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बौद्ध एकेडमी में अचानक बढ़ी निगरानी, तिब्बत में लगा चीन को डर

चीन ने दुनिया के सबसे बड़े तिब्बती बौद्ध संस्थान में अचानक निगरानी बढ़ा दी है. तिब्बत के लांगुर गार बौद्ध अध्ययन केन्द्र लांगुर गार बौद्ध एकेडमी को चीनी सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गई है और हेलीकॉप्टर से नजर रखी जा रही है.  

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) की रिपोर्ट के मुताबिक, बौद्ध एकेडमी में चीनी सैन्यकर्मियों की बढ़ती तैनाती धार्मिक प्रथाओं पर गहन निगरानी और सख्त नियमों को दर्शाता है. चीन ने 400 सैन्य कर्मियों को तैनात किया है. साथ ही चीन ने हेलीकॉप्टर से निगरानी भी की है, जो लांगुर गार की बढ़ी हुई निगरानी का संकेत है

लांगुर गार की चीन ने बढ़ाई निगरानी, किस बात की आशंका

तिब्बती प्रशासन ने इस बात का खुलासा किया है कि तिब्बती खाम क्षेत्र में मौजूद करजे चीनी गंजी के सेरथर काउंटी में एकेडमी में लगभग 400 चीनी सैन्य कर्मियों को तैनात किया गया था, जो अब सिचुआन प्रांत का हिस्सा है. कहा जा रहा है कि चीनी अधिकारी 2025 में लारुंग गार में नए नियम लागू करने की प्लानिंग कर रहे हैं. चीनी अधिकारियों ने चीन के छात्रों को लांगुर गार एकेडमी छोड़ने का आदेश दिया है. साथ ही संस्थान में रहने का अधिकतम समय 15 वर्ष तक सीमित करने की योजना है. इसके अलावा चीन लांगुर गार रहने वाले सभी भिक्षु और भिक्षुणियों के लिए अनिवार्य रजिस्ट्रेशन लागू करवाना चाहता है चीन. इसके अलावा चीनी सरकार एकेडमी में रहने वाले धार्मिक चिकित्सकों की संख्या भी कम करने की फिराक में है.

हालिया दिनों में तिब्बत में आक्रामक है चीन 

तिब्बत को लेकर लंबा विवाद है.साल 1959 में एक बड़े विद्रोह के बाद दलाई लामा भारत चले गए, जहां उन्होंने निर्वासित तिब्बत सरकार की स्थापना की. पर चीन, तिब्बत को अपना क्षेत्र मानता है. हाल के दिनों में तिब्बत में सैन्य तैनातियों के अलावा बड़े पैमाने पर सैन्य निर्माण भी देखा गया है. और अब तिब्बती  तिब्बती बौद्ध अध्ययन केन्द्र लांगुर गार बौद्ध एकेडमी में सैनिकों की बढ़ी तैनाती भी इसी आक्रामकता का हिस्सा है. लांगुर गार को पहली बार चीन ने अपने निशाने पर नहीं लिया है. 1980 में स्थापित लांगुर गार हजारों भिक्षुओं और भिक्षुणियों को आकर्षित करता है. इससे पहले साल 2001 और साल 2016 में लांगुर गार से जुड़े कई निर्माणों को चीन ने नुकसान पहुंचाया था. इसके अलावा चीन वहां के कई धार्मिक चिकित्सकों को भी हटा चुका है. यही वजह है कि लांगुर गार में चीन के डर से आबादी घट चुकी है. 

तिब्बत के गांव प्रमुख को चीन ने किया टॉर्चर

हाल ही में तिब्बत के एक गांव प्रमुख गोंपो नामग्याल को चीनी अधिकारियों ने हिरासत में लेकर यातनाओं का शिकार बनाया था. गोंपो नामग्याल, जो पोन्कोर टाउनशिप, डारलाग काउंटी के प्रमुख थे. गोंपो नामग्याल ने “प्योर मदर टंग” अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई थी. यह अभियान तिब्बती भाषा को संरक्षित करने के लिए आंदोलन किया था.

चीन ने इस आंदोलन को “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा” बताकर खेन्पो धारग्ये, गोंपो नामग्याल और कई अन्य कार्यकर्ताओं को मई 2024 में गिरफ्तार कर लिया. 18 दिसंबर को चीन के टॉर्चर के बाद गोंपो नामग्याल की मौत हो गई थी.

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