विदेश से वीपीएन या फिर दूसरे प्रॉक्सी माध्यमों से दिल्ली-एनसीआर के 200 स्कूलों को ईमेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी के बीच रक्षा मंत्रालय ने ‘एक्सरसाइज साइबर सुरक्षा 2024’ का आयोजन किया है. इस एक्सरसाइज में साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी सैन्य और सरकारी, दोनों एजेंसियां शामिल हुई. यानी देशभर में होने वाले साइबर खतरों से निपटने के लिए सेना और सरकारी एजेंसियां दोनों हाथ मिला रही हैं.
एक्सरसाइज ‘साइबर सुरक्षा’ को खुद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने संबोधित किया. अपने संबोधन में साइबर-योद्धाओं को संबोधित करते हुए सीडीएस ने कहा कि इस एक्सरसाइज के जरिए “मिलिट्री और राष्ट्रीय एजेंसियां का एकीकरण होगा और मिलकर काम करेंगे.” जनरल चौहान ने कहा कि इस युद्धाभ्यास से देश की सैन्य साइबर क्षमता मजबूत होंगी. दुश्मन देशों के साइबर अटैक से बचने के लिए अगर गृह मंत्रालय के अंतर्गत ‘कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम’ यानी सीईआरटी (सर्ट) का करती है तो रक्षा मंत्रालय के अधीन हाल ही में डिफेंस साइबर एजेंसी बनाई गई है. हालांकि, डिफेंस साइबर एजेंसी का चार्टर सेना के तंत्र को साइबर अटैक से बचाने के लिए है लेकिन दुश्मन देशों के ‘हाइब्रिड-वारफेयर’ के चलते सैन्य और असैन्य एजेंसियों ने हाथ मिला लिया है. ‘साइबर सुरक्षा एक्सरसाइज’ उसी का नतीजा है.
इसी महीने की एक तारीख को दिल्ली-एनसीआर के 200-300 स्कूलों को एक साथ ईमेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी. इस तरह के हाइब्रिड खतरों से निपटने के लिए ही साइबर सिक्योरिटी एजेंसियां दिन-रात जुटी रहती हैं. साइबर जांच में पता चला है कि इन ईमेल को रुस के ‘आरयू’ डोमेन के जरिए किसी यूरोपीय देश से भेजा गया था. हालांकि, खुफिया और साइबर एजेंसियों को आशंका है कि ये ईमेल पाकिस्तान की ही करतूत हो सकती है. गृह मंत्रालय ने हालांकि, बाद में इन धमकियों को हॉक्स करार दे दिया था. गृह मंत्रालय को मिली धमकी भी फर्जी ही सामने निकल कर आई है (RU ईमेल से दिल्ली के स्कूलों में हड़कंप !).