गोलान हाइट्स में इजरायल के लगातार बढ़ रहे कदम को रोकने के लिए सीरिया की विद्रोही सरकार ने गोलबंदी शुरु कर दी है. वो भी रूस के करीबी मित्रों से. इजराइल को बड़ा झटका देते हुए सीरिया के नए विदेश मंत्री जल्द ही व्लादिमीर पुतिन के सहयोगी-देश सऊदी अरब की यात्रा पर जाने वाले हैं.
सीरिया में तख्तापलट के वक्त हालांकि, एचटीएस विद्रोहियों (आतंकियों) ने दमिश्क के बाद जेरूशलम और मक्का मदीना तक कूच करने की गीदड़ भभकी दी थी. (https://x.com/memrireports/status/1867755639448990084?s=46)
इजरायल के गोलान हाइट्स पर कब्जा और सीरिया के सभी मिलिट्री बेस को तबाह करने से विद्रोही सरकार की अक्ल ठिकाने आ गई है.
इजरायली डिफेंस फोर्सेज, सीरिया की राजधानी दमिश्क से महज 67 किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे में विद्रोहियों को गाजा और लेबनान जैसी परिस्थितियां सामने दिखाई पड़ रही हैं.
इजरायल ने सीरिया के विद्रोही गुट एचटीएस के सीधे संपर्क में होने का दावा किया था, पर माना जा रहा है कि एचटीएस अब रूस के सहयोगियों की मदद से सीरिया से इजरायल को भगाने के लिए प्लानिंग कर रहा है.
सऊदी अरब की यात्रा पर सीरिया के नए विदेश मंत्री
सीरिया के नए विदेश मंत्री असद हसन अल-शिबानी ने अपने सऊदी अरब के दौरे की पुष्टि की है. असद हसन अल शिबानी ने सोशल मीडिया पर बताया कि उन्होंने सऊदी के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान बिन अब्दुल्ला का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है, जो उनकी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा होगी.
अल-शिबानी ने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा कि ‘मैं अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए सम्मानित महसूस कर रहा हूं. हम अपने भाइयों के साथ सभी क्षेत्रों में रणनीतिक संबंध बनाने के लिए तत्पर हैं. (https://x.com/spa_eng/status/1874375852932448657?s=46)
रूस-ईरान के करीबी सऊदी अरब के साथ क्या प्लानिंग
सीरिया की असद सरकार के संबंध रूस और ईरान के साथ बेहद अच्छे थे. पूर्व राष्ट्रपति असद के तख्तापलट के बाद रूस और ईरान दोनों को ही विद्रोहियों के आगे सीरिया से अपने हाथ पीछे खींचने पड़े हैं.
यहां तक कि सीरिया में मौजूद रूसी सैनिकों को भी रूस ने वापस बुला लिया है. वहीं माना ये जा रहा था कि इजरायल और एचटीएस के बीच संबंध सामान्य हैं. इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि वो एचटीएस से सीधे संपर्क में हैं.
वहीं हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के प्रमुख लीडर अबु मोहम्मद अल-जुलानी ने भी अपने बयानों में साफ किया था कि वह इजरायल के साथ सामान्य रिश्ते चाहते हैं. पर माना जा रहा है कि इजरायल जैसे-जैसे सीरिया में और जमीन कब्जाने के लिए आगे बढ़ रहा है. उसके खिलाफ सीरिया, सऊदी अरब की मदद चाहता है. सऊदी अरब ही वो देश है, जिसने गोलान हाइट्स में इजरायली कब्जे के खिलाफ आवाज उठाई थी.
सीरियाई विदेश मंत्री के सऊदी अरब के दौरे के क्या है मायने
सऊदी अरब का मिडिल ईस्ट में दबादबा है. इजरायल और सऊदी अरब में रिश्ते सामान्य किए जाने की कोशिश की जा रही है. पर सऊदी अरब का मानना है कि जब तक फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य घोषित नहीं किया जाता, तब तक वो इजरायल के साथ कूटनीतिक समझौता नहीं करेगा.
ऐसे में सीरिया के नए विदेश मंत्री के सऊदी अरब के दौरे से कई तरह के मायने निकाले जा सकते हैं. क्योंकि सऊदी अरब, रूस के करीब है. तो विदेश मंत्री ये कोशिश कर सकते हैं कि सऊदी अरब की मदद से रूस के सामने अपना पक्ष रख सकें कि सीरिया में पिछले दिनों जो कुछ विद्रोह हुआ और रूस को वहां से हटना पड़ा, तो भी संबंध सामान्य किए जा सकते हैं.
वहीं अगर रूसी सेना सीरिया में तैनात रहती है, तो इजरायल पर भी लगाम लग सकती है. साथ ही भविष्य में जिस तरह से रूस ने तालिबान को आतंकी लिस्ट से हटाया है, वैसे ही एचटीएस से दोस्ती का हाथ बढ़ाकर उसे भी आतंकी लिस्ट से बाहर निकाल दे.