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अबू हमजा रडार पर, बलिदान नहीं जाएगा व्यर्थ

वायुसेना के काफिले पर हमला करने वाले आतंकी अबू हमजा पर जम्मू कश्मीर पुलिस ने 10 लाख का ईनाम घोषित किया है. इसके साथ ही आतंकी और उसके साथी की तस्वीरें और स्केच भी जारी की गई हैं. तस्वीरों में अबू हमजा अमेरिकी एम-4 गन लिए दिखाई पड़ रहा है. माना जा रहा है कि अबू हमजा ही पिछले साल पुंछ के डेरा की गली में सैनिक की हत्या करने के बाद शव को क्षत-विक्षत की घटना में शामिल था. 

जानकारी के मुताबिक, अबू हमजा की उम्र करीब 32 साल है. हालांकि, सुरक्षाबलों को उसके असली नाम की कोई जानकारी हाथ नहीं लगी है लेकिन तस्वीरों में वो एम-4 गन लिए दिखाई पड़ रहा है. ऐसे में इस बात की संभावना है कि उसका संबंध पाकिस्तान और अफगानिस्तान से हो सकता है. क्योंकि ये एम-4 गन पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले आतंकियों ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों से लूटी थीं. पुलिस के मुताबिक, अबू हमजा पठानी सूट पहनता है और शरीर पर ब्राउन शॉल ओढ़ कर रखता है. उसके पीठ पर एक नारंगी रंग का बैकपैक टंगा रहता है जिसमें वो अपनी गन और दूसरा जरुरी सामान लेकर घूमता है. 

शनिवार (4 मई) को पुंछ के सुरनकोट इलाके में आतंकियों ने वायुसेना के काफिले पर घात लगाकर हमला कर दिया था. इस हमले में वायुसेना के कोरपोरल विक्की पहाड़े वीरगति को प्राप्त हुए थे और चार अन्य वायु-सैनिक घायल हो गए थे. हमले के बाद से सेना की राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) और पुलिस ने इलाके में सघन तलाशी अभियान छेड़ा हुआ है लेकिन अभी तक कोई अता-पता नहीं चल पाया है. हमले की जिम्मेदारी पीपुल्स एंटी फास्सिट फ्रंट (पीएएफएफ) नाम के आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी ली है (आतंकी हमले में वायु-योद्धा का बलिदान, चार घायल).

दरअसल, अबू हमजा कोई नाम नहीं है बल्कि लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों में एक टाइटल या फिर पद की तरह इस्तेमाल किया जाता है. यही वजह है कि सुरक्षाबलों को शक है कि ये विदेशी (पाकिस्तानी) नागरिक भी हो सकता है जो एलओसी से घुसपैठ कर भारत में दाखिल हुआ है और अब राजौरी-पुंछ इलाकों में सक्रिय है. उस पर आतंकी हमलों के साथ ही आतंकियों की भर्ती और टेरर-फंडिंग के भी आरोप हैं. 

पिछले साल दिसंबर के महीने में डेरा की गली इलाके में सेना की एक जिप्सी पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया था. इस हमले की तस्वीरें और वीडियो भी आतंकी संगठनों ने जारी किए थे. उस दौरान अबू हमजा भी तस्वीरों में दिखाई पड़ रहा था. हालांकि, इन तस्वीरों में उसका चेहरा साफ दिखाई नहीं पड़ रहा है. हमले के दौरान आतंकियों ने एक सैनिक के शव के साथ बर्बरतापूर्ण कारवाई भी की थी. उस दौरान भी पीपुल्स एंटी फास्सिट फ्रंट (पीएएफएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली थी. 

सुरक्षाबलों को पूरा शक है कि लश्कर और जैश ने वैश्विक दबाव में आकर अपना नाम बदलकर कश्मीर में पीएएफएफ को खड़ा किया है. ऐसे में अबू हमजा को पाकिस्तान में मिलिट्री (कमांडो) ट्रेनिंग देने के बाद ही आतंकवाद को फिर से जिंदा करने के इरादे से खास तौर से भेजा गया है. क्योंकि कश्मीर घाटी में आतंकवाद लगभग समाप्त होने की कगार पर है. ऐसे में अब पुंछ-राजौरी क्षेत्र को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी अपना गढ़ बनाने की फिराक में है. 

सुरक्षाबलों को ये भी अंदेशा है कि पिछले महीने (अप्रैल में) एक सरकारी कर्मचारी की हत्या में भी अबू हमजा का हाथ था. सरकारी कर्मचारी का भाई टेरिटोरियल आर्मी (टीए) में सैनिक है और उसके पिता की भी आतंकियों ने कई साल पहले हत्या की थी. 

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