26 जुलाई को फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने वाले ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों पर मंडरा रहे आतंकी खतरे को देखते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पेरिस ओलंपिक को लेकर हमास के आतंकियों ने चेतावनी दी है कि “पेरिस में खून की नदियां बहेंगी.”
आतंकी संगठन हमास का फाइटर बताते हुए एक शख्स का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. शख्स ने केफियेह (मिडिल ईस्ट में इस्तेमाल होने वाला स्कार्फ) पहनकर धमकी दी है कि पेरिस ओलंपिक में खून की नदियां बहेंगी. ओलंपिक गेम्स में इजरायल भी हिस्सा ले रहा है. धमकी भरे वीडियो के बाद इजरायल ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है. वहीं माइक्रोसॉफ्ट ने वीडियो को फर्जी बताते हुए कहा है कि वीडियो रूस से जुड़े एक ग्रुप का लगता है.
‘फिलिस्तीनियों की मौत का बदला लेंगे’
शख्स ने केफियेह पहनकर अरबी भाषा में एक मिनट का वीडियो जारी किया है. खुद को हमास आतंकी बताते हुए वीडियो में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को संबोधित करते हुए कहा कि ” जिसने हमारे भाइयों, बहनों और बच्चों की हत्या की, तुमने उन्हें हथियार मुहैया कराकर उन लोगों की मदद की और तुमने उन जायोनीवादियों को ओलंपिक में भी बुलाया है. फ्रांस हमास के साथ युद्ध में इजरायल का समर्थन करता है और ओलंपिक खेलों में इजरायली एथलीटों का स्वागत करता है. इन सब की तुम्हें कीमत चुकानी पड़ेगी. ओलंपिक में खून की नदियां बहेंगी”
हमास और माइक्रोसॉफ्ट ने बताया फर्जी, क्या है रूस से कनेक्शन?
ओलंपिक में धमकी दिए जाने के बाद हमास के अधिकारी इज्जत अल-रिशेक ने वीडियो पर प्रतिक्रिया दी है. हमास के अधिकारी इज्जत अल-रिशेक टेलीग्राम पर वीडियो को फर्जी बताते हुए शख्स को प्रमाणित करने से इंकार किया है. इज्जत अल-रिशेक ने शख्स को फर्जी बताते हुए वीडियो को धोखाधड़ी वाला बताया है.
वहीं वीडियो सोशल मीडिया हैंडल एक्स और टेलीग्राम पर सर्कुलेट होने के बाद माइक्रोसॉफ्ट के रिसर्चर्स ने इस वीडियो की बारीकी से जांच की है. एक्सपर्ट्स ने इस वीडियो को फेक बताया है. माइक्रोसॉफ्ट के शोधकर्ताओं ने बताया कि “वीडियो रूस से जुड़े दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा है, जो कि आयोजित होने वाले इस आयोजन को रोकना चाहता है.”माइक्रोसॉफ्ट के थ्रेट एनालिसिस सेंटर के एक्सपर्ट के मुताबिक, वीडियो की जांच की गई है यह वीडियो यूक्रेन से संबंधित पिछले वीडियो से मिलता-जुलता है, इस वीडियो का रूसी दुष्प्रचार समूह से जुड़े होने की आशंका है.
माइक्रोसॉफ्ट के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, “स्टॉर्म-1516 नामक एक ग्रुप इस वीडियो के पीछे है. यह ग्रुप रूस के कुख्यात इंटरनेट रिसर्च एजेंसी ट्रोल फार्म का एक छोटा लेकिन अहम हिस्सा है, हाल के दिनों में इस वीडियो को कई लोकप्रिय अकाउंट्स द्वारा फैलाया गया है, जो रूसी प्रचार में शामिल हैं. रूस के इस ग्रुप की कोशिश है कि लोगों को खेल से दूर रखा जाए, वीडियो हमास का होने का दिखावा करता है.”
