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रूस-यूक्रेन युद्ध के 1000 दिन: मौत तबाही और पलायन

रूस-यूक्रेन युद्ध को 1000 दिन पूरे हो चुके हैं. लेकिन युद्ध के जल्द खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जंग समाप्त करने का आह्वान जरूर किया है लेकिन जो बाइडेन के यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को लंबी दूरी की मिसाइल के इस्तेमाल के लिए खुली छूट देने से परिस्थिति बिगड़ गई हैं.

जंग के एक हजार दिन पूरे होने पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने यूक्रेन को हुए नुकसान के आंकड़े जारी किए हैं. यूएन के मुताबिक, 22 फरवरी 2024 यानी जब रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू किया था, तब से लेकर आज तक यूक्रेन के 12 हजार से ज्यादा (12,164) नागरिक मारे जा चुके हैं जिनमें करीब 600 बच्चे हैं. इस दौरान 25 हजार से ज्यादा (25,871) लोग घायल हुए हैं.

युद्ध के दौरान रूस-यूक्रेन बॉर्डर के करीब रहने वाले 20 लाख लोगों के घरों को नुकसान पहुंचा है.  

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने खुद माना है कि मारे जाने वाले लोगों का आंकड़ा कहीं ज्यादा हो सकता है. क्योंकि ये नंबर तो महज कंफर्म हुए हैं.

इस साल के शुरुआत में जेलेंस्की ने खुद कबूल किया था कि युद्ध में यूक्रेन के करीब 31 हजार सैनिक मारे जा चुके हैं. जबकि, रूसी सेना ने यूक्रेनी सेना को नुकसान के जो आंकड़े जारी किए हैं, वे कहीं ज्यादा हैं.

यूक्रेन का दावा है कि जंग में रूस के सात लाख (7,22,440) सैनिक मारे जा चुके हैं. हालांकि, रूस ने इन आंकड़ों को बेबुनियाद बताया है लेकिन ये भी हकीकत है कि रूसी सेना को पिछले ढाई सालों में भारी नुकसान उठाना पड़ा है. सैनिकों के कमी के चलते ही रूस ने यूक्रेन से लड़ने के लिए उत्तर कोरिया के सैनिकों की मदद ली है. पिछले एक महीने से उत्तर कोरिया के सैनिक कुर्स्क में रूसी सैनिकों के साथ कंधे से कंधे मिलकर लड़ रहे हैं.

युद्ध के दौरान यूक्रेन अपने देश का पांचवा हिस्सा रूस के हाथों खो चुका है. यूक्रेन के डोनबास यानी दोनेत्स्क, लुगांस्क (लुहांस्क), मारियूपोल, ओडेशा, जपोरिजिया इलाके अब रूस के अधिकार-क्षेत्र में हैं और वहां जनमत संग्रह के बाद आम चुनाव भी हो चुके हैं.

इसी तरह यूक्रेन ने भी रूस के कुर्स्क प्रांत में करीब 1300 वर्ग किलोमीटर के हिस्से पर कब्जा कर लिया है. इस इलाके को यूक्रेन से आजाद कराने के लिए रूस ने उत्तर कोरिया की सेना की मदद भी ली है.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, आज यूक्रेन का एक चौथाई इलाका (यानी स्विटजरलैंड से चार गुना ज्यादा क्षेत्र) लैंड माइन्स यानी बारूदी-सुरंग से पटा हुआ है. यूक्रेन ने ऐसा रूसी सेना के ग्राउंड अटैक रोकने के लिए किया है ताकि डोनबास के अलावा अन्य इलाकों में रूसी सेना ना घुस पाए.

यूएन के आंकड़ों की मानें तो यूक्रेन के 580 हॉस्पिटल और मेडिकल सुविधाएं या तो बर्बाद हो गई हैं या फिर नुकसान पहुंचा है. 1358 स्कूल और दूसरी शैक्षिक संस्थान भी तबाह हो चुके हैं.  

युद्ध के चलते यूक्रेन के 40 लाख लोग बेघर हो गए हैं और करीब 70 लाख (68 लाख) देश छोड़कर यूरोप या फिर किसी दूसरे देश चले गए हैं.

युद्ध से यूक्रेन के पर्यावरण पर भी खास असर पड़ा है. रोजाना 15-20 हजार टैंक और तोप के गोलों के साथ रॉकेट और मिसाइल दागी जाती हैं. जंग के दौरान ही कखोवका डैम टूट गया था जिसे आसपास के इलाकों में बाढ़ आ गई थी.  

रूस ने ब्लैक सागर में यूक्रेन के पोर्ट और बंदरगाह पर भी हमले किए हैं जिसके चलते अनाज संधि पर भी असर पड़ा है.

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध से परमाणु संकट भी गहरा सकता है. क्योंकि जपोरेजिया और कुर्स्क न्यूक्लियर प्लांट पर भी कई बार हमलों की नाकाम कोशिश हो चुकी है. अगर कोई भी हमला सफल रहा तो क्षेत्र में न्यूक्लियर लीक का खतरा हो सकता है.

संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में यूक्रेन के 144 इलेक्ट्रिक स्टेशन और गैस संयंत्रों पर हुए हमलों को लेकर भी चिंता जताई है.

यूएन के मुताबिक, इस साल संयुक्त राष्ट्र के नौ (09) कर्मचारी भी राहत और बचाव के दौरान जंग की भेंट चढ़ गए 35 लोग घायल हो गए.

उत्तर कोरिया के जंग में शामिल होने पर चिंता जताते हुए संयुक्त राष्ट्र ने बयान जारी कर राजनीतिक और डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए शांति का मार्ग ढूंढने का आह्वान किया है.

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