ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के 100 से ज्यादा जवान मारे गए, पाकिस्तानी वायुसेना के 12 एयरक्राफ्ट का नुकसान हुआ. ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारतीय सेना डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई किया है एक और बड़ा खुलासा.
वहीं पहलगाम नरसंहार को अंजाम देने वाले आतंकियों के बारे में डीजीएमओ बोले कि वो आतंकी भागते-भागते थक गए थे और जब मारे गए तो मेडिकल टेस्ट में वो कुपोषित लग रहे थे.
आपको बता दें की लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई वही सैन्य अधिकारी हैं, जिनके सामने पाकिस्तानी डीजीएमओ ने गिड़गिड़ाते हुए ऑपरेशन सिंदूर रोकने की गुहार लगाई थी.
पाकिस्तान ने मारे गए सैनिकों को मरणोपरांत दिया पुरस्कार, गलती से जारी की लिस्ट: डीजीएमओ
मंगलवार को लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एलओसी पर की गई गोलीबारी के दौरान पाकिस्तान के 100 से ज्यादा जवान मारे गए थे. पाकिस्तान ने अनजाने में 14 अगस्त को अपनी पुरस्कार सूची जारी कर दी थी. जिसमें मरणोपरांत दिए गए पुरस्कारों की संख्या से हमें पता चलता है कि उनके हताहतों की तादाद भी 100 से ज्यादा थी.”
पहलगाम वाले आतंकियों को भारतीय सेना ने चैन से नहीं रहने दिया: डीजीएमओ
22 अप्रैल को 26 लोगों को मारने वाले आतंकियों के बारे में बात करते हुए डीजीएमओ ने कहा, “अक्सर लोग हमसे पूछते हैं कि वे कहां गायब हो गए, लेकिन कभी-कभी यह भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसा होता है. लेकिन सेना ने आतंकियों को चैन से नहीं रहने दिया. उन्हें अंजाम तक पहुंचाने के लिए 96 दिन लगे. जब इन तीनों को ढूंढा गया और उनका मेडिकल टेस्ट किया गया तो ऐसा लग रहा था जैसे वे दौड़ते-भागते थक गए हों और वे बहुत कुपोषित भी लग रहे थे.”
असीम मुनीर पर डीजीएमओ ने कसा तंज
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने पाकिस्तानी जनरल असीम मुनीर का नाम लिए बिना पहलगाम नरसंहार को लेकर कहा, कि “उस वक्त पाकिस्तानी सेना और उसके प्रमुख दबाव में थे, सभी को पता है. उन्हें न केवल अपनी छवि, बल्कि पाक सेना की छवि को भी पुनर्जीवित करने की आवश्यकता थी. सबसे अच्छा और एकमात्र तरीका जो उन्हें लगा, चाहे वो कायरतापूर्ण भी क्यों न हो, उन्हें वही करना था जो उन्होंने किया.”
दरअसल पहलगाम नरसंहार से पहले असीम मुनीर ने जहरीला भाषण दिया था. हिंदू-मुसलमान के नाम पर आतंकियों में चाबी भरी थी. मुनीर के भाषण के तकरीबन 04-05 दिन बाद ही पहलगाम अटैक हुआ और उसमें हिंदुओं को धर्म पूछ-पूछकर मारा गया था.
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने ऑपरेशन सिंदूर पर कहा, “हमारी सैन्य कार्रवाइयां लक्षित, नियंत्रित और गैर-बढ़ाने वाली थीं, और हमने अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए उन्हें खुले तौर पर स्वीकार किया.”