रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारतीय सेना के टेक-योद्धा बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. सेना की इंजीनियर्स कोर के मेजर राजप्रसाद द्वारा पेटेंट, ‘पोर्टेबल मल्टी टारगेट डेटोनेशन डिवाइस’ को लॉन्च किया गया है. सेना ने इस डिवाइस को ‘अग्निअस्त्र’ नाम दिया है. खुद थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सेना में इस खास डिवाइस को शामिल किया है.
ये वहीं मेजर राजप्रसाद आरएस हैं जिन्होंने इस साल के शुरुआत में ‘विद्युत-रक्षक’ यंत्र का पेटेंट भी अपने नाम कराया था और जिसे पहले ही सेना इस्तेमाल कर रही है.
सिक्किम की राजधानी गंगटोक में आयोजित आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (एसीसी) के दौरान जनरल द्विवेदी ने मेजर राजप्रसाद की मौजदूगी में ‘अग्निअस्त्र’ को लॉन्च किया. अब इस डेटोनेशन डिवाइस को सेना की अलग-अलग टुकड़ियां ऑपरेशन्ल एरिया में इस्तेमाल करना शुरु कर देंगी.
भारतीय सेना के मुताबिक, मेजर राजप्रसाद का पोर्टेबल मल्टी टारगेट डेटोनेशन डिवाइस अग्निअस्त्र, एक दूरी से ही एक साथ कई धमाके करने में सक्षम है. इस डेटोनेशन डिवाइस से लैंड माइंस (बारूदी सुरंग) से लेकर किसी बिल्डिंग को गिराने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. (https://x.com/adgpi/status/1844974239922725232)
सेना के मुताबिक, इस डिवाइस से सैनिक किसी भी बिल्डिंग को गिराने के लिए एक दूरी से सुरक्षित रहते हुए इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तरह के धमाके अमूमन भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की पनाहगाह को उड़ाने के लिए इस्तेमाल करती है.
भारतीय सेना के मुताबिक, अग्निअस्त्र डिवाइस को पारंपरिक युद्ध में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
इसी साल अगस्त के महीने में फाउंडेशन ऑफ इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (एफआआईआईटी) के माध्यम से मेजर राजप्रसाद के पेटेंट डिवाइस को प्राईवेट कंपनियों को भारी मात्रा में निर्माण के लिए सौंप दिया गया था. कंपनियों ने दो महीने के भीतर ही अग्निअस्त्र को सेना को सप्लाई करना शुरु कर दिया है.
इसी साल मार्च के महीने में राजस्थान के पोखरण में हुई भारत-शक्ति एक्सरसाइज के दौरान मेजर राजप्रसाद ने अपने दोनों ही यंत्र, विद्युत रक्षक और पोर्टेबल डेटोनेशन डिवाइस (अग्निअस्त्र ) को स्टेटिक डिस्प्ले में प्रदर्शित किया था. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों उपकरणों के बारे में तत्कालीन थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे से जानकारी ली थी.
मेजर राजप्रसाद ने जो विद्युत-रक्षक उपकरण बनाया है वो देश की सीमाओं पर लगे सभी जनरेटर को एक रिमोट कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से ऑपरेट कर सकता है. रुस-यूक्रेन युद्ध से सीख लेते हुए ‘इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन’ के जरिए मेजर राजप्रसाद ने इस खास सिस्टम को तैयार किया था. विद्युत-रक्षक को अब एक कंपनी बड़ी संख्या में उत्पादन कर रही है.
मेजर राजप्रसाद पिछले कुछ सालों से भारतीय सेना की आर्मी डिजाइन ब्यूरो का हिस्सा हैं जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए इन-हाउस सैन्य अधिकारियों को प्रोत्साहित करती है. ब्यूरो के एक अन्य अफसर ने कुछ महीनों पहले उज़ी गन तैयार की थी.
भारतीय सेना ये वर्ष टेक-अब्जॉर्प्शन के तौर पर मना रही है, जिसके तहत बड़ी संख्या में स्वदेशी मिलिट्री टेक्नोलॉजी को सैनिकों को इस्तेमाल के लिए मुहैया कराया जा रहा है. (स्वदेशी innovation विद्युत-रक्षक सेना में शामिल)