एक ही मिसाइल से कई लक्ष्य साधने वाला देशों की श्रेणी में भारत का नाम शुमार हो गया है. सोमवार को डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 में एमआईआरवी तकनीक के जरिए ये कारनामा करके दिखाया. डीआरडीओ के मिशन दिव्यास्त्र के जरिए मिसाइल टेक्नोलॉजी में हासिल इस महारत का ऐलान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया.
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों को बधाई और सराहना करते हुए पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि “मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व है, मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि -5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण सफल रहा है.” (https://x.com/narendramodi/status/1767159762108465538?s=20)
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ओडिशा के डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड के तट से अग्नि-5 की एमआईआरवी तकनीक का सफल टेस्ट किया गया. इस फ्लाइट टेस्ट को मिशन दिव्यास्त्र नाम दिया गया. मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि अनेक टेलीमेट्री और रडार स्टेशन ने मल्टीपल रि-एंट्री व्हीकल को मॉनिटर किया. मिशन पर सभी मापदंडों पर खरा उतरा.
भारत से पहले चीन, अमेरिका, रुस और ब्रिटेन जैसे देशों के पास ही इस तरह के मल्टीपल टारेगट तकनीक है. इसके जरिए एक मिसाइल से ही अलग-अलग (2-10) टारगेट पर निशाना साधा जा सकता है. अमूमन एक मिसाइल में एक ही वार-हेड होता है जिसके कारण वो एक ही निशाना लगा पाती है. लेकिन एमआईआरवी तकनीक से एक ही मिसाइल में कई वार-हेड को लगाया जा सकता है. ऐसे में एक ही समय में मिसाइल अलग-अलग स्थानों पर एक ही साथ निशाना लगाने में सक्षम हो सकती है.
आईसीबीएम अग्नि-5 की रेंज करीब 5-7000 किलोमीटर है और वर्ष 2012 में इसका पहला परीक्षण हुआ था. अग्नि 5 परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम मिसाइल है. अग्नि-5 एक सामरिक महत्व की मिसाइल है और वर्ष 2018 से इसका इस्तेमाल देश की ट्राई-सर्विस स्ट्रेटेजिक फोर्स कमान (एसएफसी) करती है. सोमवार के सफल परीक्षण के बाद जल्द ही अग्नि-5 का एमआईआरवी वर्जन भी एसएफसी के जंगी बेड़े का हिस्सा बन जाएगा.
सोमवार के परीक्षण के लिए डीआरडीओ ने कुछ दिनों पहले बंगाल की खाड़ी में 11-16 मार्च के बीच नोटैम (नो टू एयर मैन) यानी इस अवधि में सभी विमानों को बंगाल की खाड़ी की एयर-स्पेस में फ्लाइंग पर रोक लगा रखी थी.
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस के मुताबिक, जिस वक्त अग्नि-5 के एमआईआरवी वर्जन का परीक्षण हुआ उसी वक्त चीन का एक स्पाई शिप शियान यांग होंग-1 भी बंगाल की खाड़ी में मंडरा रहा था. शियांग यांग होंग-3 कुछ दिनों पहले ही मालदीव से हिंद महासागर के रास्ते चीन लौट रहा है.
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