By Himanshu Kumar
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने जुलाई में आई विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन से निपटने में कथित लापरवाही के कारण लगभग 30 अधिकारियों को मौत की सज़ा देने का आदेश दिया है.
इन अधिकारियों को पिछले महीने के अंत में उस आपदा के जवाब में मौत की सजा दी गई, जिसके परिणामस्वरूप चीन की सीमा के पास चागांग (चांग) प्रांत में एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई और हज़ारों निवासी विस्थापित हो गए थे. इस दौरान, सिनुइजू और उइजू प्रांत में भी भारी बारिश के कारण भयंकर बाढ़ आई, जिससे हजारों घर और कृषि भूमि प्रभावित हुई. रिपोर्ट बताती हैं कि लगभग 4100 घर और 7410 एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई, जिससे सड़कों और रेलवे सहित सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है.
जानकारी के मुताबिक, किम जोंग ने एक आपातकालीन पोलित ब्यूरो बैठक बुलाई थी, जहां आपदा के बाद ज़िम्मेदार लोगों को कड़ी सजा देने की जरूरत पर जोर दिया. सजा पाने वाले अधिकारियों में प्रांतीय गवर्नर और अन्य नेता शामिल हैं, जिन्हें पर्याप्त आपदा रोकथाम उपायों को लागू करने में विफल रहने के लिए जवाबदेह माना गया था.
किम के प्रशासन में सार्वजनिक रूप से फांसी देने का इतिहास रहा है, जो कथित तौर पर कोविड-19 महामारी के बाद से बढ़ गया है. इसे सरकार के भीतर जवाबदेही और नियंत्रण बनाए रखने के तरीके के रूप में देखा जा रहा है.
चीन और दक्षिण कोरिया सहित पड़ोसी देशों से सहायता के प्रस्तावों के बावजूद, किम ने बाहरी मदद को यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उत्तर कोरिया स्वतंत्र रूप से पुनर्प्राप्ति प्रयासों का प्रबंधन करेगा.