जम्मू कश्मीर से ‘अफस्पा’ हटाने की चर्चा के साथ ही भारतीय सेना ने पुलिस को एंटी-टेररिज्म ऑपरेशन्स की ट्रेनिंग देना शुरु कर दिया है. डोडा स्थित सेना के बेटल स्कूल में इनदिनों जम्मू कश्मीर पुलिस के 62 डीएसपी और 1000 सब-इंस्पेक्टर ट्रेनिंग ले रहे हैं. इनमें बड़ी संख्या में महिला पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.
जानकारी के मुताबिक, पहली बार भारतीय सेना की व्हाइट नाइट कोर ( नगरोटा स्थित 16वीं कोर) के आर्मी बैटल स्कूल में भारतीय सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस की ज्वाइंट ट्रेनिंग चल रही है. इस ट्रेनिंग के दौरान, पुलिसकर्मियों को ऑपरेशन टैक्टिक्स, इंटेलिजेंस शेयरिंग, काउंटर टेररिज्म रणनीति के बारे में खास जोर दिया जा रहा है. भारतीय सेना ने पिछले तीन-चार दशक के दौरान जम्मू कश्मीर में अपनी कार्रवाई के दौरान इस्तेमाल इन रणनीतियों का खास इस्तेमाल किया है.
80 के दशक के आखिरी सालों से जम्मू कश्मीर में लॉ एंड ऑर्डर की बुरी गत हो गई थी. पाकिस्तान से ओपरेट करने वाले आतंकी संगठनों के साथ साथ स्थानीय तंजीम (आतंकी ग्रुप) भी एक्टिव हो गए थे. ऐसे में राज्य में शांति बहाली के लिए सेना के हाथों में कमान दे दी गई. इसके लिए राज्य में खास आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) लागू किया गया. इस कानून के तहत सेना को कानूनी तौर से मजूबत किया गया. इसका नतीजा ये हुआ कि सेना ने सीआरपीएफ और पुलिस के साथ मिलकर आतंकवाद का लगभग सफाया कर दिया.
पुलवामा अटैक के बाद सेना ने पुलिस के साथ मिलकर आतंकियों पर ‘क्रैक डाउन’ किया. सोपोर में स्ट्रेटेजिक तरीके से आतंकवाद पर काबू पाया गया. लेकिन अफस्पा कानून को लेकर स्थानीय कश्मीर सेना के खिलाफ आवाज उठाते आए थे. ऐसे में जब धारा 370 हटाने के बाद से राज्य में शांति बहाली हो गई है तो हाल ही मे गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जल्द ही राज्य से अफस्पा हटा दिया जाएगा. यही वजह है कि सेना ने अब एक नए और अहम रोल के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस को तैयार करना शुरु कर दिया है. ये इसलिए ताकि आने वाले समय में जम्मू कश्मीर पुलिस एंटी टेरेरिस्ट ऑपरेशन की कमान पूरी तरह से अपने हाथों में ले सके.
जम्मू कश्मीर से आतंकवाद के खात्मे के लिए सेना की तरफ से ऑपरेशन ऑल आउट लगातार जारी है और इस ऑपरेशन की सफलता इस बात से ही लगाई जा सकती है की घाटी में मौजूद लगभग सभी आतंकियों के टॉप कमांडर मुठभेड़ में ढेर कर दिए गए हैं. हालात ये तक आ गए हैं कि आतंकी तंजीम अब किसी को भी कमांडर बनाने से ख़ौफ़ खा रहे हैं.
दरअसल, सेना और पुलिस की ट्रेनिंग में खासा अंतर है और इसे कम करने के मकसद से भारतीय सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस एक साथ ट्रेनिंग कर रहे है. खास बात ये है कि पिछले तीन दशक से एक ही दुश्मन से अपने अपने हिसाब से निपटने वाले सुरक्षाबलों ने अब पहली बार एक तरह से सोचना शुरु किया और उसी का नतीजा है ज्वाइंट ट्रेनिंग.
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