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LCA Tejas में पीएम मोदी की स्वदेशी उड़ान, दुनिया ने दबाई दांतों तले उंगली

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर अपना पायलट-लुक साझा किया तो पूरी दुनिया हैरान रह गई. पीएम मोदी की ये उड़ान थी स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस की. उस तेजस की जो भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. वो तेजस जिसे हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल ने तैयार किया है.  

हम किसी से कम नहीं: पीएम मोदी 

पीएम मोदी शनिवार सुबह बेंगुलुरु स्थिति एचएएल के फैसिलिटी के दौरे पर पहुंचे थे. इस दौरान पीएम मोदी ने तेजस के मैन्यूफैक्चरिंग हब का निरीक्षण किया. अधिकारियों से बात की और तेजस में उड़ान भरी. पीएम मोदी ने लड़ाकू विमान में फ्लाइंग का वीडियो भी शेयर किया है. करीब आधा घंटे तक आसमान में पीएम मोदी के तेजस के साथ साथ एक और तेजस विमान ने उड़ान भरी. आसमान की ऊंचाई पर पीएम मोदी ने दूसरे विमान के पायलट को देखकर हाथ भी हिलाया. इस दौरान एयरफोर्स चीफ वी आर चौधरी भी बेंगलुरू में मौजूद थे. उड़ान भरने के बाद पीएम मोदी ने एयरफोर्स की हौसला अफजाई की और अपने एक्स पोस्ट में लिखा, मैं आज तेजस में उड़ान भरते हुए अत्यंत गर्व के साथ कह सकता हूं कि हमारी मेहनत और लगन के कारण हम आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में विश्व में किसी से कम नहीं हैं. भारतीय वायुसेना, डीआरडीओ और एचएएल के साथ ही समस्त भारतवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं. 

वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता भारत सरकार की प्राथमिकता 

मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है तो भारत की कोशिश थी आत्मनिर्भर भारत बनाने की है. आत्मनिर्भरता चाहे वो वायुसेना में हो, थल सेना में हो या फिर नौसेना में हो. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता इसलिए भी जरूरी है क्योंकि स्वतंत्रता के बाद से ही भारत दूसरे देशों जैसे की रुस, अमेरिका, फ्रांस और इजरायल पर निर्भर है. ऐसे में भारत सरकार का इस बात पर जोर ज्यादा है कि सशस्त्रबल अपने बनाए हथियार, फाइटर जेट्स इस्तेमाल करें. अगर कोई अगला युद्ध हो तो भारत अपने स्वदेशी हथियारों से लड़े. यही वजह है कि आत्मनिर्भरता का सबसे बड़ा उदाहरण तेजस है, जिसे डीआरडीओ और भारतीय कंपनी एचएएल ने तैयार किया है.  पीएम मोदी ने इस बात का कई बार जिक्र भी किया है कि उनकी सरकार रक्षा उपकरणों के स्वदेशी निर्माण के साथ-साथ निर्यात पर भी जोर दे रही है.

कौन से देश खरीदना चाहते हैं ‘तेजस’  

तेजस की खूबियों के चलते बड़े बड़े देशों ने तेजस को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. सिंगल इंजन वाला 4.5 जेनरेशन तेजस एक बहुउद्देश्यीय लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एलसीए) है जिसकी खूबियों के चलतेे कई  देश इसके खरीदार बनना चाहते हैं. कई देशों ने इस विमान में दिलचस्पी दिखाई है. अमेरिका, फिलीपींस, अर्जेंटीना, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया समेत आधा दर्जन से ज्यादा देश तेजस को खरीदना चाहते हैं. वायुसेना ने 83 एलसीए मार्क-1ए विमानों की खरीद के लिए एचएएल की साथ करीब 37 हजार करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट किया था. पर पिछले महीने ही एयरफोर्स चीफ वी आर चौधरी ने अपने एक बयान में कहा था कि हम 97 और तेजस विमान खरीदने का विचार कर रहे हैं. जिसके बाद सौदा 67 हजार करोड़ तक हो सकता है. 

2011 में दी गई थी तेजस को ऑपरेशनल मंजूरी- कांग्रेस 

पीएम मोदी के तेजस में उड़ान भरने को लेकर कांग्रेस ने बिना नाम लिए निशाना साधा है. जयराम रमेश ने कहा है कि- चुनावी फोटोऑप्स के मास्टर को 2014 से पहले के किए काम को स्वीकार करने के लिए ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता है. जयराम रमेश ने कहा- तेजस बेशक मील का पत्थर है पर 2011 (2013) में ऑपरेशनल मंजूरी दी गई थी. हमारी स्वदेशी वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता की इस योजना को 1984 में स्थापित एडीए यानी एयरोनॉटिकल डेवलेपमेंट एजेंसी ने डिजाइन किया था. एलसीए का तेजस नाम तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (1998-2004) ने दिया था.

एलसीए तेजस की ऑपरेशन तैनाती

तेजस को वर्ष 2016 में फाइनल ऑपरेशन्ल क्लीयरेंस के बाद भारतीय वायुसेना में विधिवत तरीेके से शामिल किया गया था. इस वक्त वायुसेना में एलसीए तेजस की दो स्क्वाड्रन (45 और 18) हैं जो तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस पर तैनात रहती है. हाल ही में तेजस को एलओसी से सटे जम्मू-कश्मीर के अवंतीपुरा में तैनात किया गया था. एलसीए मार्क1ए की डिलीवरी 2024 से शुरु होने की उम्मीद है. फिलहाल एचएल सालाना 08 एलएसी तेजस एयरक्राफ्ट का निर्माण करती है. वर्ष 2025 तक ये संख्या 16 तक बढ़ सकती है और उसके तीन साल बाद सालाना 25. मोदी सरकार ने एलएसी मार्क-2 के लिए भी एचएएल को 9000 करोड़ दिए हैं जो मार्क-1ए से ज्यादा घातक होगा. इसी साल पीएम मोदी ने अमेरिका की यात्रा के दौरान जीई एविएशन से एक करार के तहत एविएश-इंजन भारत में बनाने का करार किया था. ये जीई-414 इंजन एलसीए तेजस में लगाए जाएंगे. 

 

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