जंग के दौरान दुश्मन के टैंक तबाह करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 02 हजार करोड़ से ज्यादा की रशियन एंटी-टैंक मिसाइल खरीदने का फैसला किया है. भारतीय सेना के टी-90 टैंक को इन एंटी-टैंक मिसाइलों से लैस किया जाएगा.
इन रशियन मिसाइलों का निर्माण देश में स्वदेशी रक्षा उपक्रम बीडीएल (भारत डायनामिक्स लिमिटेड) करेगा. लाइसेंस के तहत, बीडीएल इन आईएनवीएआर एंटी-टैंक मिसाइलों का निर्माण करेंगा.
गुरुवार को रक्षा मंत्रालय ने ‘खरीद (भारतीय)’ श्रेणी के तहत 2,095.70 करोड़ रुपये की कुल लागत से आईएनवीएआर एंटी-टैंक मिसाइलों की खरीद के लिए बीडीएल के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में इस अनुबंध पर नई दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और बीडीएल के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, आईएनवीएआर एंटी-टैंक मिसाइलों की खरीद से भारतीय सेना की बख्तरबंद रेजिमेंटों में तैनात मुख्य टैंक टी-90 की प्रभावशीलता और मारक-क्षमता दोनों में निर्णायक सुधार होगा. यह उच्च-सटीकता वाला लेजर-गाइडेड एंटी-टैंक मिसाइल कठिन लक्ष्यों को भेदने और विषम परिस्थितियों में सटीक लक्ष्यनिशान सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस करार के परिणामस्वरूप मशीनीकृत अभियानों की गतिशीलता, लक्ष्य संभालने की दक्षता और रणनैतिक विकल्प बढ़ेंगे, जिससे युद्धक्षेत्र पर भारतीय रक्षा बलों को काफी परिचालन लाभ प्राप्त होगा.
यह खरीद रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह न केवल घरेलू उद्योगों द्वारा उन्नत प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहित करती है, बल्कि रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों की मौजूदा विशेषज्ञता का लाभ उठाकर भारतीय सेना की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के सरकार के संकल्प को भी उजागर करती है.

