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सामरिक दबदबे के लिए समंदर का इस्तेमाल गलत, राजनाथ का चीन पर निशाना

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन पर अपरोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कि आज के समय में समंदर महज अर्थव्यवस्था की लाइफ-लाइन ही नहीं है बल्कि संसाधनों के दोहन, व्यापारिक मार्गों पर कब्जे और सामरिक दबदबे के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं.  

रक्षा मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है, सी-फूड, खनिज, एनर्जी जैसे समुद्री संसाधनों की मांग भी बढ़ रही है जिसके कारण दुनियाभर में तनाव और प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है.

शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजधानी दिल्ली में ‘भारत-प्रशांत क्षेत्रीय वार्ता’ (आईपीआरडी) 2024 को संबोधित कर रहे थे. राजनाथ सिंह ने नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान और संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन में निहित सिद्धांतों के पालन के प्रति भारत के अटूट संकल्प को दोहराया और उन्हें विदेश नीति की आधारशिला बताया. उन्होंने कहा, “भारत ने विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का लगातार समर्थन किया है और क्षेत्रीय संवाद, स्थिरता और सामूहिक विकास को बढ़ावा देने में आसियान की केंद्रीयता पर जोर देते हुए भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया है.”

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल, विशेष रूप से नौसेना, क्षेत्र के देशों के साथ सहयोगात्मक प्रयासों में सबसे आगे रहे हैं और उनकी क्षमता के निर्माण की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “भारत का समुद्री सहयोग के लिए प्रयास जारी है, लेकिन इसके हित किसी अन्य देश के साथ टकराव में नहीं हैं. साथ ही, किसी भी अन्य राष्ट्र के हितों का अन्य राष्ट्रों के साथ टकराव नहीं होना चाहिए. इसी भावना से हमें मिलकर काम करना चाहिए.”

रक्षा मंत्री ने कहा कि ” इंडो-पैसिफिक क्षेत्र दुनिया के सबसे गतिशील भू-राजनीतिक क्षेत्र के रूप में उभरा है और यह आर्थिक और सामरिक हितों का केंद्र है. इसमें पहले से मौजूद अंतरराष्ट्रीय तनाव, प्रतिद्वंद्विता और संघर्ष की भी एक हद तक मौजूदगी है. जहां कुछ चुनौतियां स्थानीय प्रकृति की हैं, वहीं कई चुनौतियों का वैश्विक प्रभाव है.

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