By Himanshu Kumar
बालाकोट एयर स्ट्राइक में भारतीय वायुसेना ने जिस इजरायली स्पाइस-2000 बम का इस्तेमाल आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप को तबाह करने के लिए इस्तेमाल किया था, उसका देसी वर्जन भारत ने तैयार कर लिया है. डीआरडीओ ने इस बम को ‘गौरव’ नाम दिया है जिसका उत्पादन अडानी डिफेंस और भारत-फोर्ज कंपनियां करेंगी.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान का उपयोग कर लंबी दूरी के ग्लाइड बम (एलआरजीबी) की पहली उड़ान की परीक्षण सफलतापूर्वक किया है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, उड़ान परीक्षण के दौरान ग्लाइड बम ने व्हीलर द्वीप पर रखे लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा. यह परीक्षण ओडिशा के तट पर किया गया था. परीक्षण प्रक्षेपण का पूरा उड़ान डेटा एकीकृत परीक्षण रेंज द्वारा समुद्र तट पर स्थापित टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम द्वारा रिकॉर्ड किया गया. डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने परीक्षण पर बारीकी से नजर रखी.
जानकारी के मुताबिक, 1,000 किलोग्राम वजनी हवा से प्रक्षेपित ग्लाइड बम है गौरव, जिसे लंबी दूरी पर स्थित लक्ष्यों को भेदने के लिए डिज़ाइन किया गया है. प्रक्षेपित होने के बाद, बम हाइब्रिड नेविगेशन सिस्टम का उपयोग करके अपने लक्ष्य तक सटीक रूप से पहुंचता है, जो आईएएस और जीपीएस डेटा को एकीकृत करता है. इस बम को हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है. इसके रेंज करीब 110 किलोमीटर है. इसे प्री-फ्रैगमेंटेड या पेनेट्रेशन-ब्लास्ट वारहेड्स के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ग्लाइड बम के सफल उड़ान परीक्षण के लिए डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना और उद्योग की प्रशंसा की. उन्होंने इस सफल परीक्षण को सशस्त्र बलों की क्षमता को और मजबूत करने के लिए स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के देश के प्रयास में एक प्रमुख मील का पत्थर बताया.
वर्ष 2019 में भारतीय वायुसेना ने बालाकोट एयर-स्ट्राइक की थी तब ऐसा कोई ग्लाइड बम भारत के जंगी बेड़े में नहीं था. ऐसे में मिराज-2000 फाइटर जेट में इजरायली स्पाइस बम का इस्तेमाल किया गया था. स्पाइस बम को आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद की बिल्डिंग के लिए पेनेट्रेशन-ब्लास्ट वारहेड का इस्तेमाल किया था.
डीआरडीओ की लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम (एलआरजीबी) परियोजना के तहत, एक बिना पंख वाला गौतम संस्करण भी तैयार किया जा रहा है. इसकी शुरुआती रेंज 30 किलोमीटर है, जिसे भविष्य में 100 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है. इसका वजन 550 किलोग्राम है और गौरव की तरह, यह प्री-फ्रैगमेंटेड या पेनेट्रेशन-ब्लास्ट वारहेड्स ले जा सकता है. हालाँकि इसमें पंख नहीं हैं, लेकिन इसमें एक नियंत्रण सतह और एक एकीकृत नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणाली है.