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INS विक्रमादित्य बनेगा अधिक घातक, Refit कोचीन शिपयार्ड में

भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य के रीफिट के लिए रक्षा मंत्रालय ने कोचीन शिपयार्ड से 1207 करोड़ का समझौता किया है. रीफिट के बाद विक्रमादित्य की कॉम्बैट क्षमताएं बढ़ जाएगी.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, समझौते के तहत कोचिन शिपयार्ड में आईएनएस विक्रमादित्य के लिए ‘शॉर्ट रीफिट और ड्राई-डॉकिंग’ की जाएगी. इसकी कुल कीमत 1207.5 करोड़ है.

भारत ने वर्ष 2013 में रूस से आईएनएस विक्रमादित्य विमान-वाहक युद्धपोत खरीदा था. रूसी नौसेना ने अपने पुराने जंगी जहाज ‘एडमिरल गोर्शकोव’ को एयरक्राफ्ट कैरियर में बदलकर भारत को दिया था. रूस से ही लिए मिग-29के फाइटर जेट और कामोव हेलीकॉप्टर इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात रहते हैं. हालांकि, भारत ने आधिकारिक तौर से विक्रमादित्य के सौदे की रकम का कभी खुलासा नहीं किया था लेकिन माना जाता है कि ये 18 हजार करोड़ थी.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, रीफिट के बाद विक्रमादित्य “उन्नत लड़ाकू क्षमताओं के साथ एक बार फिर से भारतीय नौसेना के जंगी बेड़ा का हिस्सा बनेगा.”

रीफिट होने तक नौसेना एक विमानवाहक युद्धपोत के जरिए ही देश की समुद्री-सीमाओं की सुरक्षा करेगा. वर्ष 2022 में भारतीय नौसेना ने स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को जंगी बेड़े में शामिल किया था.

विक्रांत पर फिलहाल तैनात करने के लिए कोई लड़ाकू विमान नहीं है. फ्रांस से 26 राफेल (रफाल) लड़ाकू विमानों के मरीन वर्जन खरीदने पर हालांकि बातचीत चल रही है. ऐसे में विक्रमादित्य पर तैनात होने वाले मिग-29के ही विक्रांत पर तैनात किए जा सकते हैं.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, रीफिट और ड्राई-डॉकिंग के जरिए कोचीन शिपयार्ड जंगी जहाजों के मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (एमआरओ) हब के तौर पर काम करेगा. प्रोजेक्ट के जरिए करीब 50 एमएसएमई कंपनियों की हिस्सेदारी होगी और करीब 3500 लोगों को रोजगार मिलेगा.

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