नेपाल के कड़े विरोध के बाद चीन ने पंचेन लामा को महात्मा बुद्ध के जन्म-स्थल लुंबिनी नहीं भेजा है. शुक्रवार को लुंबनी में ‘नन्हे बौद्ध सम्मेलन’ का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में चीन, गुपचुप तरीके से पंचेन लामा को भेजने की तैयारी कर रहा था. लेकिन तिब्बती समुदाय के जबरदस्त विरोध के आगे नेपाल को झुकना पड़ा और चीन को ऐसा ना करने की चेतावनी दे डाली.
आखिरी वक्त में नेपाल को चीन की चालाकियों का पता चला तो नेपाल के विदेश मंत्रालय ने काठमांडू स्थित चिट्ठी लिखकर चिंता जाहिर की. पिछले कुछ सालों में ये पहली बार है कि नेपाल ने चीन के किसी कदम का विरोध किया है.
नेपाल ने धार्मिक-तटस्थता का वास्ता देकर चीन को ऐसा ना करने के लिए लिखा था. क्योंकि नेपाल में तिब्बती समुदाय के सबसे बड़े धार्मिक गुरू दलाई लामा भी आज तक नहीं आए हैं.
ये बात भी सामने आई है कि नेपाल की चिट्ठी के बाद ही चीन ने पंचेन लामा को लुंबनी भेजना का प्लान बदल दिया. क्योंकि शुक्रवार को चीन के चेंगदू से लुंबिनी वाली एक सीधी फ्लाइट को कैंसिल कर दिया गया. माना जा रहा है कि इसी फ्लाइट से पंचेन लामा नेपाल पहुंचने वाला था.
दरअसल, तिब्बती समुदाय की धार्मिक-भावनाओं को दरकिनार कर चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने वर्ष 1995 में अपना खुद का पंचेन लामा चुन लिया था. इस पंचेन लामा का असल नाम है ग्याल्तसेन नोरबु. जबकि तिब्बती समुदाय के पंचेन लामा का नाम है गेधुन चुकल नीमा. (https://x.com/RitvikRana208/status/1853738208284254504)
तिब्बती मान्यताओं के मुताबिक, 11वें पंचेन लामा ही अगले दलाई लामा होंगे. लेकिन नीमा को चीन की सरकार ने पिछले कई सालों से अंडरग्राउंड कर रखा है. उस वक्त नीमा की उम्र महज छह वर्ष थी. तिब्बती समुदाय इस बात को लेकर खफा है और समय समय पर अपना विरोध जताता रहा है. (https://x.com/voice_tibet/status/1867065543368601794)
माना जा रहा है कि तिब्बती समुदाय के जबरदस्त विरोध के चलते ही नेपाल ने चीन को पंचेन लामा से जुड़ा खत लिखा था.
शुक्रवार को लुंबिनी में आयोजित नन्हे बौद्ध शिखर सम्मेलन में दो दर्जन देशों के 250 से ज्यादा बौद्ध भिक्षु और लामा एकत्रित हुए थे. खास बात ये है कि चीन ने इस सम्मेलन को साउथ चायना सी बौद्ध सम्मेलन का नाम दिया था. पहले ये सम्मेलन पूरे एक हफ्ते चलना था. लेकिन पंंचेन लामा के विवाद के चलते एक दिन में ही खत्म कर दिया गया.धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, तिब्बत के अगले दलाई लामा की खोज मौजूदा दलाई लामा के रहते हुई ही कर ली जाती है. लेकिन चीन अगला दलाई लामा खुद का पिट्ठू बनाने की पूरी तैयारी कर रहा है.
दरअसल, नोरबु को लुंबिनी भेजकर चीन अपने पंचेन लामा को धार्मिक-स्वीकृति दिलाने की साजिश रच रहा था. लुंबिनी में ही बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था. हालांकि, महात्मा बुद्ध भारत के प्राचीन शाक्य वंश से ताल्लुक रखते थे, जिसकी राजधानी कपिलवस्तु थी (उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती के करीब).
नेपाल ने चीन को ऐसे समय में पंचेन लामा को लुंबिनी भेजने से मना किया, जब हाल ही में नए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बीजिंग का दौरा किया था. चीन के करीबी माने जाने वाले ओली की इस बात को लेकर आलोचना भी हुई थी. क्योंकि नेपाल के राष्ट्राध्यक्ष अमूमन पहली विदेश यात्रा दिल्ली की करते आए हैं.
गौरतलब है कि इनदिनों नेपाल के सेनाध्यक्ष जनरल अशोक राज सिग्देल इनदिनों छह दिवसीय यात्रा पर भारत आए हुए हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान जनरल सिग्देल अयोध्या का दौरा कर भव्य राम-मंदिर के दर्शन करने जा रहे हैं. (नेपाली सेनाध्यक्ष भारत दौरे पर, जाएंगे अयोध्या)
शुक्रवार को जनरल सिगदेल ने पुणे स्थित टाटा एडवांस सिस्टम और भारत फोर्ज नाम की डिफेंस कंपनियों की फैसिलिटी का दौरा किया और आधुनिक हथियार और सैन्य प्रणालियों के बारे में जानकारी हासिल की. (https://x.com/adgpi/status/1867596096245313988)