विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है. ये मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है जब भारत पर रूस से व्यापार करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मनमाने टैरिफ का भयंकर दबाव है. लेकिन भारत ने सांकेतिक तौर पर साफ कर दिया है कि वो दबाव के बावजूद रूस के साथ ही खड़ा रहेगा. रूसी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात के बाद एस जयशंकर ने भारत-रूस संबंधों को सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद से दुनिया के सबसे स्थिर रिश्तों में से एक बताया है.
जटिल जियोपॉलिटिकल हालात में रूसी राष्ट्रपति से हुई विदेश मंत्री की मुलाकात
अमेरिका से बिगड़ते रिश्तों के बीच रूस और भारत के रिश्ते लगातार प्रगाढ़ हो रहे हैं. अमेरिका से भारत की बिगाड़ का कारण रूस ही है लेकिन भारत ने अपने परममित्र रूस के साथ खड़ा होना स्वीकार किया है. इसी महीने भारतीय एनएसए अजीत डोवल ने पुतिन से मुलाकात की थी, और फिर अब एस जयशंकर ने पुतिन के साथ मीटिंग की है.
पुतिन के साथ अपनी तस्वीरें शेयर करने के बाद जयशंकर ने एक्स पोस्ट में लिखा कि मैंने, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से रूसी राष्ट्रपति को हार्दिक शुभकामनाएं दीं.
आपको बता दें, कि साल के अंत तक रूसी राष्ट्रपति को भारत का दौरा करना है. जयशंकर ने कहा, भारत-रूस के बीच होने वाली वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारियां जोरों पर हैं.
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया के सबसे प्रमुख संबंधों में है भारत-रूस की दोस्ती- एस जयशंकर
पुतिन के साथ बैठक से पहले जयशंकर ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ”हमारा मानना है कि भारत और रूस के बीच संबंध द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया के सबसे प्रमुख संबंधों में से एक रहे हैं. भू-राजनीतिक समन्वय, नेतृत्व के बीच आपस में संपर्क और लोकप्रिय भावना इसके प्रमुख मुख्य प्रेरक तत्व बने हुए हैं.”
हम नहीं चीन है रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीददार, अमेरिका, यूरोप को जयशंकर ने सुनाया
तेल व्यापार पर उठे सवालों पर जयशंकर ने कहा, “हम रूसी तेल के सबसे बड़े बायर नहीं हैं, वह चीन है, हम एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार भी नहीं हैं, वह यूरोपीय संघ है. साल 2022 के बाद रूस के साथ व्यापार में सबसे तेज बढ़त भी हमारे साथ नहीं हुई, बल्कि दक्षिण के कुछ अन्य देशों के साथ हुई है.”
जयशंकर ने कहा, “हम एक ऐसा देश हैं, जिसे अमेरिकी प्रशासन खुद कहता आया है कि हमें वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए हर जरूरी कदम उठाने चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है. वैसे, हम अमेरिका से भी तेल खरीदते हैं और वह मात्रा बढ़ रही है, इसलिए, ईमानदारी से कहूं तो जो तर्क मीडिया की ओर से दिया गया है, वह हमें पूरी तरह से उलझाने वाला और अस्पष्ट लगता है.”
सर्गेई लावरोव के साथ मुलाकात के बाद जयशंकर ने क्या कहा?
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मीटिंग के बाद जयशंकर ने तस्वीर शेयर करते हुए कहा, “आज मास्को में विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिलकर खुशी हुई. व्यापार, निवेश, ऊर्जा, उर्वरक, स्वास्थ्य, कौशल एवं गतिशीलता, रक्षा, और लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत चर्चा हुई. हमने यूक्रेन, यूरोप, ईरान, पश्चिम एशिया, अफगानिस्तान और भारतीय उपमहाद्वीप पर विचारों का आदान-प्रदान किया. संयुक्त राष्ट्र, जी-20, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स में हमारे सहयोग पर भी बात की. हमारी बैठक ने इस वर्ष के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन के परिणामों और निर्णयों को तैयार करने में मदद की.”
रूस में जयशंकर ने फेंका पासा, रूसी निवेशकों को बुलाया भारत
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के साथ व्यापार को और मजबूत करने का आह्वान किया है. मॉस्को में रूसी कंपनियों के साथ बैठक के दौरान जयशंकर ने भारत के साथ और गहराई से जुड़ने की अपील की है. जयशंकर ने भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों का जिक्र करते हुए कहा कि ये रूसी कंपनियों के लिए सुनहरा मौका हैं. भारत के विकास और शहरीकरण से पैदा होने वाली मांग को रूसी कारोबारियों के लिए न्योता बताया है.
जयशंकर ने कहा, “4 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की जीडीपी वाला भारत, जो 7% की रफ्तार से बढ़ रहा है, उसे भरोसेमंद स्रोतों से संसाधनों की जरूरत है. कुछ मामलों में, जरूरी सामान जैसे उर्वरक, रसायन और मशीनरी की आपूर्ति हो सकती है. भारत का तेजी से बढ़ता बुनियादी ढांचा उन कंपनियों के लिए कारोबारी मौके देता है, जिनका अपने देश में अच्छा रिकॉर्ड है.”
दुनिया में सम्मान का हकदार है भारत: पुतिन
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पुतिन ने अपने संदेश में भारत की तारीफ की थी. पुतिन ने कहा, “भारत दुनिया के मंच पर अपनी बखूबी हासिल की गई साख का हकदार है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे अहम मुद्दों को हल करने में सक्रिय भूमिका निभाता है. हम भारत के साथ अपनी खास रणनीतिक साझेदारी को बहुत अहमियत देते हैं.”
अपने संदेश में पुतिन ने इस बात का भी भरोसा जताया कि रूस और भारत मिलकर हर क्षेत्र में रचनात्मक सहयोग को और बढ़ाएंगे. पुतिन ने कहा, “यह हमारे दोस्ताना देशों के लोगों के हित में है और क्षेत्रीय व वैश्विक स्तर पर सुरक्षा व स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में है.