्च किया. ईरान ने इजरायल के सबसे बड़े शहर तेल अवीव पर हाइपरसोनिक मिसाइल फतह का इस्तेमाल किया है. ईरान की इन मिसाइलों को इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम रोक पाने में नाकाम साबित हुआ है.
ईरान की लंबी दूरी की बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने के लिए आईडीएफ, अमेरिका की मदद से तैयार की गई ऐरो मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल करती हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों से चल रही जंग के बाद इजरायल के पास बेहद कम दिनों के लिए ऐरो मिसाइल बची हैं. ऐसे में अगर अमेरिका ने मदद नहीं की या ईरान के साथ जंग में नहीं शामिल हुआ तो इजरायल के लिए आने वाले दिन भारी पड़ सकते हैं. ऐरो की रेंज करीब 2400 किलोमीटर है.
भारत-इजरायल अच्छे सैन्य साथी, ऑपरेशन सिंदूर में इजरायली ड्रोन ने मचाई थी पाकिस्तान में तबाही
ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इजरायल को भारत से गोला-बारूद या फिर एयर डिफेंस सिस्टम चाहता है, जो ईरान की मिसाइल इंटरसेप्ट करने के साथ-साथ रोकने में कामयाब हो.
मई के महीने में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारत के आईएसीसीएस और आकाशतीर सिस्टम ने पाकिस्तान की मिसाइल और ड्रोन के हमले को नाकाम कर दिया था. इजरायल की सेनाएं, आयरन डोम (एयर डिफेंस सिस्टम) का इस्तेमाल, कम दूरी की मिसाइल, रॉकेट और ड्रोन को मार गिराने के लिए इस्तेमाल करती है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान की दागी गई 300 मिसाइलों में से कम से कम 40 मिसाइल ऐसी हैं जिन्हें ऐरो या फिर आयरन डोम डिटेक्ट नहीं कर पाया. ऐसे में तेल अवीव और हाइफा पोर्ट में भारी नुकसान की खबर सामने आई हैं. इसके अलावा मध्यम दूरी की डेविड स्लिंग मिसाइल प्रणाली का इस्तेमाल, इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) करती हैं, जिसकी रेंज 300 किलोमीटर है.
इजरायल ने की थी कारगिल युद्ध में हिंदुस्तान की मदद, गाजा संघर्ष में भी भारत ने की मदद
भारत और इजरायल में बहुंत अच्छी और गहरी दोस्ती है. दोनों देशों में अच्छे सैन्य संबंध हैं. इजरायल के संकट के वक्त भारत ठीक उसी तरह से मदद कर सकता है, जैसे कारगिल युद्ध के दौरान इजरायल ने गाइडेड लेजर बम की सप्लाई करके भारत की मदद की थी.
पिछले साल मई के महीने में जब हमास के खिलाफ ऑपरेशन में इजरायल को मदद की जरूरत पड़ी थी तो सरकारी रक्षा कंपनी म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड ने इजरायल को विस्फोटक की सप्लाई की थी.म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड कंपनी भारत के रक्षा मंत्रालय के तहत काम करती है. भारतीय निजी कंपनी प्रीमियर एक्सप्लोसिव लिमिटेड भी इजरायल को साल 2021 से विस्फोटकों की सप्लाई कर रही है.