July 5, 2024
XYZ 123, Noida Sector 63, UP-201301
Acquisitions Alert Breaking News Defence Geopolitics India-China Indo-Pacific

फिलीपींस पहुंची ब्रह्मोस, पीएम ने दी शुभकामनाएं

शुक्रवार को भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल फिलीपींस पहुंच गई. करीब छह घंटे की उड़ान के बाद भारतीय वायुसेना का एक सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट ब्रह्मोस मिसाइल की पहली बैटरी को लेकर फिलीपींस के एयरबेस पहुंचा. इस दौरान ब्रह्मोस एयरोस्पेस कंपनी के अधिकारी फिलीपींस मरीन कोर के सैन्य अधिकारियों को मिठाई खिलाते हुए दिखाई पड़े. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्मोस मिसाइल के एक्सपोर्ट पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं. 

जैसा टीफएफ ने गुरुवार को बताया था, वायुसेना का मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-17 फिलीपींस पहुंचा. विमान में वायुसेना के अधिकारियों के साथ-साथ नौसेना और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीनियर एग्ज्यूकेटिव भी मौजूद थे. विमान के फिलीपींस की धरती पर पहुंचते ही वहां पहले से मौजूद फिलीपींस मरीन कोर के अधिकारियों ने ब्रह्मोस मिसाइल का अपनी धरती पर स्वागत किया. ब्रह्मोस मिसाइल लेकर फिलीपींस पहुंचे वायुसेना के सी-17 एयरक्राफ्ट के वीडियो भी सामने आए हैं. 

जानकारी के मुताबिक, इस हफ्ते तक भारत से तीनों ब्रह्मोस की बैटरियों (यूनिट) को फिलीपींस पहुंचा दिया जाएगा. वायुसेना के साथ-साथ सिविल एयरक्राफ्ट के जरिए भी ब्रह्मोस मिसाइल को भेजा जाएगा. 

शुक्रवार को मध्य प्रदेश के दमोह में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पहले बैच की ब्रह्मोस मिसाइल आज फिलीपींस के लिए रवाना हो रहा है. इसके लिए मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूं. 

फिलीपींस ने जनवरी 2022 में भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल के लिए 375 मिलियन डॉलर (2700 करोड़) का ऑर्डर किया था. फिलीपींस ने भारत से शौर-बेस्ड यानी समुद्री-तट से मार करने वाली एंटी-शिप मिसाइल का वर्जन लिया है.  ब्रह्मोस की रेंज 290 किलोमीटर है जबकि ऑपरेशनल रेंज ज्यादा ही मानी जाती है.  इसकी स्पीड 2.8 मैके है यानि आवाज की गति से भी ढाई गुना ज्यादा की स्पीड. भारत ने हालांकि, ब्रह्मोस के एक्सटेंडेड रेंज यानी 450-500 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल भी तैयार कर ली है. 

ब्रह्मोस मिसाइल भारत के उन चुनिंदा हथियारों (मिसाइलों) में से एक है जिसे थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ही इस्तेमाल करती हैं. वायुसेना के फ्रंटलाइन एयरक्राफ्ट, सुखोई में भी ब्रह्मोस मिसाइल को इंटीग्रेट कर दिया गया है. थलसेना की आर्टलरी यानि तोपखाना भी ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल करता है. नौसेना के युद्धपोतों को भी ब्रह्मोस से लैस कर दिया गया है. जिससे नौसेना के शिप और अधिक घातक बन गए हैं और समंदर से जमीन तक पर टारगेट करने में सक्षम बन गए हैं.

भारत ने क्योंकि एलएसी पर ब्रह्मोस को तैनात कर रखा है इसलिए चीन के पेट में मरोड़ पैदा हो रही है. लेकिन अब चीन इसलिए भी ज्यादा भयभीत है क्योंकि भारत ने ये सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल फिलीपींस को भी दे दी है. आने वाले दिनों में माना जा रहा है कि वियतनाम और दूसरे आसियान देश भी ये मिसाइल भारत से ले सकते हैं. ये वे देश हैं जिनका चीन के साथ साउथ चायना सी में विवाद चल रहा है. जैसा कि चीन की फितरत है कि वो साउथ चायना सी में किसी दूसरे देश को नहीं आने देना चाहता है और यहां के विवादित आईलैंड पर अपना गैर कानूनी कब्जा जमाना चाहता है (फिलीपींस एयर-लिफ्ट हो रही हैं ब्रह्मोस मिसाइल, चीन अलर्ट).