विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जब संयुक्त राष्ट्र के मंच पर बोलना शुरु किया तो आतंक परस्त पाकिस्तान की खूब कुटाई की. युद्ध को भड़काने वाले देशों को सुनाया तो वहीं संवाद के माध्यम से शांति की अपील की.
एस जयशंकर ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बीच देशों में संवाद कठिन हो गया है और अगर संवाद हो तो सहमतियां तो उससे भी कठिन हो गई हैं. एस जयशंकर ने दुनिया में अलग-अलग मोर्चों पर चल रहे युद्धों का तत्काल समाधान खोजने की अपील की.
पाकिस्तान से पीओके खाली कराने का मुद्दा सुलझाना बाकी: एस जयशंकर
संयुक्त राष्ट्र पहुंचकर कश्मीर का रोना रोने वाले पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ को एस जयशंकर ने खूब धोया है. एस जयशंकर ने कहा, “पाकिस्तान की सीमा पार से आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी. भारत और पाकिस्तान में बस एक मुद्दा सुलझाया जाना है, वो है पाकिस्तान द्वारा अवैध तरीके से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली कराने का मामला.”
जयशंकर ने कहा, “हमने संयुक्त राष्ट्र में कई अजीब-अजीब सी बातें सुनीं. पर मैं भारत की नीति साफ करना चाहता हूं. भारत के खिलाफ पाकिस्तान की सीमापार आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी. पाकिस्तान को इसका नतीजा भुगतना ही होगा.”
अपने कर्मों का फल भुगत रहा है पाकिस्तान: एस जयशंकर
एस जयशंकर ने पाकिस्तान के लिए कहा, “कई देश इसलिए पिछड़ जाते हैं, क्योंकि हालात उनके नियंत्रण में नहीं होते. पर कुछ देश अपनी इच्छा से विनाशकारी परिणाम चुनते हैं. इसका उदाहरण हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान है. पाकिस्तान दूसरे देशों के लिए परेशानी खड़ा कर रहा है पर वही परेशानियां अब उसके समाज को खत्म कर रहा है. पाकिस्तान इसका आरोप दूसरों पर नहीं मढ़ सकता है, क्योंकि ये सब पाकिस्तान के कर्मों का ही फल है, जो उसे निगल रहा है.”
एस जयशंकर ने चीन को भी सुनाया
विदेश मंत्री ने सुरक्षा परिषद में वैश्विक आतंकियों की घोषणा में अड़गा डालने के लिए चीन को भी खरी-खरी सुनाई है. जयशंकर ने कहा, “आतंक उन सभी चीजों से उल़ट हैं, जिनके लिए दुनिया खड़ी है. वैश्विक आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने में भी राजनीतिक कारणों से बाधा नहीं डाली जानी चाहिए. आतंकवाद के सभी रूपों का सख्ती से विरोध किया जाना चाहिए.”
‘आज दुनिया में संवाद और सहमति कठिन, दुनिया हताश और निराश’
जयशंकर ने कहा कि “चाहे यूक्रेन युद्ध हो या गाजा का संघर्ष, अंतरराष्ट्रीय समुदाय तत्काल समाधान चाहता है और इन भावनाओं को स्वीकार किया जाना चाहिए और उन कार्रवाई की जानी चाहिए. पर आज की दुनिया में संवाद कठिन हो गया है और सहमतियां तो उससे भी कठिन.”
लीडरशिप में बैठे लोग उदाहरण स्थापित करें: एस जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि “संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय विचार-विमर्श, विश्व शांति सुनिश्चित करने के इर्द गिर्द केंद्रित थी, जो वैश्विक समृद्धि के लिए एक पूर्व आवश्यकता है. आज हम शांति व समृद्धि दोनों को ही समान रूप से खतरे में पड़ा हुआ पाते हैं. और ऐसा ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि भरोसा दरक गया है और प्रक्रियाएं बिखर चुकी हैं. अंतरराष्ट्रीय कानून और प्रतिबद्धताओं का सम्मान इस संबंध में सबसे महत्वपूर्ण है. अगर हमें वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करनी है तो ये जरूरी है लीडरशिप पोजिशन पर बैठे लोगों को, सही उदाहरण स्थापित करने होंगे.”