Acquisitions Breaking News Defence

मिलिट्री टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल HADR में करें: राजनाथ

उत्तराखंड के माना में आए एवलांच और रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्नत सैन्य प्रणालियों और टेक्नोलॉजी का लाभ न केवल सिक्योरिटी ऑपरेशन्स के लिए, बल्कि आपदा प्रबंधन और मानवीय राहत (एचएडीआर) के लिए भी उठाए जाने का आह्वान किया है.

मंगलवार को राजनाथ सिंह, डीआरडीओ और गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. सम्मेलन का थीम था ‘आंतरिक सुरक्षा और आपदा राहत कार्यों के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी’.

सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने कहा कि “प्रौद्योगिकी की भूमिका केवल रक्षा में ही नहीं, बल्कि शांति और सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करने में भी है. बुलेटप्रूफ जैकेट, ड्रोन, निगरानी उपकरण और ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकी जैसी उन्नत प्रणालियों का लाभ न केवल सुरक्षा अभियानों के लिए, बल्कि आपदा प्रबंधन और मानवीय राहत के लिए भी उठाया जाना चाहिए.” (https://x.com/adgpi/status/1896214583989137463)

ड्रोन और थर्मल इमेजिंग कैमरे का इस्तेमाल

राजनाथ सिंह ने चक्रवात, हिमस्खलन, भूकंप और बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती घटनाओं का हवाला दिया और उन्नत बचाव उपकरणों की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया. उन्होंने उल्लेख किया कि थर्मल इमेजिंग कैमरे, ड्रोन-आधारित पहचान प्रणाली और पीड़ित का पता लगाने वाले उपकरणों जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग हताहतों और क्षति को काफी हद तक कम कर सकता है.

उत्तराखंड के माणा में हाल ही में हुए हिमस्खलन (एवलांच) का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने जीवन बचाने और आपदा के प्रभाव को कम करने में उन्नत बचाव उपकरणों के इस्तेमाल की सराहना की. उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि हालांकि आपदाएं अपने आप में दुखद होती हैं, लेकिन उन्नत प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है.

पारंपरिक खतरों के साथ हाइब्रिड वारफेयर से भी करने होंगे दो-दो हाथ

राजनाथ सिंह ने इस दौरान भारत के सुरक्षा तंत्र को पारंपरिक खतरों के साथ-साथ, साइबर वारफेयर, हाइब्रिड युद्ध, अंतरिक्ष आधारित चुनौतियों और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध जैसे उभरते खतरों के अनुसार अनुकूल होने का भी आह्वान किया.

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की आंतरिक सुरक्षा का अर्थ केवल आतंकवाद, अलगाववादी आंदोलन और वामपंथी उग्रवाद जैसे पारंपरिक खतरों से निपटना नहीं है, बल्कि उन अपरंपरागत खतरों के लिए तैयारी करना भी है, जो देश के आर्थिक और सामरिक हितों को अस्थिर कर सकते हैं. उन्होंने कहा, “वर्तमान समय में शत्रु हमेशा पारंपरिक हथियारों के साथ नहीं आते हैं; साइबर हमले, गलत सूचना अभियान और अंतरिक्ष आधारित जासूसी नए युग के खतरों के रूप में उभर रहे हैं और इनके लिए उन्नत समाधान की आवश्यकता है.”

राष्ट्रीय सुरक्षा को समग्र रूप में देखने की जरूरत

रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को समग्र रूप से देखा जाना चाहिए, विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के प्रयासों को एकीकृत करना चाहिए और नवीनतम प्रौद्योगिकी प्रगति का लाभ उठाना चाहिए.

सभा को संबोधित करते हुए, राजनाथ सिंह ने वैश्विक सुरक्षा में बढ़ती जटिलताओं और आंतरिक तथा बाहरी खतरों के बीच बढ़ते जुड़ाव पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, “आधुनिक विश्व में सुरक्षा चुनौतियां तेजी से विकसित हो रही हैं तथा आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच जुड़ाव बढ़ रहा है. यह जरूरी है कि हमारे संस्थान एक मजबूत, सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत सुनिश्चित करने के लिए एक दूसरे का सहयोग लेकर काम करें.”

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.