July 3, 2024
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G7 में छाया रहेगा रुस-यूक्रेन युद्ध, पीएम मोदी हैं पुतिन के खास मित्र

इटली में हो रही जी-7 समिट में हालांकि, जलवायु परिवर्तन से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अफ्रीका जैसे अहम मुद्दे हैं लेकिन माना जा रहा है कि यहां भी रुस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा ही छाया रहने वाला है. क्योंकि सम्मेलन शुरु होने से पहले ही जी-7 देशों ने यूक्रेन को 50 बिलियन डॉलर का लोन देने की मंजूरी दे दी है. खास बात ये है कि ये लोन यूरोप और दूसरे पश्चिमी देशों में रुस के फ्रीज किए गए बैंक अकाउंट से दिया जाएगा. 

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की भी समिट में शिरकत करने पहुंच चुके हैं. इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को इस समिट में हिस्सा लेने के लिए खास आमंत्रित किया है. गुरुवार शाम पीएम मोदी इटली के लिए रवाना हो चुके हैं. 

यूक्रेन युद्ध के बाद से पश्चिमी देशों ने रुस की सभी बैंक खातों और संपत्तियों को फ्रीज करना शुरु कर दिया था. माना जाता है कि इसके चलते पश्चिमी देशों ने रुस की करीब 300 बिलियन डॉलर की संपत्ति को सीज कर लिया है. लेकिन इस संपत्ति का इस्तेमाल पश्चिमी देश नहीं कर सकते हैं. इस संपत्ति और बैंक खातों के ब्याज से उत्पन्न फंड का इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में हर साल पश्चिमी देशों को 3.2 बिलियन डॉलर मिल सकते हैं. इस 3.2 बिलियन डॉलर को ही पश्चिमी देश हर साल यूक्रेन को देने की तैयारी कर रहे हैं. इस फंड से यूक्रेन अपने लिए हथियार खरीद सकता है या फिर युद्ध में बर्बाद हुए इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में भी लगा सकता है. 

जी-7 समिट के दौरान बाइडेन और जेलेंस्की के बीच मुलाकात होने जा रही है. इस दौरान अमेरिका और यूक्रेन के बीच खास सिक्योरिटी-एग्रीमेंट होने जा रहा है. इस समझौते के तहत अमेरिका लंबे समय तक यूक्रेन की वित्तीय और सैन्य मदद करने के अपने वादे को दोहराएगा. यूक्रेन पहले ही एक दर्जन से ज्यादा यूरोपीय देशों के साथ इस तरह का सिक्योरिटी एग्रीमेंट कर चुका है. बाइडेन ने यूक्रेन को अमेरिका के लॉन्ग रेंज हथियारों (मिसाइल इत्यादि) को रुस के सीमावर्ती इलाकों में इस्तेमाल की इजाजत दे चुका है. हालांकि, बाइडेन ने अमेरिकी सैनिकों की यूक्रेन की तरफ से लड़ने की मंजूरी नहीं दी है. ऐसे में जेलेंस्की के लिए युद्ध को लंबा खींचना भारी पड़ रहा है. क्योंकि यूक्रेन के सैनिकों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. 

रुस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बैलोसोव के मुताबिक, पिछले महीने (मई में) यूक्रेन के 30 हजार से ज्यादा सैनिक जंग के मैदान में मारे जा चुके हैं. लेकिन यूक्रेन को हथियारों और फंडिंग के जरिए अमेरिका युद्ध को जारी रखना चाहता है. वो भी तब जब जी-7 समिट के अगले ही दिन स्विट्जरलैंड में एक बड़े शांति सम्मेलन का आयोजन किया गया है. रुस और चीन पहले ही समिट का बायकॉट कर चुके हैं. जेलेंस्की ने समिट के लिए पीएम मोदी को भी आमंत्रित किया है. लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि मोदी स्विट्जरलैंड जाएंगे. क्योंकि वे शुक्रवार (14 जून) की शाम ही इटली से भारत लौट रहे हैं.

जी-7 समिट में पीएम मोदी है एकमात्र ऐसे राष्ट्राध्यक्ष हैं जो रुस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोध में नहीं हैं. जी-7 के सभी सदस्य देश, अमेरिका, कनाडा, इटली, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और जापान, सभी यूक्रेन युद्ध शुरु होने के बाद से रुस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. इटली ने जी-7 समिट के लिए सऊदी अरब को भी निमंत्रण दिया था, लेकिन प्रिंस सलमान (प्रधानमंत्री) ने हज महीना शुरु होने के चलते इटली आने से इंकार कर दिया है (मोदी की बाइडेन, मेलोनी और पोप से मुलाकात).

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