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असांजे को अमेरिकी प्रत्यर्पण से मिली राहत

अमेरिका की जासूसी के आरोपों में इंग्लैंड की जेल में बंद विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को अमेरिका भेजने के मामले में लंदन  हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. हाई कोर्ट ने असांजे के प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की इजाजत दे दी है. 

अमेरिका की जासूसी का आरोप में जूलियन असांजे पिछले 13 सालों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. फैसले से पहले अमेरिका ने ब्रिटिश कोर्ट को यह आश्वासन दिया था कि जूलियन असांजे को मौत की सजा नहीं दी जाएगी. इसके अलावा अगर जासूसी के आरोपों में असांजे के खिलाफ मुकदमा चला तो उन्हें ‘यूएस फर्स्ट अमेंडमेंट राइट’ के तहत फ्री स्पीच का अधिकार भी दिया जाएगा.

अमेरिका ने असांजे पर लगाया जासूसी का आरोप
साल 2010 में, विकीलीक्स ने एक अमेरिकी सैन्य हेलीकॉप्टर का वीडियो पब्लिश किया था, जिसमें इराक की राजधानी बगदाद में नागरिकों की हत्या को दिखाया गया था. ट्रांसमिशन पर एक आवाज ने पायलट्स से “सभी को रोशनी देने” का आग्रह किया और सड़क पर मौजूद व्यक्तियों पर हेलीकॉप्टर से गोलीबारी की गई. जब एक वैन घायलों को लेने के लिए घटनास्थल पर पहुंची, तो उस पर भी गोलीबारी की गई. 

विकीलीक्स ने इसके अलावा पूर्व अमेरिकी सेना खुफिया विश्लेषक चेल्सी मैनिंग द्वारा लीक किए गए सैकड़ों हजारों दस्तावेज़ भी प्रकाशित किए. साल 2010-11 में विकिलीक्स के इस खुलासे के बाद अमेरिका ने असांजे पर जासूसी करने का आरोप लगाया था. अमेरिका का आरोप है कि जूलियन असांजे ने अमेरिका की जासूसी की है. अमेरिका ने कहा कि विकिलीक्स ने सीक्रेट फाइल को पब्लिश कर दिया, जिससे कई लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ गई. असांजे पर अमेरिका ने यह भी आरोप लगाया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूसी खुफिया एजेंसियों ने हिलेरी क्लिंटन के कैंपेन से जुड़े ई-मेल हैक कर विकीलीक्स को दिए थे. उस वक्त क्लिंटन अभियान को उस प्रश्न के बारे में बताया था जो ब्रॉडकास्टर द्वारा आयोजित बहस के दौरान पूछा जाने वाला था. साल 2016 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान हिलेरी क्लिंटन के गोपनीय ईमेल लीक होने का मामला सुर्खियों में आ गया था.

विकिलीक्स क्या है ?
पेशे से पत्रकार और ऑस्ट्रेलियाई नागरिक जूलियन असांजे ने साल 2006 में नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन विकिलीक्स शुरु की थी. विकिलीक्स खुफिया जानकारी, न्यूज़ लीक और अज्ञात सूत्रों से मिली गोपनीय जानकारी पब्लिश करता है. 2006 में वेबसाइट के लॉन्च होने के बाद ही तमाम देशों की कई गुप्त सूचनाएं देकर तहलका मचा दिया. वेबसाइट ने जो डाटा रिलीज किया उससे कई देशों में हड़कंप मच गया था. वेबसाइट ने अफगानिस्तान, इराक युद्ध से जुड़ी ऐसी जानकारियां दी जिससे हर कोई चौंक गया. असांजे ने अपने डॉक्यूमेंट्स के जरिए अमेरिका, इंग्लैंड और नाटो की सेनाओं पर युद्ध अपराध का आरोप लगाया था. अफगानिस्तान में युद्ध से संबंधित दस्तावेजों से विकिलीक्स ने बताया था कि कैसे अमेरिकी सेना ने अज्ञात घटनाओं में सैकड़ों नागरिकों को मार डाला था.

विकिलीक्स ने मायावती और कमलनाथ पर भी किया था खुलासा
2011 में विकीलीक्स ने मायावती को तानाशाह और भ्रष्ट बताते हुए ये खुलासा किया था कि उत्तर प्रदेश की (पूर्व) मुख्यमंत्री ने अपनी पसंद की सैंडल मंगवाने के लिए अपने निजी प्लेन को मुंबई भेजा था. मायावती के भोजन को खाने से पहले एक कर्मचारी चखता है. विकीलीक्स की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि घर से ऑफिस निकलने से पहले वे सड़क को धुलवाती हैं.
मायावती के अलावा विकिलीक्स ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भी आरोप लगा है कि उन्होंने साल 1976 में न्यूक्लियर डील से जुड़ी महत्वपूर्ण और गोपनीय जानकारी अमेरिका को दी थी. विकीलीक्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि न्यूक्लियर परीक्षण के बारे में कमलनाथ ने अमेरिकी दूतावास को जानकारी दी थी. बीजेपी ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में विकीलीक्स के खुलासे को मुद्दा बनाया था. हालांकि कांग्रेस ने विकिलीक्स के दावों को बेबुनियाद और झूठा बताया है.

कौन हैं जूलियन असांजे ?
साल 2010 में विकिलीक्स ने अमेरिकी सेना के कुछ बेहद खुफिया दस्तावेज लीक कर दिए थे, जिसके बाद इस वेबसाइट के संस्थापक जूलियन असांजे पूरी दुनिया की सुर्खियों का हिस्सा बन गए. नवंबर 2010 में स्वीडन सरकार ने असांजे के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया. उन पर दो बच्चियों के रेप का आरोप लगा था. अपने ऊपर लगे आरोपों पर असांजे ने कहा था कि अमेरिकी सेना के खुफिया दस्तावेज को लीक करने की वजह से उन्हें फंसाया गया था. जूलियन असांजे वर्ष 2010 से लगातार हिरासत में हैं. 2010 में बच्चियों के आरोप में स्वीडिश वारंट पर ब्रिटेन में गिरफ्तार किया गया था, जिसे बाद में हटा दिया गया था. तब से असांजे कई बार नजरबंद रहे. सात साल तक लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में रहे और 2019 से बेलमर्श की शीर्ष सुरक्षा जेल में रखा गया. 

सोमवार को लंदन हाई कोर्ट से राहत मिलने के साथ ही असांजे के समर्थन खुशी में झूम उठे. ये सभी समर्थक हाई कोर्ट के बाहर फैसले के इंतजार में इकठ्ठा हुए थे. 

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