रूस में निर्मित भारतीय नौसेना के स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस तुशील को एशिया के सबसे बड़े नेवल बेस कारवार में तैनात किया जाएगा. खुद नौसेना ने इस तैनाती की तस्दीक की है.
आईएनएस तुशील को इसी महीने की 9 तारीख को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में रूस के कलिनिनग्राड शिपयार्ड में एक सेरेमनी के दौरान नौसेना में शामिल किया गया था.
तुशील अब स्वदेश आने के लिए अपनी यात्रा के एक दूसरे पड़ाव पर पहुंच चुका है. शुक्रवार को तुशील मोरक्को के कैसाब्लांका बंदरगाह पहुंच गया. बाल्टिक सागर से लंदन होता हुआ तुशील मोरक्को पहुंचा है.
भारत और मोरक्को के बीच द्विपक्षीय संबंधों और नौसैनिक सहयोग को मजबूत करने के भाग के रूप में, आईएनएस तुशील कैसाब्लांका पहुंचा है.
मोरक्को से समुद्री संबंध
मोरक्को एक समुद्री राष्ट्र है और भारत की तरह भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर दोनों की तटरेखा के साथ एक महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थिति रखता है.
उल्लेखनीय है कि पिछले 12 महीनों में भारतीय नौसेना के तीन जहाज, तबर , तर्कश और सुमेधा ने कैसाब्लांका का दौरा किया है जिससे आपसी विश्वास और अंतर-संचालनीयता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान, तुशील का दल रॉयल मोरक्कन नौसेना के कर्मियों के साथ कार्यात्मक स्तर पर बातचीत करेगा, नौसेना सहयोग, कूटनीतिक संबंधों और सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य मेहमानों की मेजबानी करेगा. इसके बाद, दोनों नौसेनाएं अंतर-संचालन में सुधार और सर्वोत्तम व्यवस्थाओं को साझा करने के लिए समुद्र में एक मार्ग अभ्यास (पासेक्स) में शामिल होंगी. (https://x.com/indiannavy/status/1872946326737924413)
कारवार में तैनात होगा तुशील
आईएनएस तुशील को 09 दिसंबर 24 को रूस में कमीशन किया गया था और इसकी कमान कैप्टन पीटर वर्गीस के हाथों में है. इस कमान में 250 कर्मियों का एक समर्पित दल है.
नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, जैसे-जैसे यह फ्रिगेट कारवार में अपने गृह बंदरगाह की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा , यह मित्रवत विदेशी नौसेनाओं के साथ सहयोगी अभ्यास में भाग लेगा जिससे इस क्षेत्र के देशों के साथ भारत की समुद्री कूटनीति को और बढ़ावा मिलेगा.
कैसा है एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस
गोवा के करीब कारवार में बन रहे एशिया के सबसे बड़े मेरीटाइम बेस का बंदरगाह करीब छह किलोमीटर लंबा है जहां एक साथ 50 से ज्यादा युद्धपोत, पनडुब्बियां और यार्ड क्राफ्ट (छोटे शिप) डॉक कर सकेंगे. खास बात ये है कि इस बेस का ड्राई-बर्थ कुतुबमीनार से ऊंचा होगा.
प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत उत्तरी कर्नाटक के कारवार में तैयार किए जा रहा ये नेवल बेस 25 किलोमीटर एरिया में फैला होगा. नौसेना के मुताबिक, कारवार के प्रोजेक्ट सीबर्ड का मुख्य आकर्षण होगा 75 मीटर कवर ड्राई-बर्थ, जो कुतुबमीनार से ऊंचा होगा. ये ड्राई-बर्थ 33 हजार स्क्वायर मीटर एरिया में फैला होगा. इस बर्थ में युद्धपोत के डॉक करने के साथ-साथ चार जहाज का मेंटेनेंस भी हो सकता है. प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) प्रोजेक्ट सीबर्ड के दूसरे फेज के लिए मंजूरी दे चुकी है. (कारवार में एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस)
नेवल एयर स्टेशन भी होगा कारवार में
सीबर्ड प्रोजेक्ट के तहत कारवार में नेवी और कमर्शियल ग्रीन-फील्ड नेवल एयर स्टेशन होगा जिसका 2700 मीटर लंबा रनवे होगा. इस एयर स्टेशन से भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात होने वाले फाइटर जेट इत्यादि को मदद तो मिलेगी ही साथ ही सिविल एन्क्लेव भी होगा जहां कमर्शियल फ्लाइट के ऑपरेशन्स हो सकेंगे.
प्रोजेक्ट सीबर्ड के फेज-2ए में चार अलग-अलग टाउनशिप होंगे जिसमें 10 हजार नौसैनिक, नेवल ऑफिसर्स और डिफेंस सिविलियन स्टाफ के रहने के लिए आवासीय परिसर होंगे. इंडियन नेवी के मुताबिक, कारवार स्थित नेवल बेस के निर्माण से 7000 लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा और देशभर में करीब 20 हजार जॉब पैदा होंगी. जब कारवार में एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस पूरी तरह ऑपरेशन्ल हो जाएगा तो यहां 50 हजार लोग रह पाएंगे.