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जहां रण वहां संवाद कैसे, कृष्ण नीति रक्षामंत्री ने बताई

मध्यप्रदेश में महू स्थित आर्मी वार कालेज में युद्ध, युद्धकला और युद्ध संचालन पर दो दिवसीय विशिष्ट त्रि-सेवा सेमिनार, ‘रण संवाद-2025’ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आधुनिक युद्ध और तैयारियों को लेकर बात की. राजनाथ सिंह ने कहा, मौजूदा जियोपॉलिटिकल स्थिति वास्तविकता से अलग है. भारत कभी पहले वार करने वाला देश नहीं है, लेकिन कोई हमें चुनौती देता है, तो ये जरूरी है कि हम मजबूती से जवाब दें. 

भारत को लगातार बढ़ानी होगी रक्षा तैयारियां: राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा, “भारत कभी भी युद्ध को आमंत्रित करने वाला देश नहीं रहा. हमने कभी भी किसी के खिलाफ आक्रामकता शुरू नहीं की है. लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए हमें अपनी रक्षा तैयारियों को लगातार बढ़ाना होगा। यही कारण है कि प्रशिक्षण, तकनीकी प्रगति और भागीदारों के साथ निरंतर संवाद हमारे लिए बहुत जरूरी है.”

भविष्य के युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं लड़े जाएंगे, सैनिकों की संख्या- हथियारों के भंडार पर्याप्त नहीं: राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा, कि “भविष्य के युद्ध केवल हथियारों से लड़ाई नहीं होगी. वे प्रौद्योगिकी, बुद्धिमत्ता, अर्थव्यवस्था और कूटनीति का संयुक्त खेल होंगे. आने वाले समय में, जो राष्ट्र प्रौद्योगिकी, रणनीति और अनुकूलन क्षमता के त्रिकोण में महारत हासिल करेगा, वही सच्ची वैश्विक शक्ति के रूप में उभरेगा.”

“सीधे शब्दों में कहें तो यह इतिहास से सीखने और नया इतिहास लिखने का समय है, यह भविष्य का अनुमान लगाने और उसे आकार देने का समय है. 21वीं सदी में, यह बदलाव और भी तेजी से हो रहा है. सैनिकों की संख्या या हथियारों के भंडार का आकार अब पर्याप्त नहीं है.”

आधुनिक युद्ध जमीन, समुद्र और हवा तक सीमित नहीं: राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने कहा, “मौजूदा समय साइबर युद्ध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अनमेंड एयर व्हीकल और सैटेलाइट-आधारित निगरानी भविष्य के युद्धों को आकार दे रहे हैं. सटीक निर्देशित हथियार, वास्तविक समय की खुफिया जानकारी और डेटा-संचालित जानकारी अब किसी भी संघर्ष में सफलता की कुंजी हैं.”

“आधुनिक युद्ध अब जमीन, समुद्र और हवा तक ही सीमित नहीं हैं, अब ये आउटर स्पेस और साइबर स्पेस तक भी फैल गए हैं. उपग्रह प्रणाली, एंटी-सैटेलाइट हथियार और अंतरिक्ष कमान केंद्र शक्ति के नए साधन हैं. इसलिए, आज हमें न केवल रक्षात्मक तैयारी की आवश्यकता है, बल्कि एक सक्रिय रणनीति की भी आवश्यकता है.”

सभ्यतागत युद्धों में रण और संवाद एक दूसरे से जुड़े हैं: राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, कि “रण-संवाद का ऐतिहासिक आधार है, यह मुझे हमारे इतिहास की कई घटनाओं की याद दिलाता है, जो दर्शाती हैं कि सभ्यतागत युद्धों में ‘रण’ और ‘संवाद’ एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. हमारी संस्कृति में, संवाद युद्ध से अलग नहीं है. यह युद्ध से पहले होता है, युद्ध के दौरान होता है, और युद्ध के बाद भी जारी रहता है. महाभारत का उदाहरण लें, युद्ध को रोकने के लिए भगवान कृष्ण शांति के दूत के रूप में गए. उन्होंने संवाद के जरिए युद्ध को टाले जाने की कोशिश की थी.” 

रण और संवाद विरोधाभासी लगे, लेकिन ये प्रासंगिक है: राजनाथ सिंह 

राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद आयोजित संवाद कार्यक्रम रण संवाद के शीर्षक को रोचक बताया. राजनाथ सिंह ने कहा, “कार्यक्रम का शीर्षक, रण संवाद, मुझे काफी रोचक लगा. नाम अपने आप में विचार करने और चिंतन करने का विषय है. एक ओर, ‘रण’ युद्ध और संघर्ष की छवि को उजागर करता है. वहीं दूसरी ओर, ‘संवाद’, चर्चा और सुलह की ओर संकेत करता है. पहली नजर में, दोनों शब्द विरोधाभासी लगते हैं. जहां युद्ध है, वहां संवाद कैसे हो सकता है, और जहां संवाद हो रहा है, वहां युद्ध कैसे हो सकता है? लेकिन अगर आप गहराई से देखें, तो यह नाम हमारे समय की सबसे प्रासंगिक सच्चाइयों में से एक को दर्शाता है.”

आपको बता दें कि एमपी के महू में आयोजित रण संवाद कार्यक्रम में तीनों सेनाओं के शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ प्रसिद्ध रक्षा विशेषज्ञों, रक्षा उद्योग के प्रमुखों और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पेशेवर शामिल हैं. 

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