ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के सुर अमेरिका को लेकर थोड़े बदल गए हैं. अमेरिका के कट्टर दुश्मन अयातुल्ला अली खामनेई ने परमाणु कार्यक्रम को लेकर यूएस से बातचीत के संकेत दिए हैं.
तमाम तरीके के प्रतिबंध से जूझ रहे ईरान के सुप्रीम लीडर का मानना है कि दुश्मन के साथ बातचीत करने में कोई बाधा नहीं है. हालांकि खामनेई ने इस बात की चेतावनी जरूर दी कि “अमेरिका पर विश्वास नहीं किया जा सकता,” खामेनेई की ये टिप्पणियां सुधारवादी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान की सरकार के तहत होने वाली बातचीत को लेकर अहम मानी जा रही है. खामेनेई की मंजूरी ईरान में पत्थर की लकीर मानी जाती है. ईरान में सुप्रीम लीडर जो कहता है, वही होता है. सभी मामलों में खामेनेई ही अंतिम निर्णय लेते हैं.
‘दुश्मन’ से बातचीत के लिए तैयार है ईरान
मंगलवार को ईरान के सर्वोच्च नेता खामनेई ने ईरान के बढ़ते परमाणु कार्यक्रम के बारे में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत फिर से शुरू होने के संकेत दिए . ईरान के लोगों को एक वीडियो संदेश में कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत करने में कोई बाधा नहीं है, जिसे “दुश्मन” कहा जाता है. खामनेई ने अपने संदेश में कहा है कि “हमें अपनी उम्मीदें दुश्मन से नहीं करनी चाहिए” और “अपनी योजनाओं के लिए हमें दुश्मनों की मंजूरी का इंतजार नहीं करना चाहिए.”
ईरान में सुप्रीम लीडर के साथ मंत्रियों की बैठक
खामेनेई का बयान साल 2015 के परमाणु समझौते के इर्द-गिर्द घूम रहा है जिसने प्रतिबंधों में राहत के बदले में ईरान की परमाणु गतिविधियों को काफी हद तक प्रतिबंधित कर दिया था. ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के नए विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने 2015 की वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (2017-21) ने ईरान पर प्रतिबंधों में राहत के बदले में ईरान की परमाणु गतिविधियों को काफी सीमित कर दिया था. पेजेशकियन के मंत्रिमंडल के साथ खामनेई की बैठक में पूर्व विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ भी शामिल थे. ज़रीफ़ भी ईरान के वो नेता हैं, जिन्होंने साल 2015 के सौदे को नजदीक से देखा है.
अमेरिका-ईरान के बीच ओमान-कतर की मध्यस्थता!
अमेरिकी विदेश विभाग ने खामनेई की टिप्पणियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. ओमान और कतर की मध्यस्थता में ईरान और अमेरिका के बीच हाल ही में अप्रत्यक्ष वार्ता हुई है, जो सौदे के टूटने के बाद हुई है.
हालांकि अमेरिका से ईरान की इस बातचीत की संभावनाएं थोड़ी कम इसलिए भी लग रही हैं क्योंकि नवंबर में अमेरिका में चुनाव होना है, साथ ही इजरायल-हमास के साथ चल रही जंग की वजह से भी तनाव बढ़ा है. अमेरिका के चुनावी मैदान में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप प्रमुख उम्मीदवार हैं. कमला हैरिस ने ईरान के खिलाफ कड़ा रुख दिखाते हुए हाल ही में कहा था कि “वह अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए निर्णायक कार्रवाई करेंगी.”