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…मुझे बड़ी कीमत चुकानी होगी, मोदी का ट्रंप के Tariff पर बड़ा बयान

By Nalini Tewari

अमेरिका के 50 प्रतिशत टैरिफ और जुर्माने को लेकर पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया है बयान. पीएम मोदी ने कहा,  मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं. हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है. भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा.

किसानों के हितों से हम समझौता नहीं करेंगे: पीएम मोदी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर करारा जवाब दिया है. पीएम मोदी ने कहा कि “भारत अपने किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा.”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को रूस के साथ तेल व्यापार करने के लिए भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की है. जिसको लेकर आईसीएआर पूसा में एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पीएम मोदी ने जवाब दिया.

पीएम मोदी ने कहा, “हमारे लिए किसानों के हितों की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. भारत किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा. मुझे पता है कि इसके लिए मुझे व्यक्तिगत तौर पर बड़ी कीमत चुकानी होगी, लेकिन मैं तैयार हूं. मेरे देश के किसानों के लिए, मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशुपालकों के लिए आज भारत तैयार है.”

भारत के साथ डेयरी समझौता करना चाहता है अमेरिका, भारत तैयार नहीं

अमेरिका, व्यापार वार्ता की शुरुआत से ही भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र में प्रवेश करने की मांग कर रहा है. लेकिन भारत ने अमेरिका को पहले ही स्पष्ट शब्दों में कहा दिया था कि वो कृषि और डेयरी सेक्टर के लिए कोई समझौता नहीं करेंगे. 

दरअसल भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है. इसलिए अमेरिका भारत के साथ डेयरी व्यापार समझौता करना चाहता है. लेकिन भारत का कहना है कि वह अपने देश में ऐसे दूध या डेयरी उत्पाद की अनुमति नहीं दे सकता, जो उन गायों से प्राप्त होता हो जिन्हें मांसाहारी चीजे खिलाई जाती हैं. 

मांसाहारी गायों के कारण भारत इस समझौते से पीछे हट गया है. बताया जा रहा है कि सिर्फ रूसी तेल ही नहीं भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड पर बात न बनने से भी ट्रंप बौखलाए हुए हैं.

सीजफायर का क्रेडिट न मिलने से चिढ़े ट्रंप, अब सेकेंड्री सेंक्शन की तैयारी

ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद एक बार फिर से सेकेंड्री सेंक्शन लगाने की बात कही है. अपने ताजा बयान में ट्रंप ने कहा, रूस के साथ व्यापार करने के लिए भारत पर सेकेंडरी सेंक्शन (जुर्माना) भी लगाएंगे. भारत पर पहले भी ट्रंप टैरिफ के साथ जुर्माना लगा चुके हैं. 

ट्रंप ने कहा कि भारत, रूस से तेल खरीदने के मामले में चीन के बहुत करीब है और उसे 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ के साथ अब 50 प्रतिशत टैरिफ देना होगा. 

भारत ने नहीं दिया ट्रंप को हावी होने का मौका, ये है बौखलाहट की पूरी वजह

पीएम मोदी और ट्रंप की जब वॉशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर भी बातचीत हुई थी. लेकिन बार-बार ट्रंप के बदलते बयानों और ऊलजलूल बयानबाजी के चलते भारत ने इस समझौते के बारे में कई बार सोचा. आपको प्वाइंट के जरिए समझाने की कोशिश करते हैं, कि आखिर भारत के साथ कैसे अमेरिका का रिश्ता बिगड़ा.

