पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भले ही चीन के साथ डिसएंगेजमेंट समझौता हो चुका है लेकिन भारत इतना ‘खुशनसीब’ नहीं है कि सेना शांति से बैठ जाए. ये कहना है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का.
रविवार को रक्षा मंत्री महू (इंदौर) में आर्मी वॉर कॉलेज में सैनिकों को संबोधित कर रहे थे. महू में वॉर कॉलेज के अलावा, इन्फेंट्री स्कूल और मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग भी है.
ये तीनों संस्थान भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों को सैन्य रणनीति और युद्ध कौशल में पारंगत बनाने की ट्रेनिंग देते हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा कि “यदि सुरक्षा परिदृश्य की बात की जाए, तो देश की उत्तरी सीमा पर (चीन), और पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान) पर हमें लगातार, चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा कई बार आंतरिक मोर्चों पर भी चुनौतियां मिलती रहती हैं.”
रक्षा मंत्री के मुताबिक, “ऐसी स्थिति में हम रिलक्टेंट (चैन से) बिल्कुल नहीं रह सकते हैं. हमारे दुश्मन चाहे वे बाहरी हों या आंतरिक, वे हमेशा सक्रिय रहते हैं. ऐसे में हमें, उनकी गतिविधियों पर पैनी नजर रखनी होगी, तथा उनके खिलाफ समयोचित और प्रभावी कदम उठाने होंगे.” (https://x.com/DefenceMinIndia/status/1873268730572227006)
एलएसी पर डिसएंगेजमेंट के बावजूद तनाव जारी
इसी साल अक्टूबर के महीने में भारतीय सेना ने चीन की सेना से पिछले साढ़े चार से चला आ रहा विवाद खत्म करते हुए डिसएंगेजमेंट समझौता कर लिया. इसके तहत दोनों देशों की सेनाएं विवादित इलाकों से पीछे हट गई हैं.
भारतीय सेना का मानना है कि ये अस्थायी शांति है क्योंकि चीन की सेना अभी भी फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनात है. ऐसे में डिसएंगेजमेंट के बाद डि-एस्केलेशन और डि-इंडक्शन जरूरी है.
साथ ही भारत और चीन के बीच पूरी 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी का विवाद स्थायी तौर से सुलझाया जाए. जब तक ऐसा नहीं हो जाता, एलएसी पर तनाव बरकरार रहेगा. (Disengagement के साथ आपसी विश्वास जरूरी: थलसेना प्रमुख)
चार साल से चुप पाकिस्तान ने अलापा कश्मीर राग
पाकिस्तान से सटी एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर भी फरवरी 2021 में युद्धविराम समझौता होने के बाद से शांति है लेकिन बांग्लादेश और अमेरिका जैसे देशों से संबंधों में आई तल्खी के बाद पाकिस्तानी सेना अपने पुराने रंग में आ गई है.
पिछले हफ्ते ही पाकिस्तानी सेना की प्रोपेगेंडा विंग (आईएसपीआर) के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने कश्मीर को लेकर अनाप-शनाप बयान दिया है. (पाकिस्तानी ISPR हुई जिंदा, बकबक शुरू)
ईस्टर्न फ्रंट पर भी हैं चुनौतियां
बांग्लादेश और म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता और अशांति का असर ईस्टर्न फ्रंट पर पड़ना लाजमी है. साथ ही मणिपुर में पिछले डेढ़ साल से हिंसा जारी है. यही वजह है कि रक्षा मंत्री ने महू में बाहरी और आंतरिक चुनौतियां का जिक्र किया. (बांग्लादेश ने उड़ाया Bayraktar ड्रोन, ईस्टर्न फ्रंट पर चौकसी जरूरी)
राजनाथ सिंह ने महू में कहा कि “यह कहने के लिए तो, भले ही शांति-काल का स्टेशन है, लेकिन जब मैंने यहां पर आकर देखा, तो मुझे ऐसा लगा कि जिस अनुशासन और समर्पण के साथ, आप यहां पर ट्रेनिंग ले रहे हैं, यह आपकी दिनचर्या, किसी युद्ध से कम नहीं होती है.”
रक्षा मंत्री ने कहा कि “इसमें कोई दो राय नहीं है, कि आपकी ट्रेनिंग निश्चित रूप से, हमारे देश की सुरक्षा को और भी मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध होगी.” (https://x.com/rajnathsingh/status/1873354636335411312)