शुक्रवार सुबह से ही अफवाहों का दौर गर्म हो गया कि इजरायल ने ईरान से बदला लेने की कार्रवाई शुरु कर दी है. इजरायल के मित्र-देश यूएस के गुमनाम अधिकारियों के हवाले से सबसे पहले अमेरिकी मीडिया ने खबर फैलाई की इजरायल ने हमले शुरु कर दिए हैं. लेकिन इजरायली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) की तरफ से अटैक की कोई पुष्टि नहीं की गई. ईरान ने इस बात को जरुर कबूल किया कि एयर-डिफेंस बैटरियों को एक्टिव किया गया था जिसके चलते कई शहरों में धमाकों की आवाज सुनी गई थी.
ईरान की मीडिया के मुताबिक, धमाकों की आवाज इसफहान शहर में सुनी गई थी. इसफहान में ईरान की सबसे बड़ी मिसाइल फैक्ट्री है और न्यूक्लियर प्लांट भी है. ईरान ने ये कहकर हमले की खबर को दबाने की कोशिश की कि शहर में तीन क्वाडकॉप्टर देखे गए थे जिन्हें एयर डिफेंस मिसाइल से गिरा दिया गया. ईरान की मिसाइल की आवाज है लोगों ने शहर में सुनी थी. हालांकि, पश्चिमी मीडिया ने ये भी दावा किया कि ऐसी ही आवाज ईरान के कई शहरों में सुनाई दी थी. लेकिन न तो ईरान और न ही इजरायल ने अभी तक इन खबरों की पुष्टि की है. ऐसे में अफवाहों का बाजार गर्म है.
अगर इजरायल को हमला करना ही था तो छोटे ड्रोन (क्वाडकॉप्टर) से करने की क्या जरूरत थी. इजरायल का दुनिया को ये दिखाना चाहता है कि उसकी पहुंच ईरान के अंदरुनी इलाकों तक में भी है और जब चाहे वहां की मिसाइल फैक्ट्री और न्यूक्लियर प्लांट तक को निशाना बना सकता है. गाजा में हमास के खिलाफ जंग में पल-पल की खबरों की कमेंट्री करने वाली आईडीएफ और इजरायल का नेतृत्व आखिर चुप क्यों है.
इजरायल के ड्रोन अटैक को लेकर खुद इजरायल के मंत्रियों ने सवाल खड़े करने शुरु कर दिए हैं. इजरायल के एक मंत्री ने अपने एक्स अकाउंट पर ये तक लिख दिया कि इतना कमजोर हमला करने की क्या जरूरत थी.
कहीं ऐसा तो नहीं कि इजरायल क्वाडकॉप्टर अटैक के जरिए ईरान की एयर-डिफेंस क्षमताएं जुटाना चाहता था. तो ऐसे में क्या इजरायल वाकई किसी बड़े हमले की तैयारी में जुटा है. क्योंकि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और सेना प्रमुख कह चुके हैं कि 13 अप्रैल के हमलों को बदला जरुर लिया जाएगा. हालांकि, ये बदला कब और कितना बड़ा होगा इसको लेकर इजरायल अपने पत्ते नहीं खोल रहा है.
सीरिया में कांसुलेट पर हुए अटैक के बाद ईरान ने 13 अप्रैल को इजरायल पर सीधे हमला बोलते हुए ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस लॉन्च किया था. ऑपरेशन के दौरान ईरान ने 300 से ज्यादा शहीद (कामकाजी) ड्रोन, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों से अटैक किया था. लेकिन इजरायल ने अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की मदद से ईरान के 90 प्रतिशत से ज्यादा हवाई हमलों को न्यूट्रिलाइज करने का दावा किया था.