July 3, 2024
XYZ 123, Noida Sector 63, UP-201301
Acquisitions Alert Breaking News Defence Geopolitics Middle East

हूती विद्रोहियों ने फिर गिराया MQ-9B ड्रोन

जिस एमक्यू-9बी ड्रोन को भारत 33 हजार करोड़ में अमेरिका से खरीदने की तैयारी कर रहा है, उसे एक बार फिर ईरान-समर्थित हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में मार गिराने का दावा किया है. हूती विद्रोहियों ने प्रीडेटर ड्रोन के मार गिराए जाने का एक वीडियो भी जारी किया है. अमेरिका रक्षा विभाग (पेंटागन) ने भी रेड सी (लाल सागर) में एक एमक्यू-9 रीपर ड्रोन गिरने की पुष्टि की है. 

एक एमक्यू-9 रीपर ड्रोन की कीमत करीब 10 मिलियन डॉलर मानी जाती है. दुनिया के सबसे खतरनाक सर्विलांस और कॉम्बेट (प्रीडेटर वर्जन) ड्रोन के तौर पर इसकी पहचान होती है. एक लंबे समय तक आसमान में बेहद ऊंचाई से अपार समंदर की निगहबानी हो या फिर आतंकियों को टारगेट करना हो, अमेरिकी फोर्सेज इसी एमक्यू-9 रीपर (सर्विलांस) और एमक्यू-9बी प्रीडेटर (अटैक) का इस्तेमाल करती आई हैं. लेकिन पहले रुस-यूक्रेन युद्ध और अब इजरायल-हमास युद्ध के दौरान अमेरिका का ये एमक्यू-9 ड्रोन गलत कारणों से सुर्खियों में रहा है. 

माना जा रहा है कि हूती विद्रोहियों ने सोवियत संघ काल की एक एसएएम यानी जमीन से आसमान में मार करने वाली किसी मिसाइल से एमक्यू-9बी ड्रोन को मार गिराया है. हूती द्वारा जारी वीडियो में ड्रोन का मलबा भी दिखाई पड़ रहा है. हूती विद्रोहियों ने इस ड्रोन को यमन के होदेदाह बंदरगाह के करीब गिराया है. 

दरअसल, यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर निशाना लगाने के लिए यूएस फोर्सेज ड्रोन का इस्तेमाल कर रही हैं. ये हमले हूती विद्रोहियों के लाल सागर में अमेरिका और इजरायल जैसे देशों के जंगी जहाज और व्यापारिक जहाज पर हो रहे ड्रोन और मिसाइल के जवाब में किए जा रहे हैं. इसी दौरान माना जा रहा है कि हूती विद्रोहियों ने रीपर ड्रोन को मार गिराया. 

पिछले साल ब्लैक सी (काला सागर) में रुस के एक फाइटर जेट ने एमक्यू-9बी ड्रोन पर फ्यूल की धार गिराकर गिरा दिया था. पिछले साल ही नवम्बर के महीने में भी हूती विद्रोहियों ने एमक्यू-9 को गिरा दिया था. 

हालांकि, एमक्यू-9बी अकेला ऐसा मेल आरपीए नहीं है जो युद्ध में गिराया गया है. रुस-यूक्रेन युद्ध के दौरान टर्की (तुर्किए) के बायरेक्टर टीबी2 ड्रोन को भी मार गिराए जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. पाकिस्तान ने चुपचाप टर्की से बायरेक्टर ड्रोन खरीदे हैं. 

करीब 40 हजार फीट की ऊंचाई पर 36 घंटे तक आसमान में रहकर निगरानी रखने वाला एमक्यू-9बी मेल (एमएएलई) यानी हाई ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस ड्रोन है. इसके सर्विलांस वर्जन को रीपर के नाम से जाना जाता है जबकि इसके कॉम्बेट (अटैक) वर्जन को प्रीडेटर का नाम दिया गया है. भारत भी अमेरिका से 31 ऐसे एमक्यू-9बी स्काई गार्डियन ड्रोन लेने की तैयारी कर रहा है. 

हाल ही में अमेरिकी संसद (कांग्रेस) ने भारत को एमक्यू-9बी देने की मंजूरी दी थी. ऐसे में माना जा रहा है कि अगले कुछ महीने में भारत और अमेरिका के बीच इन ड्रोन  को सीधे लेने और मेक इन इंडिया के तहत बनाए जाने का करार हो सकता है. हाल ही में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा था कि एमक्यू-9बी ड्रोन के 2027 से पहले भारत में आने की कम ही संभावना है. (पन्नू नहीं आया MQ-9 डील के आड़े)

भारत ने 31 एमक्यू-9बी स्काई गार्डियन रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (आरपीए) और उसके साथ 170 हेलफायर मिसाइल, 310 लेजर स्मॉल डायामीटर बम, ग्लोबल पोजिशनिंग एंड इनरशियल नेविगेशन सिस्टम सहित अन्य उपकरण खरीदने का आग्रह किया था. हालांकि, अमेरिका के उस बयान को लेकर भारत खिन्न है जिसमें मिलिट्री सेल्स को लेकर मंजूरी दी गई है. क्योंकि अमेरिकी रक्षा विभाग ने खरीद की घोषणा के साथ इस बात का भी खुलासा कर दिया है कि भारत को कितनी मिसाइल और बम दिए जा रहे हैं. (MQ-9 डील पक्की लेकिन भारत खिन्न !)

हिंद महासागर की निगहबानी और चीन-पाकिस्तान से सटी एयरस्पेस की निगरानी के लिए भारत को 31 एमक्यू-9बी ड्रोन की आवश्यकता है. इनमे से 15 ड्रोन (सी-गार्डियन) भारतीय नौसेना के लिए हैं और 8-8 वायुसेना और थल सेना के लिए हैॆ. क्योंकि यूएस एमक्यू-9बी ड्रोन के साथ हेलफायर मिसाइल और लेजर गाइडेड बम भी दे रहा है, इससे साफ है कि ये कॉम्बेट यानी हमला करने वाले ड्रोन हैं. पहले ही इस बात को लेकर साफ-साफ कुछ नहीं कहा गया था.

ReplyForwardAdd reaction
ReplyForwardAdd reaction

 

ReplyForwardAdd reaction

 

ReplyForwardAdd reaction
ReplyForwardAdd reaction
X