माइक्रोसॉफ्ट के थ्रेट एनालिसिस सेंटर के मुताबिक कि इस वीडियो और यूक्रेन के बारे में पिछले वीडियो के बीच समानताएं पाईं गई है. पुराने वीडियो को अक्टूबर में पोस्ट किया गया था जिसे रिसर्च के दौरान रूस के स्टॉर्म-1516 बताया गया था. अक्टूबर के वीडियो में स्कार्फ और चेहरे को ढकने वाले कई पुरुष एक ग्रे दीवार के सामने खड़े थे. उनमें से एक ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को ‘हथियारों और सैन्य उपकरणों की एक नई खेप’ के लिए अरबी में धन्यवाद दिया. पोस्ट ने एक झूठे दावे को बढ़ावा दिया कि यूक्रेन ने हमास को सैन्य सहायता प्रदान की थी. उस फर्जी वीडियो को रूसी प्रचारकों ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब फैलाया.
पहले भी आतंकियों ने किया है ओलंपिक पर अटैक
ओलंपिक में पहले भी कई बार हमले हो चुके हैं. साल 1972 के सितंबर में हो रहे म्यूनिख खेलों के दौरान फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह ब्लैक सेप्टेंबर के सदस्यों ने हमला किया था जिसमें उन्होंने 11 इजरायली एथलीट्स और कोच की हत्या कर दी थी, इसके अलावा साल 1996 के अटलांटा खेलों के दौरान एक बम विस्फोट में एक महिला की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
धमकी के बाद मचा हड़कंप, खुफिया विभाग हुआ सतर्क
मंगलवार को हमास के आतंकी का ये वीडियो जारी हुआ. भले ही हमास और माइक्रोसॉफ्ट के अधिकारी वीडियो को फेक बता रहे हों पर इंटेलिजेंस एजेंसियां और पुलिस इसे गंभीरता से ले रही है. तमाम इंटेलिजेंस एजेंसियों ने जांच शुरु कर दी है. साथ है ओलंपिक खिलाड़ियों की सुरक्षा की समीक्षा की है. 26 जुलाई से शुरु होने वाला ओलंपिक 11 अगस्त तक होगा. इस आयोजन में 200 से ज्यादा देशों के 11,500 एथलीट हिस्सा लेंगे. उद्घाटन समारोह में बस कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में फ्रांसीसी अधिकारियों ने जनता को आश्वस्त किया है कि उन्होंने हर संभव सुरक्षा एहतियात बरती है, जिसमें हज़ारों सुरक्षाकर्मियों को तैनात करना भी शामिल है.
पेरिस ओलंपिक की सुरक्षा के लिए भारत से भी के-9 स्क्वायड फ्रांस पहुंचा है. फ्रांस के आग्रह पर भारत ने आईटीबीपी, सीआरपीएफ, एनएसजी और असम राइफल्स के 10 स्निफर डॉग्स का एक पूरा दस्ता पेरिस भेजा है. दस्ते के साथ उनके हैंडलर्स भी शामिल हैं (पेरिस ओलंपिक की सुरक्षा इंडियन K-9 के हवाले).
रुस, बेलारूस के बाद इजरायल को बैन करने की मांग
ओलंपिक में रूस और बेलारूस पर बैन लगा हुआ है. अब इजरायल पर बैन लगाने की मांग की जा रही है. यूक्रेन में रूस और बेलारूस की सैन्य कार्रवाई शुरू होने के बाद से ओलंपिक और कई दूसरे खेल आयोजनों से बैन कर दिया गया है. अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों की ओर से रूस और बेलारूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगने के बाद ही इसे ओलंपिक से बैन किया गया. हालांकि रूस और बेलारूस के एथलीट को अपने देश के ध्वज के बिना एक ‘न्यूट्रल एथलीट’ बनकर ओलंपिक में हिस्सा ले सकते हैं.
फिलिस्तीन में हमले के बाद अब एक्टिविस्ट और कई मशहूर हस्तियां इजरायल पर भी ऐसे बैन की मांग कर रही हैं. बैन की मांग करने वालों का तर्क है कि जब तक इजरायल अंतर्राष्ट्रीय युद्धविराम मांगों का पालन नहीं करता, तब तक उसकी टीम, क्लब और खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने से रोक दिया जाना चाहिए. हालांकि ओलंपिक एसोसिएशन और खुद फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने ऐसी मांगों को मानने से अस्वीकार कर दिया है. मैक्रों ने कहा है कि ओलंपिक को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए. यही वजह है कि 26 जुलाई से होने वाले ओलंपिक गेम्स में इजरायल के तकरीबन 88 एथलीट हिस्सा लेकर अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे.