चीन और रूस के बॉम्बर ने अमेरिका में दहशत मचा दी है. पहली बार अमेरिकी के अलास्का में बमों से लैस चीन के युद्धक विमान ने उड़ान भरी है. चीनी विमान के साथ ही रूस का बमवर्षक विमान टीयू-95 भी साथ था.
अमेरिकी क्षेत्र में चीन और रूस के चार (04) फाइटर जेट देखे जाने के बाद अमेरिकी वायु सेना ने तुरंत अपने फाइटर जेट को दोनों देशों को खदेड़ने के लिए भेजा. घटना बुधवार की है. चीन और रूस के विमान अमेरिका के अलास्का के ऊपर वायु रक्षा पहचान क्षेत्र के भीतर उड़ान भर रहे थे.
अमेरिकी क्षेत्र में चीनी-रूसी विमान की घुसपैठ!
यह पहली बार है जब किसी भी तरह के चीनी एच-6 विमानों ने इस हिस्से में उड़ान भरी है. इन विमानों के रूस के ठिकानों से उड़ान भरने की संभावना जताई गई है. अमेरिका और कनाडा के संयुक्त नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (एनओआरएडी) ने रूस और चीन के फाइटर जेट को लेकर बयान जारी किया है. एनओआरएडी के मुताबिक, “24 जुलाई को अलास्का एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन (एडीआईजेड) में दो रूसी टीयू-95 और दो चीनी एच-6 सैन्य विमानों का पता लगाया गया. अलास्का के तट पर दो रूसी टीयू-95 बॉम्बर और 2 चीनी एच-6 बमवर्षक को रोकने के लिए लड़ाकू जेट भेजे गए. अमेरिका और कनाडा के एनओआरएडी विमानों ने चीन और रूसी विमानों को वापस भेजा.”
मई में रूसी विमानों ने भरी थी अमेरिकी क्षेत्र में उड़ान
एनओआरएडी के मुताबिक, इससे पहले मई में भी चार रूसी विमान ने उड़ान भरी थी. फरवरी में भी रूसी विमानों के संचालन के तीन मामलों की सूचना दी गई थी पर चीन के विमान पहली बार इस क्षेत्र में देखे गए हैं. एनओआरएडी कमांड ने कहा, “चीन और रूसी विमानों की ओर से किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधियां देखने को नहीं मिली है. पर उत्तरी अमेरिका के पास निगरानी करना जारी रखेंगे. एनओआरएडी के मुताबिक, “वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में किसी भी दूसरे विमान को अपनी पहचान देनी होती है. यह एक अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र है, जिसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सभी विमानों की पहचान की आवश्यकता होती है.”
रूस-चीन एक दूसरे से जुड़े, चिंता का विषय: ग्रेगरी गुइलोट
उत्तरी अमेरिकी एयरोस्पेस डिफेंस कमांड और यू.एस. नॉर्दर्न कमांड के नए प्रमुख, एयर-जनरल ग्रेगरी एम गुइलोट ने फरवरी में ही ऐसी आशंका जता दी थी. 12 मार्च को गुइलोट ने सांसदों को चेतावनी दी थी कि चीनी युद्धक विमान यू.एस. एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन ज़ोन (एडीआईजी) के नज़दीक उड़ान भरना शुरू कर सकते हैं. अमेरिका के उत्तरी कमान के जनरल ग्रेगरी गुइलोट ने हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमेटी को बताया था कि “चीन आर्कटिक क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश में जुटा हुआ है. हमने चीन को समुद्री क्षेत्र में देखा. हमें लगता है कि यह निश्चित रूप से एक बहु मिशन है, जिसमें सेना भी शामिल है. मुझे उम्मीद है कि इस के अंत तक अलास्का के हवाई क्षेत्र में भी चीनी गतिविधियां ज्यादा देखने को मिलेगी. मेरे लिए यह एक चिंता का विषय है. रूस और चीन एक दूसरे से जुड़ गए हैं. उनकी रणनीति समुद्री गतिविधियों से परे हवाई संचालन तक फैली हुई हैं.”
जनरल गुइलोट के मुताबिक, “चीनी एक्शन न केवल विमानों के साथ, बल्कि जहाजों और यहाँ तक कि पनडुब्बियों के साथ चीन की बढ़ती क्षमता के बारे में बताता है, जो चीन से दूर और अमेरिकी तटों के करीब जाने में सक्षम हैं.”
क्या होता है एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन ज़ोन (एडीआईजेड)?
एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन ज़ोन बफर क्षेत्र हैं जो क्षेत्रीय सीमाओं से परे फैले हुए हैं, जो तटरेखा से सैकड़ों मील दूर हवाई क्षेत्र को कवर करते हैं. इनका उपयोग अमेरिका आने वाले विमानों को ट्रैक करने के लिए किया जाता है. रूसी लड़ाकू विमान और बमवर्षक विमान अमेरिकी या कनाडाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश किए बिना नियमित रूप से अमेरिकी एडीआईजेड में प्रवेश करते हैं. कभी-कभी, एनओआरएडी उन विमानों को रोकने और उन्हें एडीआईजेड से बाहर निकालने के लिए लड़ाकू विमानों को भेजता है.
अमेरिका के खिलाफ आक्रामक है चीन
पेंटागन ने साल 2023 में खुलासा किया था कि पिछले दो वर्षों में चीनी और अमेरिकी विमानों के 180 से अधिक बार टकराव की स्थिति बनी है, जो चीन की आक्रामकता दिखा रहा है. हाल के वर्षों में पीएलए ने ताइवान द्वीप के आस पास सैकड़ों बार एडीआईजी में प्रवेश किया है, कभी-कभी एक दिन में दर्जनों विमान भेजे हैं. अमेरिका मानता है कि अमेरिकी एडीआईजी में प्रवेश करने वाले चीनी विमानों से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की पहुंच का विस्तार हो रहा है.
चीनी निगरानी गुब्बारे हाल के वर्षों में पाँच बार अमेरिकी हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं. पिछले साल पेंटागन ने उस समय आपा खो दिया जब चीनी गुब्बारे अमेरिका में घुस गए थे जिसे अमेरिका ने फाइटर जेट भेजकर मार गिराया था.
चीन के रक्षा मंत्रालय का बयान
चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, कर्नल झांग शियाओगैंग के मुताबिक , गुरुवार को रुस और चीन ने बेरिंग समंदर में आठवें साझा एरियल स्ट्रेटेजिक पैट्रोल में हिस्सा लिया. चीन का दावा है कि ये एयर-पैट्रोल अलास्का के करीब अंतरराष्ट्रीय एयर-स्पेस में की गई थी.