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राजनाथ चले अमेरिका, LCA इंजन पर होगी बात

एलसीए तेजस प्रोजेक्ट में हो रही देरी के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसी महीने (23-27 अगस्त) अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं. अमेरिका से एविएशन इंजन न मिलने के चलते वायुसेना को एलसीए फाइटर जेट के मार्क-1ए वर्जन को मिलने में विलंब हो रहा है. रक्षा मंत्री का अमेरिका दौरा इसलिए भी बेहद अहम है क्योंकि अगले महीने पीएम मोदी भी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने न्यूयॉर्क जा रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक, यूएस दौरे पर राजनाथ सिंह अपने अमेरिकी समकक्ष ऑस्टिन लॉयड से रक्षा सहयोग बढ़ाने पर बात करेंगे. मुलाकात के दौरान खास तौर से एफ-404 इंजन की सप्लाई पर चर्चा करेंगे. क्योंकि इंजन बनाने वाली कंपनी जीई-एविएशन से सप्लाई नहीं हो पाई है. हालांकि, जियो-पॉलिटिक्स को इसका कारण बताया जा रहा है लेकिन माना जा रहा है कि गुरपतवंत सिंह पन्नू मामले के बाद भारत और अमेरिका के संबंधों में आई दरार का असर सप्लाई पर पड़ रहा है.

वर्ष 2021 में एलसीए फाइटर जेट बनाने वाली सरकारी कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने अमेरिका की जीई-एविएशन कंपनी से 99 एफ-404 (जीई एफ-404) इंजन खरीदने का करार किया था. इस सौदे की कुल कीमत 716 मिलियन डॉलर (लगभग 5400 करोड़) थी. इन इंजन का इस्तेमाल एलसीए मार्क-1ए फाइटर जेट में किया जाना था. लेकिन तीन साल बाद भी इंजन की डिलीवरी नहीं हो पाई है.

जानकारी ये भी मिल रही है कि सितंबर के महीने से एफ-404 इंजन की डिलीवरी एचएएल को शुरु हो सकती है. खास बात ये है कि सितंबर में ही पीएम मोदी अमेरिका जा रहे हैं.

एलसीए प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों की मानें तो अगर अमेरिका से ये इंजन नहीं मिलते हैं मार्क-1ए फाइटर जेट में पुराने इंजनों का इस्तेमाल किया जा सकता है. क्योंकि एलसीए मार्क-1 के लिए भी एचएएल ने जीई कंपनी से एफ-404 इंजन ही खरीदे थे.

हाल ही में भारतीय वायुसेना के वाइस चीफ एयर मार्शल एपी सिंह ने उम्मीद जताई थी कि मार्क-1ए वर्जन का पहला लड़ाकू विमान इस साल नवंबर तक मिल सकता है. हालांकि, इसकी उम्मीद कम लगती है. जबकि वायुसेना चाहती है कि अगले साल के शुरुआत तक कम से कम 16 फाइटर जेट मिल जाएं.

फरवरी 2021 में भारतीय वायुसेना (रक्षा मंत्रालय) ने एचएएल के साथ 83 एलसीए मार्क-1 फाइटर जेट खरीदने का करार किया था. इस सौदे की कुल कीमत करीब 48 हजार करोड़ थी. करार के मुताबिक, अगले तीन साल (यानि फरवरी-मार्च 2024) तक वायुसेना को पहला मार्क-1ए फाइटर जेट मिलना था. उसके बाद हर साल 16 फाइटर जेट एचएएल को सप्लाई करने थे. लेकिन इंजन और दूसरे एवियोनिक्स की विदेश से होने वाली सप्लाई में आ रही बाधा के चलते ऐसा करना एचएएल के लिए मुश्किल हो रहा है.

मार्क-1ए वर्जन एलएससी-तेजस (मार्क-1) का उन्नत वर्जन है. जिसमें आइसा रडार के साथ करीब 40 अपग्रेड किए गए हैं. 83 मार्क-1ए वर्जन के करार के साथ ही वायुसेना 97 अतिरिक्त (मार्क-1ए) फाइटर जेट खरीदने की तैयारी कर रही है जिसके लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है. इन 97 फाइटर जेट की कुल कीमत करीब 67 करोड़ है.

एलसीए-मार्क 1 फाइटर जेट की दो स्क्वाड्रन पहले से ही वायुसेना के सुलूर एयरबेस (तमिलनाडु) में तैनात हैं. एलसीए मार्क-1ए की पहली स्क्वाड्रन राजस्थान के नाल में तैनात की जाएगी. यहां तैनात रहने वाली मिग-21 बायसन की स्क्वाड्रन अब वायुसेना से रिटायर हो चुकी है.

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