ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (6-7 जुलाई) में हिस्सा लेने रियो डि जेनेरियो पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अगले दो दिन भी ब्राजील में ही रहेंगे. मौका होगा, ब्राजील के साथ द्विपक्षीय वार्ता. ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा के साथ पीएम मोदी, रक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे.
जानकारी के मुताबिक, ब्राजील ने भारत की आकाश मिसाइल में गहन दिलचस्पी दिखाई है. पिछले कुछ समय से ब्राजील, भारत से आकाश एयर डिफेंस सिस्टम के आयात पर बात कर रहा है. हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आकाश मिसाइल सिस्टम की परफॉर्मेंस को देखकर ये संभावना बढ़ गई हैं.
पिछले साल नवंबर में भारत ने आर्मेनिया को भी आकाश मिसाइल प्रणाली को निर्यात किया था. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने आर्मेनिया को आकाश मिसाइल सिस्टम के साथ ग्राउंड सपोर्ट इक्यूपमेंट भी सप्लाई किए थे, जिनमें सर्विलांस रडार, मिसाइल गाइडेंस रडार और सी4आई सिस्टम शामिल थे.
ब्राजील के कमांडर जनरल ने दिखाई है आकाश मिसाइल सिस्टम में दिलचस्पी
पिछले साल अप्रैल (2024) में ब्राजील के कमांडर जनरल थॉमस मिगुएल पाएवा ने मध्यम और लंबी दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम की कमी को लेकर अपने देश की एक उच्च स्तरीय कमेटी को आगाह किया था. पाएवा ने कमेटी को बताया कि ब्राजील की सेना के पास 3000 मीटर (तीन किलोमीटर) तक मार करने वाली एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम तो है लेकिन मीडियम और लॉन्ग रेंज की कमी है.
जनरल पाएवा ने ऐसे में ब्राजील के रक्षा मंत्रालय को भारत के साथ ‘गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट’ यानी दोनों देशों की सरकारों के बीच करार का प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव के तहत ब्राजील को भारत से आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदने की पेशकश की गई थी.
ब्राजील की मिलिट्री पब्लिकेशन जोना-मिलिट्री में आर्मी द्वारा मीडिया और हाई ऑल्टियूड एयर डिफेंस आर्टलरी सिस्टम खरीदने की जानकारी दी गई है. इस बाबत ब्राजील ने एक टेंडर (रिक्वेस्ट फॉर क्यूट) भी जारी किया है. हालांकि, इस टेंडर के लिए चीन ने भी दिलचस्पी दिखाई थी. चीन की स्काई-ड्रैगन मिसाइल इस रेस में शामिल है.
सबमरीन निर्माण के साझा निर्माण पर बन सकती है सहमति
आकाश मिसाइल के साथ ही भारत और ब्राजील, पनडुब्बियों के साझा निर्माण पर भी जोर दे रहे हैं. स्वदेशी शिपयार्ड, मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (एमडीएल), फ्रांस की मदद से देश में ही छह (06) स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन बना रहा है. साथ ही तीन (03) अतिरिक्त स्कॉर्पीन सबमरीन बनाने का करार भी फ्रांस से होने जा रहा है.
वायुसेना के मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (एमटीए) प्रोजेक्ट में हिस्सा ले सकती है ब्राजील की एम्ब्रेयर कंपनी
आकाश और सबमरीन के बदले में ब्राजील से भारत को वायुसेना के मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (एमटीए) प्रोजेक्ट के लिए मदद मिल सकती है. ब्राजील की एम्ब्रेयर कंपनी, भारतीय वायुसेना के इस प्रोजेक्ट में हिस्सा बनने की तैयारी कर रही है. इसके लिए एम्ब्रेयर कंपनी ने स्वदेशी महिंद्रा कंपनी से एक करार भी किया है. यानी ब्राजील इस प्रोजेक्ट में कामयाब रहा तो निकट भविष्य में एम्ब्रेयर कंपनी भारत में ही एमटीए प्रोजेक्ट के तहत सी-390एम एयरक्राफ्ट का निर्माण कर सकती है.
एम्ब्रेयर को हालांकि, एमटीए प्रोजक्ट के लिए अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन और एयरबस से कड़ी टक्कर मिल सकती है. क्योंकि एयरबस पहले से ही गुजरात के बड़ोदरा में टाटा कंपनी के साथ मिलकर वायुसेना के लिए सी-295 एयरक्राफ्ट का निर्माण कर रही है. साथ ही लॉकहीड मार्टिन के सी-130जे सुपर हरक्युलिस विमान को भारतीय वायुसेना इस्तेमाल करती है.
एमटीए प्रोजेक्ट के तहत, भारतीय वायुसेना के पुराने पड़ चुके एएन-32 और आईएल-76 एयरक्राफ्ट को किसी नए मीडियम वेट एयरक्राफ्ट से रिप्लेस किया जाना है.