  • फरवरी में पीएम मोदी और ट्रंप ने बातचीत में भारत-अमेरिका के बीच 2030 तक व्यापार 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा.
  • मार्च में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका में व्यापार को लेकर द्विपक्षीय वार्ता की. भारत कुछ प्रोडक्ट पर टैरिफ घटाने को राजी हुआ.
  • अप्रैल में ट्रंप ने भारत पर दबाव बनाने के लिए 10 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की और फिर उसपर 90 दिनों की रोक लगा दी.
  • मई में एक बार फिर से पीयूष गोयल ने अमेरिका का दौरा किया और बताया कि भारत कुछ कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में टैरिफ घटाने के लिए तैयार है.
  • ट्रंप ने अपनी वाहवाही करते हुए घोषणा की कि भारत टैरिफ घटाने के लिए तैयार हो गया है. कुछ ही दिनों में घोषणा कर दी जाएगी.
  • अमेरिका चाहता था कि उनके कृषि और डेयरी प्रोडक्ट भारत में खोले जाएं, लेकिन भारत इस बात पर तैयार नहीं हुआ. वजह ये थी कि अमेरिका के डेयरी प्रोडक्ट मांसाहारी गायों से बनाया जाता है. साथ ही अगर अमेरिकी कृषि और डेयरी प्रोडक्ट भारत में आए तो इससे भारतीय किसानों और दुग्ध किसानों को नुकसान हो सकता है.
  • जुलाई में एक बार फिर से भारतीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंचा लेकिन अमेरिका, भारत के कृषि और डेयरी सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा पहुंच की मांग करने लगा. जिसके लिए भारत तैयार नहीं हुआ.
  • मन मुताबिक टैरिफ की कमी के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति खुश नहीं हुए. उसकी एक वजह ये भी थी कि ट्रेड टैरिफ को लेकर वो साउथ ईस्ट एशियाई देशों जैसे जापान, इंडोनेशिया, वियतनाम को दबा चुके थे और अपनी मर्जी के मुताबिक, व्यापार के लिए इन देशों को मना चुके थे. ट्रंप को लगा कि अगर भारत टैरिफ घटाने को तैयार हो रहा है तो और शर्तें-मांगें की जा सकती हैं. लेकिन भारत ने अपनी शर्तें साफ बता दीं और संदेश दे दिया कि व्यापार करना है तो करो अन्यथा, भारत झुक नहीं पाएगा. 
  • वहीं मई में जब भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष छिड़ा तो ट्रंप प्रशासन इसे रुकवाने के लिए भारत-पाकिस्तान दोनों से चर्चा की. लेकिन भारत ने जब पाकिस्तान का कमर तोड़ दी, तो पाकिस्तान ने अमेरिका से सीजफायर के लिए गुहार लगाई. भारत की नीति साफ थी कि किसी की मध्यस्थता मंजूर नहीं, इसलिए जेडी वेंस ने जब पीएम मोदी से बात की तो उन्होंने साफ कह दिया कि अगर पाकिस्तान गोली दागेगा तो भारत गोला दागेगा. वही हुआ पाकिस्तान अपनी पिटाई से जब हार गया तो भारतीय डीजीएमओ से फोन पर बात की और सीजफायर करने को कहा. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को पॉज किया और पाकिस्तान को एक और मौका दिया. लेकिन ट्रंप ने चौधराहट दिखाने लगे और सीजफायर का क्रेडिट लेने लगे. 
  • संसद सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कह दिया कि दुनिया के किसी नेता ने ऑपरेशन सिंदूर रोकने को नहीं कहा था. ये संदेश ट्रंप के लिए ही दिया गया था. क्योंकि वो हर एक मौके पर भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवाने का श्रेय लेते रहते थे. पीएम मोदी का ये बयान आते ही ट्रंप ने भारत पर टैरिफ की घोषणा कर दी.
  • 30 जुलाई को ट्रंप ने रूसी तेल का बहाना बनाते हुए भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ और जुर्माने की घोषणा कर दी. ट्रंप ये तो कह नहीं सकते हैं कि ट्रेड समझौता और सीजफायर का क्रेडिट न मिलने से नाराज हैं, लिहाजा रूसी तेल का ही बहाना सही. 
  • अब जब भारत ने आंकड़ों के साथ बता दिया है कि अमेरिका तो खुद ही रूस के साथ व्यापार कर रहा है तो ट्रंप झेंप गए हैं और भारत पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ की घोषणा कर दी है.

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