फुटबॉल की दुनिया के बादशाह अर्जेंटीना का 42 साल लंबा सैन्य वनवास समाप्त हो गया है. यूरोपीय देश डेनमार्क ने अपने पुराने एफ-16 लड़ाकू विमान दक्षिण अमेरिकी देश को बेचने का करार कर लिया है.डेनमार्क ने ये लड़ाकू विमान अमेरिका से खरीदे थे और अब रिटायरमेंट के कगार पर थे. लेकिन अर्जेंटीना ने भारत और चीन से सैन्य संबंध बढ़ाने की कोशिश की तो पश्चिमी देश सतर्क हो गए और एफ-16 देने को तैयार हो गए.
1982 के फॉकलैंड युद्ध के बाद से ही इंग्लैंड ने अर्जेंटीना को किसी भी तरह के हथियार और मिलिट्री हार्डवेयर तक देने पर रोक लगा रखी थी. इतना ही नहीं इंग्लैंड ने दूसरे देशों को अर्जेंटीना को कोई भी ऐसा हथियार देने पर बैन लगा रखा था जिसमें उसके देश (इंग्लैंड) का कोई उपकरण लगा हो. अपने राजनीतिक और राजनयिक रसूख के चलते इंग्लैंड ने दूसरे देशों का अर्जेंटीना से किसी भी तरह का रक्षा सहयोग करने पर रोक लगा रखी थी. क्योंकि अधिकतर देशों के फाइटर जेट में इंग्लैंड की कंपनी मार्टिन बेकर की इजेक्शन सीट लगी थी, ऐसे में अर्जेंटीना को पिछले 42 सालों से कोई नया फाइटर जेट नहीं मिल पाया था.
अटलांटिक महासागर में फॉकलैंड आईलैंड को लेकर इंग्लैंड और अर्जेंटीना में युद्ध हुआ था. अर्जेंटीना को युद्ध में हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद से ही इंग्लैंड ने अर्जेंटीना पर सैन्य सहयोग पर बैन लगा रखा था. यही वजह है कि पिछले चार दशक में अर्जेंटीना के मिराज फाइटर जेट से लेकर सभी पुराने फाइटर जेट रिटायर हो चुके थे लेकिन कोई भी देश लड़ाकू विमान देने को तैयार नहीं था. ऐसे में भारत और चीन सैन्य सहयोग के लिए आगे आए.
भारत अपने स्वदेशी फाइटर जेट एलसीए तेजस को अर्जेंटीना को देने के लिए तैयार हो गया था. लेकिन उनमें भी इंग्लैंड की मार्टिन बेकर सीट लगी थी. ऐसे में भारत ने तेजस में रुस की इजेक्शन सीट लगाने की पेशकश की थी. साथ ही चीन भी पाकिस्तान की मदद से तैयार जेफ-17 फाइटर जेट देने के लिए तैयार था. लेकिन इससे अमेरिका की त्यौरियां चढ़ गई और डेनमार्क को अपने पुराने एफ-16 देने की इजाजत दे दी. (LCA Tejas में पीएम मोदी की स्वदेशी उड़ान, दुनिया ने दबाई दांतों तले उंगली)
अमेरिका ने इसलिए भी अर्जेंटीना को एफ-16 देने के लिए हरी झंडी दे दी क्योंकि नए राष्ट्रपति जेवियर मिली को पश्चिमी देशों का समर्थक माना जाता है. पिछले साल दिसंबर में देश की कमान संभालने के साथ ही जेवियर ने सबसे पहले अपने देश को ब्रिक्स देशों के समूह से बाहर करने का ऐलान कर दिया. भारत, ब्राजील, रुस, चीन और दक्षिण अफ्रीका वाले इस संगठन में अर्जेंटीना सहित छह नए देशों की सदस्यता नए साल (जनवरी 2024) से शुरू हो रही थी. लेकिन राष्ट्रपति बनते ही जेवियर ने अपने देश को ब्रिक्स समूह में शामिल ना होने की घोषणा कर दी.
अर्जेंटीना के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, डेनमार्क से 24 एफ-16 लेने का करार किया गया है. हालांकि, सौदे की रकम का खुलासा नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि ये डील करीब 300 मिलियन डॉलर में तय की गई है. इसमें सिंगल सीटर फाइटर जेट और टू-सीटर ट्रेनर भी शामिल हैं. साथ ही एमराम और साइडविंडर मिसाइल भी डील का हिस्सा हैं. अर्जेंटीना के लिए फाइटर जेट इसलिए भी बेहद जरूरी थे क्योंकि पड़ोसी देश चिली के पास भी एफ-16 फाइटर जेट हैं और ब्राजील भी स्वीडन से साब-ग्रिपेन लड़ाकू विमान लेने की तैयारी कर रहा है.
डेनमार्क भी अर्जेंटीना को पुराने एफ-16 देने के लिए इस लिए तैयार हो गया है क्योंकि वो भी इनकी जगह अमेरिका से 27 एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीद रहा है. इनमें से चार एफ-35 डेनमार्क को मिल भी चुके हैं.