चीन और रुस के संबंधों में एक नए युग की शुरुआत करने के साथ ही पुतिन और शी जिनपिंग ने ‘कोल्ड वार मानसिकता’ की आलोचना करते हुए एशिया-पैसिफिक (इंडो-पैसिफिक) क्षेत्र में सैन्य और राजनीतिक गठबंधनों को ‘हानिकारक’ बताया है. चीन और रुस दोनों ने ही इस तरह के समझौतों को ‘काउंटरप्रोडक्टिव’ करार दिया है.
हाल ही में अमेरिका ने साउथ चायना सी में चीन को काउंटर करने के लिए फिलीपींस, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर ‘स्विफ्ट’ नाम का सैन्य गठबंधन बनाया है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रुस के समकक्ष व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात के बाद दोनों देशों ने जो साझा बयान जारी किया उसमें खास तौर से अपरोक्ष रूप से अमेरिका पर निशाना साधते हुए “दुनिया को ब्लॉक में बांटने और जोर-जबरदस्ती की राजनीति की जमकर आलोचना की गई.”
स्विफ्ट से पहले अमेरिका ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर नॉन-मिलिट्री गठबंधन ‘क्वाड’ बनाया था. क्वाड को लेकर भी चीन पूर्व में कई बार सवाल खड़े कर चुका है. लेकिन हाल के सालों में भारत के रुस से करीबी संबंध होने और यूक्रेन युद्ध के बावजूद मॉस्को से करीबी रिश्तों से अमेरिका खिन्न है. यही वजह है कि स्विफ्ट में अमेरिका ने भारत को जगह नहीं दी है. भारत भी ऐसे किसी भी तरह के सैन्य-गठबंधन का पक्षधर नहीं रहा है.
रुस के राष्ट्रपति पुतिन इनदिनों दो दिवसीय (16-17 मई) को चीन के दौरे पर हैं. पांचवी बार रुस की कमान संभालने के बाद ये पुतिन की पहली विदेश यात्रा है. दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने मुलाकात के बाद कहा कि रुस और चीन “वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता की दिशा में काम करेंगे.”
साझा बयान में कहा गया कि रुस और चीन ‘अवसरवादी’ नहीं है और ना ही दोनों के संबंध किसी के खिलाफ हैं. बल्कि ये संबंध “निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय कानून आधारिक वर्ल्ड-ऑर्डर के लिए हैं.” दोनों देशों ने एशिया-पैसिफिक रीजन में ‘विश्वसनीय सिक्योरिटी ढांचे’ को तैयार करने पर जोर दिया.
रुस ने चीन द्वारा यूक्रेन संकट के हल के लिए उठाए गए कदमों की भी सराहना की. साथ ही दोनों देशों ने आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों पर बातचीत की. पुतिन ने चीन की कंपनियों को निवेश के लिए रुस आमंत्रित भी किया है. साझा बयान में कहा गया कि दोनों देशों के संबंधों की कोई सीमा नहीं है.
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