July 3, 2024
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तुर्किए का KAAN भारत के लिए टेंशन

भारत के स्वदेशी एमका प्रोजेक्ट को लेकर जहां अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है, टर्की (तुर्किए) का फीफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट ‘कान’ बनकर तैयार हो गया है. ‘कान’ ने अपनी पहली फ्लाइट को सफल अंजाम दे दिया है. भारत के लिए चिंता की बात इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान भी तुर्किए के इस प्रोजेक्ट में हिस्सेदारी करने जा रहा है. 

आर्थिक चुनौतियों के बीच तुर्किए ने अपने कान स्टील्थ फाइटर जेट को लेकर बड़ी घोषणा की है. टी ए कान (केएएएन) ने बुधवार को 8 हजार फीट की ऊंचाई पर 13 मिनट की उड़ान भरी. इसके साथ ही तुर्किए ने दुनिया केे उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल होने की घोषणा की है जो पांचवे जेनरेशन की लड़ाकू विमान बनाने में सक्षम हैं. टर्की ने अपने कान फाइटर जेट को अमेरिका के एफ-35 और एफ-22 फाइटर जेट की श्रेणी लड़ाकू विमान बनाने का दावा किया है. तुर्किए में कान को शासक या फिर राजाओं का राजा के नाम से जाना जाता है. 

कान की फ्लाइट से भारत के कान इसलिए खड़े हो गए हैं क्योंकि तुर्किए ने अपने इस टीएफ-एक्स प्रोजेक्ट की 2016 में घोषणा की थी. ऐसे में तुर्किए ने रिकॉर्ड समय में तुर्किए को बनाकर तैयार कर लिया है. ये तुर्किए का पहला स्वदेशी फाइटर जेट है. तुर्किए की तुसास कंपनी ने 125 मिलियन डॉलर के साथ ब्रिटेन की बीएई कंपनी के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट को शुरु किया था. 

कान फाइटर जेट एमबीडीए कंपनी की उन मिटियोर और मीका मिसाइल से लैस होंगे जिनसे भारतीय वायुसेना का रफाल (राफेल) फाइटर लैस है. इसके अलावा एडवांस मीडियम रेंज एयर टू एयर मिसाइल यानी एमराम (एएमआरएएम) और एडवांस शॉर्ट रेंज एयर टू एयर मिसाइल यानी  एसराम (एएसआरएएम) से भी कान लैस होगा. कान में अमेरिका का एफ-110 इंजन लगा है जो यूएस के एफ-16 फाइटर जेट में लगा है. 

तुर्किए का कान ऐसे समय में बनकर तैयार हुआ है जब अमेरिका ने तुर्किए के प्रतिद्वंदी ग्रीस को एफ-35 फीफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट देने का ऐलान किया है. तुर्किए ने ये भी ऐलान किया है कि अगले एक-दो साल में कान के एडवांस (प्रोटो) वर्जन भी निर्मित किए जाएंगे. यानी कान की घातक क्षमता को एक-दो साल में बढ़ जाएगी. माना जा रहा है कि कान का प्रोडक्शन 2028 से शुरु हो जाएगा.

तुर्किए में इनदिनों अर्थव्यवस्था की हालत दुरुस्त नहीं है. महंगाई भी चरम पर है. ऐसे में तुर्किए ने पाकिस्तान और अजरबैजान को इस प्रोजेक्ट के वित्तीय भार को सहने के लिए आमंत्रित किया है. साथ ही यूक्रेन भी इस प्रोजेक्ट से जुड़ सकता है. इसके मायने ये हैं कि पाकिस्तान और अजरबैजान को भी फीफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट (कान) मिल जाएगा. जबकि भारत के फिफ्थ जेनरेशन एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमका) को अभी सरकार से जरूरी हरी झंडी नहीं मिल पाई है. 

हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और एयरोस्पेस डिजाइन एजेंसी (एडीए) ने एमका का डिजाइन वर्ष 2016 में तैयार कर लिया था और भारतीय वायुसेना ने इसे स्वीकृति दे दी थी. एचएएल फिलहाल स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस के मार्क-1ए और मार्क-2 वर्जन को बनाने में जुटी है. 

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