कैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन पेमेंट सर्विसेस का इस्तेमाल आतंकी हमलों के लिए किया जा रहा है, इसका खुलासा होने के बाद जांच एजेंसियां भी हैरान रह गई हैं. वैश्विक आतंकी वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ ने खुलासा किया है कि पुलवामा आतंकी हमले और गोरखनाथ मंदिर की घटना में आतंकियों ने ई कॉमर्स कंपनी का इस्तेमाल किया.
एफएटीएफ ने इन दोनों आतंकी वारदातों का जिक्र करते हुए चेतावनी दी है कि ई-कॉमर्स और डिजिटल पेमेंट सेवाएं अगर गलत हाथों में चली जाएं तो आतंकवाद को बढ़ावा दे सकती हैं.
आतंकवाद के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल: एफएटीएफ
एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि “आतंकी संगठन अब पारंपरिक फंडिंग के तरीकों के साथ-साथ डिजिटल माध्यमों जैसे ऑनलाइन पेमेंट, गेमिंग प्लेटफॉर्म्स, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स साइट्स का भी प्रयोग कर रहे हैं.”
एफएटीएफ ने कहा, “आतंकवादी अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन पेमेंट सर्विसेस का इस्तेमाल फंड जुटाने, हथियार खरीदने और हमलों के लिए कर रहे हैं. भारत में हुए पुलवामा और गोरखनाथ मंदिर मामलों को उदाहरण के तौर पर रिपोर्ट में शामिल किया गया है.”
एफएटीएफ ने कहा है कि “पिछले 10 वर्षों में फिनटेक कंपनियों द्वारा ऑनलाइन पेमेंट सर्विस देने में तेजी आई है, और आतंकवादी अब इन सेवाओं को पैसे भेजने और जमा करने के लिए पसंद कर रहे हैं.”
पुलवामा हमले के लिए एल्युमिनियम पाउडर अमेजॉन से खरीदा गया: एफएटीएफ
फरवरी 2019 में जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों के काफिले को निशाना बनाकर एक आत्मघाती हमला किया गया था, जिसमें 40 सैनिक मारे गए थे. हमले की साजिश जैश-ए-मोहम्मद ने रची थी.
एफएटीएफ ने खुलासा किया कि, “पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले में इस्तेमाल हुआ एल्यूमिनियम पाउडर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजॉन से खरीदा गया था. इस पाउडर का इस्तेमाल आईडी की ताकत बढ़ाने में किया गया.”
गोरखनाथ मंदिर के हमले में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और वीपीएन का इस्तेमाल: एफएटीएफ
गोरखनाथ मंदिर में अप्रैल 2022 में हुए हमले का हवाला देते हुए एफएटीएफ ने बताया कि “आरोपी ने आईएसआईएस के लिए पे-पाल के जरिए करीब 6.69 लाख रु की अंतरराष्ट्रीय फंडिंग की थी. इस दौरान आरोपी ने वीपीएन का इस्तेमाल कर अपनी लोकेशन छिपाई. उसे विदेशी खातों से भी पैसा मिला था और उसने आईएसआईएस समर्थकों को फंड भेजा.”
आपको बता दें कि गोरखनाथ मंदिर पर हुए हमले में इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट (आईएसआईएल) की विचारधारा से प्रभावित एक व्यक्ति ने सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया था, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था.
फर्जी नामों से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल, व्यापार की आड़ में ऑनलाइन टेरर फंडिंग: एफएटीएफ
एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाली बातें बताई हैं. कहा है कि “आतंकवादी केवल खरीदारी नहीं कर रहे, बल्कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए अपने सामान बेचकर भी पैसा जुटा रहे हैं. कम मूल्य वाले सामान भी बेचे जा रहे हैं ताकि उनसे होने वाला लाभ आतंक गतिविधियों में खर्च किया जा सके. ट्रेड बेस्ड मनी लॉन्ड्रिंग के तरीके से आतंक फंडिंग हो रही है. एक व्यक्ति ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कोई सामान खरीदता है और उसे अपने साथी को किसी दूसरे देश में भेजता है. दूसरा साथी उसे बेचकर उससे मिले पैसे को आतंक के लिए इस्तेमाल करता है. यह लेनदेन वैध दिखता है लेकिन इसका मकसद फंड ट्रांसफर होता है.”
एजेंसी के मुताबिक, “ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म पर किए गए लेनदेन में ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है क्योंकि इनमें अक्सर नकली नाम, फर्जी अकाउंट और पर्सन टू पर्सन ट्रांसफर शामिल होते हैं. इससे जांच एजेंसियों को फंड के स्त्रोत और लाभार्थी को ट्रेस करना बेहद कठिन हो जाता है.”
कुछ देश की सरकारें आतंकियों को वित्तीय, लॉजिस्टिक और ट्रेनिंग देती हैं: एफएटीएफ
एजेंसी ने स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म के बारे में भी बताया. अपनी रिपोर्ट में कहा कि “कुछ आतंकवादी संगठनों को सरकारों से वित्तीय और अन्य प्रकार का समर्थन होता रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ देश सरकारें आतंकवादी संगठनों को फाइनेंशियल, लॉजिस्टिक और ट्रेनिंग के रूप में मदद देती रही हैं.”
पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डालने की मांग करता रहा है भारत
भारतीय अधिकारियों ने बार-बार पाकिस्तान पर आतंकवाद को लगातार समर्थन और हथियारों की खरीद के लिए फंड के इस्तेमाल का आरोप लगाया है. भारत हमेशा से कहता रहा है कि पाकिस्तान लश्कर, जैश जैसे आतंकवादी संगठन को शरण के साथ-साथ ट्रेनिंग भी देता है. भारत का मानना है कि पाकिस्तान द्वारा की गई ऐसी हरकतों के कारण उसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाना चाहिए.